Edited By Vaneet,Updated: 26 Oct, 2018 06:33 PM
रिफ्रैंडम 2020 के जरिए खालिस्तानी लहर को बढ़ावा देने वाले तत्वों पर केन्द्र व राज्य सरकार ने अपना शिकंजा और कस दिया है। सिख ...
जालंधर(धवन): रिफ्रैंडम 2020 के जरिए खालिस्तानी लहर को बढ़ावा देने वाले तत्वों पर केन्द्र व राज्य सरकार ने अपना शिकंजा और कस दिया है। सिख फार जस्टिस नामक संगठन के ट्विटर को ब्लाक करने के बाद केन्द्रीय व राज्य सरकार की एजैंसियों की नजरें अब इस संगठन की ई-मेल को ब्लॉक करने की तरफ लगी हुई हैं। यह संगठन सोशल मीडिया की मदद से अपनी गतिविधियों का विश्व भर में प्रचार करने में लगा हुआ था।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने राज्य पुलिस प्रमुख सुरेश अरोड़ा व अन्य अधिकारियों की सलाह पर यह मामला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने उठाया था। गर्म विचारधारा वाले संगठन को पंजाब के लोगों की ओर से कोई सहयोग नहीं मिल रहा है परन्तु इसके बावजूद केन्द्र व राज्य सरकार की एजैंसियां चाहती थीं कि सोशल मीडिया का दुरुपयोग करने वाले इस संगठन की गतिविधियों पर लगाम लगाई जाए।
पता चला है कि केन्द्र सरकार ने पिछले दिनों सिख फार जस्टिस के नेताओं के ट्विटर को ब्लाक कर दिया था। उसके बाद से इस संगठन के नेताओं ने ई-मेल के जरिए अपने संदेश विश्व के विभिन्न देशों में भेजने शुरू कर दिए। पिछले कुछ समय के दौरान ही लगभग 25000 से अधिक ई-मेलें भेजी गई हैं। इतना जरूर है कि संगठन के नेता का ट्विटर अब काम नहीं कर रहा है। इस ट्विटर से न केवल भारत बल्कि विश्व के किसी भी देश में कोई संदेश नहीं भेजा जा रहा है।
इसी तरह से फेसबुक पर भी केन्द्रीय एजैंसियों की नजरें पूरी तरह से टिकी हुई हैं। केन्द्र व राज्य सरकार नहीं चाहती है कि खालिस्तानी लहर को बढ़ावा विदेशों से दिया जाए। इसीलिए यह मामला विभिन्न देशों के सामने भी पिछले समय में उठाया जा चुका है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह स्वयं इस संगठन की गतिविधियों पर पूरी तरह से लगाम लगाने के पक्ष में है। इसीलिए समय समय पर वह राज्य पुलिसके वरिष्ठ अधिकारियों से जानकारी भी लेते रहते हैं। इंटैलीजैंस विंग द्वारा भी मुख्यमंत्री को इस संबंध में पूरी जानकारी उपलब्ध करवाई जा रही है।