वर्ष 2050 तक सांस लेने योग्य नहीं रहेगा पंजाब

Edited By Vatika,Updated: 31 Oct, 2018 03:22 PM

air pollution in punjab

पंजाब में किसानों द्वारा पराली जलाने के मामले कम होते दिखाई नहीं दे रहे हैं, जिसके गंभीर परिणाम पंजाबवासियों को भविष्य में भुगतने पड़ेंगे। एक विभागीय रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2050 तक पंजाब सांस लेने योग्य राज्य भी नहीं रहेगा।

लुधियाना (खुराना): पंजाब में किसानों द्वारा पराली जलाने के मामले कम होते दिखाई नहीं दे रहे हैं, जिसके गंभीर परिणाम पंजाबवासियों को भविष्य में भुगतने पड़ेंगे। एक विभागीय रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2050 तक पंजाब सांस लेने योग्य राज्य भी नहीं रहेगा। 

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गत शनिवार तक पंजाब में 2300 से अधिक स्थानों पर पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। एक विज्ञानी शोध मुताबिक पराली जलाने के कारण हवा में प्रदूषण संबंधी की गई रिसर्च दौरान यह बात सामने आई है कि अगर इसी प्रकार से फसलों की वेस्टेज जलाई जाती है तो वर्ष 2050 तक हवा दोगुना दूषित हो जाएगी और पंजाब सांस लेने योग्य राज्य नहीं रहेगा। शोधकत्र्ताओं के मुताबिक हवा में 2.5 पी.एम कणों को प्रादर्शी कातिल (धीमा जहर) माना जा सकता हैं, जिन्हें मनुष्य की स्वास प्रणाली फिल्टर नहीं कर सकती। उक्त  बारीक कण खून में मिलकर स्वास्थ खराब करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक जब पराली जलाई जाती है तो आधे से अधिक मात्रा इन बारीक (2.5 पी.एम) कणों की होती है।
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एक अभियान के मुताबिक पोस्ट ग्रैजुएट इंस्टीच्यूट ऑफ मैडिकल एजूकेशन एंड रिस्र्च (पी.जी.आई.एम.ई.आर) के पर्यावरण विज्ञानी डा. रविन्द्र कहिवाल के मुताबिक उपग्रह की ताजा रिपोर्ट में सामने आया है कि पंजाब में 2328 स्थानों पर पराली जलाई गई हैं। उन्होंने कहा कि अगर पराली को आग लगाने का यह सिलसिला इसी तरह चलता रहा तो वर्ष 2017 के मुकाबले 2050 तक यह 45 फीसदी तक पहुंच जाएगा। डा. कहिवाल ने बताया वर्ष 2017 में 488 मिलीयनटन फसल की वेस्टेज बची थी, जबकि इस दौरान वेस्टेज के मात्र चौथे हिस्से को ही जलाया गया था, जिसके कारण पूरे उत्तर भारत में कई दिनों तक स्मोग व धूएं के कारण आसमान में सफेद चादर पसरी रही थी। उन्होंने कहा कि अगर वेस्टेज के चौथे हिस्से को जलाने के इतने घातक नतीजे निकले हैं तो जल्द ही इसका समाधान तलाशने की जरूरत हैं।
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वेस्टेज से पैदा की जा सकती है बिजली 
जानकारी के मुताबिक धान की वेस्टेज से बिजली पैदा की जा सकती है, लेकिन यह तभी संभव हो पाएगा, अगर इसके लिए सरकार बायोमास प्लांट्स का निर्माण करती हैं। वह किसानों के खेतों से पराली इक्कठी करने के उचित प्रबंधों पर जोर दिया जाता हैं या फिर धान की वेस्टेज को खेतों में मिलाने के लिए किसानों को उचित तकनीक खेती ओजार व मशीनरी मुहैया करवाई जाए।

हरियाणा सरकार ने खोजा अनोखा हल
वहीं हरियाणा सरकार ने पराली को आग न लगाने वाले किसानों को मुफ्त हवाई यात्रा करवाने का ऐलान कर उक्त समस्या ने निजात पाने का हल खोजने की कोशिश की है, जिसके लिए सरकार ने प्रचार के जिए जहां पोस्टर छपवाएं हैं, वहीं किसानों को जागरूक करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा भी लिया जा रहा हैं। जानकारी के मुताबिक सरकार किसानों को श्री अमृतसर साहिब की फ्री हवाई यात्रा करवाएगी।

पंजाब में 80 फीसदी किसानों ने नहीं लगाई पराली को आग : मंत्री बाजवा
इस संबंध में जब पंजाब के ग्रामीण विकास एवं पंचायत मंत्री तृप्त राजिन्द्र बाजवा से ऐसी कोई पहल करने संबंधी फोन पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि पंजाब के किसान बहुत ही जागरूक हैं, इसलिए करीब 80 फीसदी किसानों ने पराली को नहीं जलाया हैं। मंत्री बाजवा ने कहा कि मौजूदा सीजन में पराली जलाने के मामलों में बड़ी गिरावट आई हैं। संभावित आगामी धान के सीजन में पंजाब में पराली जलाने का कोई भी मामला सामने नहीं आएगा। मौजूदा समय में तकरीबन सभी किसानों ने अपनी फसलें काट ली हैं, जो थोड़ी बहुत खेतों में खड़ी भी हुई है, उसकी पराली भी किसान नहीं जलाएंगे, क्योंकि कोई भी इंसान यह नहीं चाहेगा कि उसके द्वारा कमाए गए पैसों से उसे अपने परिवार व बच्चों की बीमारियों के इलाज में खर्चा न पड़े। उन्होंने पराली जलाने से कई प्रकार की जानलेवा बीमारियां सबसे पहले पराती को आग लगाने वाले इंसान को ही अपनी चपेट में लेती हैं। 
 

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