वायु व जल प्रदूषण की चपेट में पंजाब

Edited By Vatika,Updated: 02 Jul, 2018 09:45 AM

air pollution

पंजाब की बात की जाए तो मौजूदा समय में बढ़ता प्रदूषण व घटता वन क्षेत्र यहां की सबसे बड़ी समस्या है।  हर सरकारी योजना को तार-तार कर हरियाली पर प्रहार हो रहा है। प्रदेश के नागरिकों को भविष्य की ङ्क्षचता सताने लगी है, मगर शायद प्रदेश की कैप्टन सरकार को...

जालंधर(रविंदर): पंजाब की बात की जाए तो मौजूदा समय में बढ़ता प्रदूषण व घटता वन क्षेत्र यहां की सबसे बड़ी समस्या है।  हर सरकारी योजना को तार-तार कर हरियाली पर प्रहार हो रहा है। प्रदेश के नागरिकों को भविष्य की ङ्क्षचता सताने लगी है, मगर शायद प्रदेश की कैप्टन सरकार को बढ़ते प्रदूषण व घटते वन क्षेत्र की कोई ङ्क्षचता नहीं है।

पिछले डेढ़ साल में पंजाब सरकार ने अपने बजट में वातावरण शुद्ध व प्रदूषण को कम करने और वन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए न तो किसी तरह का कोई प्रावधान रखा है और न ही इन बातों का कहीं जिक्र किया गया है। प्रदेश में हाईवे व विकास के नाम पर लगातार पेड़ कट रहे हैं, जिसके कारण हर 2 महीने के बाद वातावरण बेहद खराब हो रहा है। अभी पिछले माह ही वातावरण में वैस्टर्न डिस्टर्बैंस से ऐसा जहर घुला था कि सांस लेना भी दूभर हो रहा था। वह तो सरकारों को भगवान का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि इंद्र देवता के बरसते ही वातावरण सांस लेने लायक बना। मौजूदा समय की बात करें तो मानसून का मौसम शुरू हो चुका है। मगर इस मौसम को भुनाने में भी सरकार विफल होती नजर आ रही है। अपने स्तर पर पेड़-पौधे लगाने की कोई योजना दिखाई नहीं दे रही है। नशे के मुद्दे पर बुरी तरह से घिर चुकी कैप्टन सरकार हरियाली को पूरी तरह से भूल चुकी है।

गंदा पानी व प्रदूषण बन रहा कैंसर का कारण
मालवा क्षेत्र समेत पंजाब के अन्य कई जिले भी कैंसर की चपेट में आ चुके हैं। गंदा पानी व बढ़ता प्रदूषण इसका एक बहुत बड़ा कारण है। अपने बजट में सरकार ने कैंसर की रोकथाम के लिए कई तरह की बातें कहीं। मगर जिन चीजों से ऐसी बातें उपजती हैं, उस पर सरकार का कोई ध्यान नहीं है। पिछले 2 साल में ही राज्य भर में एक लाख से ’यादा बड़े पेड़ काट डाले गए और छोटे-छोटे पौधे की संख्या की तो बात ही छोडि़ए। नियमों के मुताबिक एक लाख बड़े पेड़ के बदले में लगने तो 10 लाख पौधे चाहिए थे, मगर सरकारें, जिला प्रशासन, वन विभाग और पी.डब्ल्यू.डी. विभाग पूरी तरह से लापरवाह है और उन्हें अदालती आदेशों की भी परवाह नहीं है। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल लगातार सख्त कदम उठा रहा है और जहां-जहां नए पौधे नहीं लग रहे हैं, वहां-वहां काम रोकने का आदेश जारी किया गया है। 

सरकार ने सामाजिक संस्थाओं व लोगों पर छोड़ी पौधारोपण की जिम्मेदारी
जालंधर-होशियारपुर हाईवे इसी कारण अभी तक अधर में लटका हुआ है। वन क्षेत्र व हरियाली लगातार कम होने से पंजाब में ऑक्सीजन की कमी हो गई है और सर्दी के मौसम में तो लोगों के लिए सांस तक लेना मुश्किल हो जाता है। मगर हैरानी की बात है कि सरकार को प्रदेश के भविष्य की कोई ङ्क्षचता नहीं है। पेड़ लगाने की सारी जिम्मेदारी सरकार ने सामाजिक संस्थाओं व प्रदेश के नागरिकों पर छोड़ दी है और खुद के बजट में एक पैसे का भी हरियाली के लिए प्रावधान नहीं रखा गया है। 

सरकार ने शुरू की आई-हरियाली योजना : धर्मसोत
वन मंत्री साधु सिंह धर्मसोत का कहना है कि सरकार ने प्रदेश भर में आई-हरियाली योजना शुरू की है। इसके तहत इस एप को मोबाइल पर डाऊनलोड करने के बाद कोई भी नागरिक अपने पास की सरकारी नर्सरी से रोजाना 15 पौधे मुफ्त में प्राप्त कर सकता है। इसके लिए सरकार ने व्यापक स्तर पर योजना बनाई है और लोगों के सहयोग से आने वाले समय में न केवल प्रदेश में हरियाली होगी, बल्कि वन क्षेत्र को भी बढ़ाया जा सकेगा। 

दोआबा व माझा में भी गंदा पानी पसारने लगा पैर
कोई ठोस योजना न होने के कारण धरती के भीतर का पानी जहां लगातार कम हो रहा है। वहीं ड्रेन सिस्टम के फ्लाप होने से धरती के नीचे का पानी गंदा होना लगा है। दोआबा व माझा में भी पानी के 60  प्रतिशत सैंपल अब फेल पाए जा रहे हैं यानी दूषित पानी दोआबा व माझा के लोगों में भी बीमारियों का खतरा बढ़ा रहा है। 

प्रदेश के ईंट भट्ठों को कर दिया गया है बंद
सर्दी के मौसम में वातावरण में जहर न घुले इसको लेकर सरकार ने सितम्बर के महीने 6 महीनों के लिए प्रदेश भर के ईंट भट्ठों को बंद करने का आदेश दिया है। कोई भी ईंट भट्ठा नहीं चलेगा और न ही किसी तरह का वायु प्रदूषण होगा।  

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