एग्रीकल्चर अपडेट: किसानों की कई समस्याओं का समाधान कर सकती है खुंबों की काश्त

Edited By Vatika,Updated: 11 Feb, 2019 09:18 AM

agriculture update

पंजाब में रिवायती फसलों की काश्त से किसानों की आर्थिक जरूरतें पूरी न होने से किसानों को सहायक धंधे अपनाने की आवश्यकता है। इसके तहत खुंबों की काश्त ऐसा सहायक धंधा है, जिसकी बदौलत न सिर्फ किसान बहुत कम खर्च कर अच्छी कमाई कर सकते हैं, बल्कि इससे लोगों...

गुरदासपुर(हरमनप्रीत): पंजाब में रिवायती फसलों की काश्त से किसानों की आर्थिक जरूरतें पूरी न होने से किसानों को सहायक धंधे अपनाने की आवश्यकता है। इसके तहत खुंबों की काश्त ऐसा सहायक धंधा है, जिसकी बदौलत न सिर्फ किसान बहुत कम खर्च कर अच्छी कमाई कर सकते हैं, बल्कि इससे लोगों को पौष्टिक आहार मुहैया करवाने में भी अपना योगदान डाला जा सकता है। इस समय पंजाब देश में पैदा होने वाली खुंब का करीब 14 फीसदी हिस्सा पैदा कर रहा है, मगर दिन-ब-दिन खुंब की बढ़ रही मांग अनुसार अगर किसान खुद की काश्त करने के प्रति रुझान दिखाते हैं तो न सिर्फ कमाई में इजाफा होगा, बल्कि पंजाब में से गेहूं-धान के अवशेष को सही रूप में प्रयोग के अलावा अन्य भी कई समस्याओं का सार्थक समाधान होने की संभावना होगी।

पंजाब में पैदा होती है 17 हजार टन खुंब
दुनिया के विभिन्न देशों में खुंब की 20 किस्मों की काश्त की जाती है, जिनका इस्तेमाल सब्जियों के तौर पर खाने के साथ-साथ दवाइयां बनाने के लिए भी किया जाता है। भारत में प्रत्येक वर्ष करीब सवा लाख टन खुंबों की पैदावार होती है, जिसका करीब 13 से 14 फीसदी हिस्सा पंजाब में उत्पन्न होता है, क्योंकि इस राज्य के करीब 400 खुंब उत्पादक प्रत्येक वर्ष तकरीबन 17 हजार टन खुंब पैदा करते हैं।

खुंब की काश्त के लिए ज्यादा खर्च करने की जरूरत नहीं 
खुंबों की काश्त अन्य सहायक धंधों से आसान मानी जाती है, क्योंकि इसे शुरू करने के लिए न तो बहुत बड़ी रकम की आवश्यकता है और न ही अधिक जगह की जरूरत है। खुंबों की काश्त के लिए सबसे बड़ी जरूरत तूड़ी और पराली की होती है, मगर पंजाब में गेहूं और धान मुख्य फसल होने से यहां किसानों को ये दोनों वस्तुएं आसानी से मिल जाती हैं। इसके साथ नौजवानों को आसानी से रोजगार भी मिलेगा, क्योंकि खुंब की काश्त के लिए न तो ज्यादा खर्च करना पड़ता है और न ही अधिक जमीन तथा औजारों की जरूरत होती है। यहां तक कि इसे किसी कमरे में या छत पर भी तैयार किया जा सकता है।

पूरा साल की जा सकती है खुंबों की काश्त
खुंबों की काश्त के लिए पंजाब का पर्यावरण और मौसम भी काफी अनुकूल माना जाता है, जिससे इस राज्य में खुंबों की काश्त की बहुत संभावनाएं हैं। इस राज्य में करीब सभी महीनों के दौरान ही खुंब की किसी न किसी किस्म की काश्त की जा सकती है। कृषि यूनिवर्सिटी लुधियाना के अनुसार पंजाब में खुंबों की 4 किस्मों की काश्त की जा सकती है। इन किस्मों में से सितम्बर से मार्च तक बटन खुंब की 2 फसलें लगाई जा सकती हैं, जबकि अक्तूबर-मार्च तक ढींगरी किस्म की 3 फसलें पैदा की जा सकती है। इसके अलावा अप्रैल से अगस्त तक पराली वाली खुंब की 4 फसलें तथा अप्रैल से अक्तूबर के दौरान मिलकी खुंब की 3 फसलें लेकर तकरीबन पूरा साल ही अधिक कमाई कर सकते हैं।

सही मंडीकरण से और बढ़ाई जा सकती है आमदन
एक वर्ग मीटर रकबे में करीब 10 किलो खुंबों की पैदावार ली जा सकती है। सर्दियों के सीजन में खुंब की मांग बहुत बढऩे से किसानों को अच्छी कमाई हो जाती है। खुंबों के मंडीकरण के लिए कई किसान तो खुंब को साफ करके सीधा किसी दुकानदार को बेच देते हैं और कई किसान इसे मंडी में ले जाकर पैसे कमा लेते हैं। कई किसान खुंब का अच्छा मूल्य लेने के लिए इसे साफ करने के बाद पैक करके बेचते हैं तथा कई किसान इसका अचार बनाकर इसकी प्रभावशाली पैकिंग तैयार करके ग्राहकों को आकर्षित करते हुए कमाई में बढ़ौतरी कर लेते हैं।

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