Edited By swetha,Updated: 05 Dec, 2019 09:47 AM
भाईवाल पार्टियों की प्रति बदला भाजपा का नजरिया
लुधियाना (शारदा): देश के अलग-अलग राज्यों में ताकतवर सियासी पार्टियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सत्तासुख भोगने वाली भाजपा अपने दम पर केन्द्र की सत्ता पर काबिज है। सत्ता का मोह सियासत में दोस्तों के दुश्मन बनने की अहम वजह है। यही कारण है कि जिस भाजपा के साथ कभी केन्द्र की राजनीति में दर्जन भर सियासी पार्टियां हाथ में हाथ थामे खड़ी रहती थीं, आज वे एक-एक करके न सिर्फ दूर जा चुकी हैं, बल्कि उसे घेरने के लिए नए भागीदार तलाश कर देश की राजनीति में अभूतपूर्व बदलाव के लिए प्रयासरत हैं।
2 सांसदों वाली पार्टी आज बहुमत में
कभी 2 सांसदों वाली पार्टी भाजपा आज लोक सभा में बहुमत में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की अगुवाई में भाजपा ने देश के उन राज्यों में रिकॉर्डतोड़ सफलता हासिल की जहां कुछ वर्ष पहले भाजपा का झंडा उठाने वाला कोई नहीं था। लगातार सत्ता में रही कांग्रेस पार्टी आज उचित नेतृत्व की कमी के कारण देश में हाशिए पर पहुंच चुकी है। विपक्ष का कमजोर होना स्वस्थ लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। इसी वजह से भाजपा 370 के करीब सांसदों के साथ मजबूत सरकार चला कई मामलों में मनमर्जी के फैसले कर कमजोर विपक्ष का फायदा उठा रही है। उसकी यही ताकत और हर मामले में मनमर्जी चलाने की आदत के कारण दशकों से उसकी भाईवाल सियासी पार्टियां एक-एक करके उनसे दूर होती जा रही हैं जिसके परिणाम आने वाले समय में खतरनाक हो सकते हैं।
भाईवाल पार्टियों की प्रति बदला भाजपा का नजरिया
पिछले लोकसभा चुनावों तक भाजपा बेशक इतनी ताकतवर हो गई कि उसे लोकसभा में किसी के सहारे की जरूरत नहीं रही। पार्टी ने अपने बलबूते हासिल हुए बहुमत ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के व्यवहार को सहयोगी सियासी पार्टियों के प्रति इतना बदल दिया कि धीरे-धीरे दोस्त पार्टियां न सिर्फ भाजपा से दूर हो चुकी हैं। बल्कि हालात ये बन चुके हैं कि वे नया विकल्प तैयार करने और भाजपा को सबक सिखाने के लिए विपरीत विचारधारा वाली पार्टियों जिनसे वे दशकों तक लड़ाई लड़ती रही हैं, के साथ हाथ मिला चुकी हैं।
जिस पार्टियों की नीतियों के खिलाफ लड़ी शिवसेना उसी के साथ सत्ता पर काबिज
कभी भाजपा के साथ सहयोगी रही नैशनल कॉन्फ्रैंस, पी.डी.पी., तृणमूल सहित कई सियासी पार्टियां भाजपा को छोड़ चुकी हैं। महाराष्ट्र में पिछले दिनों हुए सियासी नाटक के बाद भाजपा की सबसे बड़ी मित्र पार्टी शिवसेना जिस कांग्रेस पार्टी की नीतियों के खिलाफ अपने जन्म के बाद से लगातार लड़ती आ रही थी, आज वह उसके साथ सरकार में है, यह भाजपा के लिए बड़ा झटका है।
राजोआना पर शाह के बयान के बाद अकाली दल खफा
उधर पंजाब में दशकों से भाजपा का साथ निभाने वाला शिरोमणि अकाली दल भी धीरे-धीरे भाजपा से दूरी बनाने लगा है। सबसे बड़ा मामला गृह मंत्री अमित शाह की तरफ से मंगलवार को संसद में दिए आतंकी बलवंत सिंह राजोआना की सजा न माफ करने संबंधी दिया बयान है। अमित शाह के बयान पर अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान गोबिंद सिंह लौंगोवाल ने पलटवार करते हुए कहा कि शाह के इस बयान ने सिखों के जख्मों को फिर हरा करने का काम किया है। पंजाब में अलग सियासी जमीन तलाश रही भाजपा की प्रदेश इकाई को भी सरकार के इस फैसले से धक्का लगा है, क्योंकि बाकी राज्यों में अकेले सरकार बनाने की नीति पर चल रही भाजपा के लिए दोस्त सियासी पार्टियों का साथ छोड़ना खतरे की घंटी है।