Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Dec, 2017 07:35 AM
जालंधर के कुछ बड़े एजैंटों द्वारा परिवहन विभाग के अंदर इस्तेमाल होने वाली सरकारी मोहरों को बाजार से अवैध ढंग से बनवाकर उनका जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है। पिछले लंबे समय से बड़े एजैंटों द्वारा कुछ लालची किस्म के कर्मचारियों के साथ मिलकर उक्त जाली...
जालंधर (अमित): जालंधर के कुछ बड़े एजैंटों द्वारा परिवहन विभाग के अंदर इस्तेमाल होने वाली सरकारी मोहरों को बाजार से अवैध ढंग से बनवाकर उनका जमकर इस्तेमाल किया जा रहा है। पिछले लंबे समय से बड़े एजैंटों द्वारा कुछ लालची किस्म के कर्मचारियों के साथ मिलकर उक्त जाली मोहरों का प्रयोग अपने सारे जायज-नाजायज काम करने में कर कानून की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। मगर परिवहन विभाग के अधिकारियों का रवैया उदासीन बना हुआ है और आज तक किसी भी बड़े एजैंट या सरकारी कर्मचारी के खिलाफ जाली मोहरों के इस्तेमाल को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है।
सूत्रों की मानें तो मौजूदा समय के अंदर आर.टी.ए. दफ्तर में होने वाली आर.सी. वैरीफिकेशन लैटर के अलावा, आर.सी. ट्रांसफर फाईल में होने वाले आर.टी.ए. के साइन के नीचे लगने वाली मोहर को अपने दफ्तर से ही फाइलों में लगाकर भेजा जा रहा है। शहर के कुछ बड़े एजैंटों ने अपने दफ्तर में ही आर.टी.ए. दफ्तर खोल रखा है और हर छोटे-बड़े काम को अंजाम देने के लिए उनके पास हर साधन मौजूद है। हाल ही में पंजाब केसरी की तरफ से इस बात का खुलासा किया गया था कि कैसे आर.टी.ए. दफ्तर से काम करवाने में कोई अड़चन न आए इसके लिए उन्होंने अपने पास पूरे प्रदेश के आर.टी.ए. दफ्तरों की जाली मोहरें तक बनाकर रखी हुई हैं जिनका इस्तेमाल वे आर.सी. की वैरीफिकेशन या तत्काल कापी के लिए किया जाता है।
पंजाब केसरी के पास ऐसे ही कुछ बड़े एजैंटों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सैक्रेटरी आर.टी.ए. दफ्तर जाली मोहरों की एक फोटो आई है, जिससे साफ पता लगता है कि कैसे एक उच्चाधिकारी के साइन वाली मोहर का कितने बड़े स्तर पर अवैध रूप से इस्तेमाल कर गल्त कामों को अंजाम दिया जा रहा है।
सेम-डे डिलीवरी देने के लिए होता है इसका इस्तेमाल
बड़े एजैंटों के पास कुछ ग्राहक ऐसे आते हैं, जिन्हें अपने वाहन की आर.सी. ट्रांसफर करवाना अत्यंत जरूरी होता है और किसी कारणवश वह आवेदन जमा करवाने वाले दिन ही आर.सी. की डिलीवरी लेना चाहते हैं। ऐसे लोगों से आम तौर पर ली जाने वाली फीस से 2-3 हजार रुपए अतिरिक्त शुल्क बतौर सेम-डे (अर्जैंट) डिलीवरी देने का शुल्क मांगा जाता है। ग्राहक अपना काम जल्दी करवाने के बदले में इस अतिरिक्त राशि को देने के लिए राजी हो जाता है।
गैर-कानूनी काम करने वालों को नहीं बख्शा जाएगा, होगी जांच : आर.टी.ए.
सैक्रेटरी आर.टी.ए. दरबारा सिंह ने कहा कि उनके ध्यान में भी यह मामला आया है। इसकी गहन जांच की जानी अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि गैर-कानूनी काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। चाहे वह सरकारी कर्मचारी है या कोई एजैंट, गल्त काम करने वाले के खिलाफ बनती कार्रवाई अवश्य की जाएगी। सरकारी दस्तावेजों की जगह जाली दस्तावेज बनाकर आवेदन जमा करवाना कानूनी जुर्म है और इसके लिए बनती कार्रवाई की जाएगी।
कैसे होता है अर्जैंट डिलीवरी का सारे खेल?
सूत्रों के अनुसार इस काम को अंजाम देने के लिए बड़े एजैंट आवेदन फाइल पर जाली मोहर तो लगाते ही हैं। मगर इसके साथ ही आर.टी.ए. दफ्तर के क्लर्क के हस्ताक्षर भी खुद ही कर देते हैं ताकि क्लर्क के पास होने वाली प्रक्रिया का समय बचाया जा सके। हद तो उस समय हो जाती है, जब कुछ आवेदनों पर बड़े एजैंट आर.टी.ए. के भी जाली हस्ताक्षर करने की हिम्मत तक दिखा देते हैं।
डी.टी.ओ. दफ्तर बंद करने से नहीं लगी भ्रष्टाचार पर कोई रोक
मौजूदा कांग्रेस सरकार द्वारा परिवहन विभाग के अंदर व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त करने के उद्देश्य से डी.टी.ओ. दफ्तर बंद कर सारा कामकाज आर.टी.ए. दफ्तर के अधीन लाया गया था। मगर डी.टी.ओ. दफ्तर बंद करने से भ्रष्टाचार पर कोई रोक नहीं लगी है। जमीनी हकीकत यह है कि एजैंटों का दबदबा पहले की भांति बरकरार है और उनका कोई भी काम बिना किसी रुकावट के बड़ी आसानी से हो जाता है। जबकि आम जनता को अपने काम के लिए इधर से उधर धक्के खाने पड़ते हैं। जिस काम को करवाने के लिए आम जनता का पसीना निकल जाता है, वही काम एजैंट चुटकियों में पूरा करवा देते हैं।
निजी कारिंदे नहीं जताते जाली मोहर व जाली हस्ताक्षरों पर कोई ऐतराज
आर.टी.ए. दफ्तर में बहुत बड़ी गिनती के अंदर निजी कारिंदे क्लर्कों के साथ काम कर रहे हैं। आमतौर पर दफ्तर का सारा कामकाज उक्त निजी कारिंदों द्वारा ही अंजाम दिया जाता है और निजी कारिंदे बड़े एजैंटों के साथ अपनी तगड़ी सैटिंग के चलते उनके द्वारा इस्तेमाल की गई जाली मोहरों व जाली हस्ताक्षरों पर कोई एतराज ही नहीं करते। इस काम के लिए वे एजैंटों से अपना निजी सुविधा शुल्क भी वसूलते हैं।
बड़े एजैंट बने हुए हैं निजी कारिंदों के फाइनैंसर, दिए हैं ब्याज पर पैसे
बड़े एजैंट आर.टी.ए. दफ्तर में काम करने वाले निजी कारिंदों के फाइनैंसर भी बने हुए हैं। जिन्होंने कुछ निजी कारिंदों को ब्याज पर पैसे भी दिए हुए हैं। मगर अक्सर वह कारिंदों से ब्याज न लेकर केवल मूल रकम ही वापस लेकर उन पर एहसान बनाए रखते हैं।