शिअद ‘मोदी लहर’ पर सवार जनता को घोषणा पत्र का इंतजार

Edited By swetha,Updated: 05 May, 2019 02:23 PM

akali dal manifesto

चुनाव दौरान मतदाताओं की सबसे पैनी नजर नेताओं के वायदों पर रहती है।

चंडीगढ़ (अश्वनी कुमार): चुनाव दौरान मतदाताओं की सबसे पैनी नजर नेताओं के वायदों पर रहती है। कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी होने के बाद पंजाब के सियासी मंचों से इन दिनों कांग्रेसी प्रत्याशी लगातार लोक-लुभावन वायदे परोस रहे हैं, लेकिन प्रदेश में कांग्रेस के सबसे बड़े सियासी विरोधी शिरोमणि अकाली दल को लेकर जनता अभी भी पशोपेश की स्थिति में है। इसकी वजह है अभी तक घोषणा पत्र जारी न होना। 

बेशक शिअद की सहयोगी भारतीय जनता पार्टी ने अपना संकल्प पत्र जारी कर दिया है, लेकिन 2014 की तरह मतदाता बेसब्री से शिअद के घोषणा पत्र का इंतजार कर रहे हैं। 2014 में शिअद ने करीब 25 पन्नों का चुनावी घोषणा पत्र जारी किया था,जिसमें राज्य पर केंद्रित कई अहम घोषणाएं की गई थीं। हालांकि इस बार भी शिरोमणि अकाली दल ने जनवरी, 2019 में 17 सदस्यीय मैनीफैस्टो कमेटी का गठन किया था, लेकिन अभी तक यह कमेटी मैनीफैस्टो जारी नहीं कर पाई है। यही वजह है कि चुनावी दंगल में किस्मत आजमा रहे ज्यादातर शिअद प्रत्याशी ‘मोदी लहर’ पर सवार होकर चुनावी नैया पार लगाने की राह पर हैं। खुद शिअद अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल भी सियासी सभाओं में भारतीय जनता पार्टी के चुनावी वायदों को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं। 

पिछले दिनों जब एक चुनावी सभा में सुखबीर बादल से शिअद के घोषणा पत्र पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि शिरोमणि अकाली दल का पूरा ध्यान केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के साथ कॉमन मिनिमम प्रोग्राम यानी न्यूनतम सांझा कार्यक्रम पर है। शिरोमणि अकाली दल का असली चुनावी घोषणा पत्र तो लोकल सरकार के समय आता है। हालांकि शिअद प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा का कहना है कि शिअद पंजाब की जनता के सभी मसलों को सुलझाने के प्रति प्रतिबद्ध है। जहां तक बात चुनावी घोषणा पत्र की है तो शिअद के स्तर पर इसे विजन डॉक्यूमैंट की तरह पेश किया जाएगा। इस पर काम चल रहा है, जल्द ही इसे रिलीज भी कर दिया जाएगा। 


बिहार में भाजपा सहयोगी जे.डी.यू. भी बिना घोषणा पत्र के मैदान में  
बिहार में भाजपा की सहयोगी जे.डी.यू. ने भी इस बार अभी तक घोषणा पत्र जारी नहीं किया है। देशभर में आधी से ज्यादा चुनावी प्रक्रिया मुकम्मल होने के बाद भी अभी तक जे.डी.यू. के घोषणा पत्र को लेकर पशोपेश की स्थिति है। हालांकि जे.डी.यू. के कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि इस बार पार्टी बिना घोषणा पत्र के ही मैदान में किस्मत आजमाएगी। हालांकि जब भारतीय जनता पार्टी ने अपना घोषणा पत्र जारी किया था तो जे.डी.यू. के नेताओं का कहना था कि वह भाजपा के कई मुद्दों पर सहमत नहीं हैं, इसलिए वह अलग से निश्चय पत्र जारी करेंगे। 


2014 में शिअद ने राज्य स्तरीय मुद्दों को दी थी तवज्जो
2014 लोकसभा चुनाव दौरान शिअद ने अपने घोषणा पत्र में कई राज्य स्तरीय मुद्दों को तवज्जो दी थी। भले ही चंडीगढ़ को पंजाब की राजधानी घोषित करने का मामला हो या नहरी पानी पर पंजाब के अधिकार की बात हो, शिअद ने कई संवेदनशील मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया था। 1984 के सिख विरोधी दंगों के आरोपियों को सजा दिलवाने की बात भी जोर-शोर से उठाई गई थी। इसी कड़ी में किसान हितैषी घोषणाओं में फसल की वाजिब कीमत, न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसे वायदे परोसे गए थे। वहीं, राज्य स्तर पर केंद्रित इंडस्ट्री, अर्बन एंड रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर, हाऊसिंग, एविएशन, युवाओं को रोजगार, पर्यटन को भी घोषणा पत्र में जगह दी गई थी। 

भाजपा के दबाव की चर्चा 
राजनीतिक विशेषज्ञों में चर्चा है कि इस बार भाजपा ने सहयोगी दलों को अलग घोषणा पत्र के बिना ही मैदान में उतरने की बात कही है। ऐसा इसलिए कहा गया है ताकि भाजपा के घोषणा पत्र को सबकी सांझा राय व एकमत वाले घोषणा पत्र की तरह प्रचारित किया जा सके। हालांकि भाजपा सहयोगी दलों के नेता इस बात से इंकार करते हैं। पिछले दिनों जे.डी.यू. प्रवक्ता ने इस पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा था कि दबाव वाली कोई बात नहीं है। भाजपा के साथ सहयोगी दलों का बरसों पुराना नाता है, इसलिए लोकसभा चुनाव के स्तर पर सबकी एक राय ही है। यह कोई राज्य स्तरीय चुनाव नहीं है।
 

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