Edited By Vatika,Updated: 31 May, 2019 08:29 AM
लोकसभा चुनाव के दौरान 10 में से 8 सीटों पर हार के बाद शिअद की मुश्किलें बढऩे लगी हैं, जिसके तहत जीत से उत्साहित भाजपा ने पंजाब की सीटों के बंटवारे में ज्यादा हिस्सेदारी देने की मांग तेज कर दी है।
लुधियाना(हितेश): लोकसभा चुनाव के दौरान 10 में से 8 सीटों पर हार के बाद शिअद की मुश्किलें बढऩे लगी हैं, जिसके तहत जीत से उत्साहित भाजपा ने पंजाब की सीटों के बंटवारे में ज्यादा हिस्सेदारी देने की मांग तेज कर दी है।
यहां बताना उचित होगा कि भाजपा के नेताओं द्वारा लम्बे समय से पंजाब में अकाली दल के साथ गठबंधन के तहत विधानसभा व लोकसभा की सीटों की संख्या बढ़ाने की मांग की जा रही है लेकिन हर बार हाईकमान द्वारा दखल देकर विवाद को शांत कर लिया जाता है। इस बार लोकसभा चुनाव के दौरान भी पंजाब भाजपा की लीडरशिप द्वारा हाईकमान व अकाली दल के सामने सीटों का शेयर बढ़ाने का मुद्दा उठाया गया परंतु विधानसभा चुनाव में काफी खराब नतीजों का हवाला देकर उन्हें शांत करा दिया गया। अब लोकसभा चुनाव के दौरान अकाली दल को पंजाब की 10 में से 8 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है और भाजपा ने & में से 2 सीटों पर जीत हासिल की है।
इसके अलावा भाजपा द्वारा अपने हिस्से की सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करने का दावा किया जा रहा है, जिसे आधार बनाकर सीटों के शेयर में इजाफा करने की मांग तेज की गई है। इस पर मोहर लगाकर पूर्व अध्यक्ष कमल शर्मा ने कहा कि भाजपा का वर्कर लम्बे समय से अकाली दल के मुकाबले सीटों की संख्या बढ़ाने की मांग कर रहा है, क्योंकि पंजाब के कई जिलों में मजबूत आधार होने के बावजूद भाजपा के उम्मीदवार नहीं होते हैं। शर्मा के मुताबिक आज देश के उन हिस्सों में मोदी लहर का असर देखने को मिला है, जहां पहले भाजपा का कोई खास आधार नहीं था तो पंजाब में भाजपा वर्करों द्वारा ऐसी मांग करना जायज है, जो अब जोर पकडऩे लगी है।
पंजाब में इस तरह होता है अकाली-भाजपा के बीच सीटों का बंटवारा
कुल विधानसभा सीट |
117 |
अकाली दल ने चुनाव लड़ा |
94 |
भाजपा ने चुनाव लड़ा |
23 |
अकाली दल को जीत मिली |
15 |
भाजपा को जीत मिली |
2 |
कुल लोकसभा सीट |
13 |
अकाली दल ने चुनाव लड़ा |
10 |
भाजपा ने चुनाव लड़ा |
3 |
अकाली दल को जीत मिली |
2 |
भाजपा को जीत मिली |
2 |
चुनाव परिणाम को लेकर मेल नहीं खाती अकाली-भाजपा की राय
सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान शुरू होने के अलावा एक पहलू यह भी सामने आया है कि चुनाव परिणाम को लेकर भी अकाली-भाजपा की राय मेल नहीं खाती है। अकाली दल की कोर कमेटी की बैठक में पार्टी के प्रदर्शन पर संतोष प्रकट किया गया है, जबकि कमल शर्मा इससे सहमत नहीं हैं जिनके मुताबिक कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की सरकार फेल होने व गुटबाजी के बावजूद कांग्रेस ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की है। इसे लेकर अकाली-भाजपा को एक साथ बैठकर ङ्क्षचतन करना चाहिए, क्योंकि किसी भी गठबंधन को एक बार जनता के विरोध का सामना करना पड़ता है न कि लगातार 2 बार यहां तक कि मोदी लहर के बावजूद दोआबा का दलित वोटर अकाली-भाजपा से दूर हो गया है।