Edited By Sunita sarangal,Updated: 12 Apr, 2020 10:09 AM
अफगानिस्तान में काबुल के एक गुरुद्वारा साहिब में रह रहे सिखों पर गत 25 मार्च को हमला कर दिया था। इस आतंकवादी हमले दौरान शहीद हुए सिखों के परिवारों को पाकिस्तान......
अमृतसर(अनजान): अफगानिस्तान में काबुल के एक गुरुद्वारा साहिब में रह रहे सिखों पर गत 25 मार्च को हमला कर दिया था। इस आतंकवादी हमले दौरान शहीद हुए सिखों के परिवारों को पाकिस्तान गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा उनके पाकिस्तान में पुनः प्रवास करने की पेशकश को काबुल के सिखों द्वारा मना करने वाली बात सुनने में आई है। इस बात की पुष्टि भारतीय पत्रकारों द्वारा की गई थी। अपना नाम न बताने की शर्त पर वहां के सिख ने यह बयान भारतीय मीडिया को दिया, जिसमें यह दावा भी किया गया था कि यह फैसला आई.एस. खोरसन ब्रांच के प्रमुख अब्दुला औरकजई असलम फारूकी की गिरफ्तारी से पहले ही ले लिया गया था। इसलिए उन्होंने पुनः प्रवास करने की पाकिस्तान और ईरान की पेशकश को इन्कार कर दिया।
सिख ने बताया कि पाकिस्तान सरकार ने जो फारूकी की अफगानिस्तान सरकार से हवालगी की मांग की थी, उससे पाकिस्तान भी शक के घेरे में आ गया था, जिस कारण पी.एस.जी.पी.सी. की पेशकश के पीछे उन्हें पाक सरकार की चाल पर शक हो रहा है। उक्त सिख ने जानकारी दी कि 25 मार्च के हमले के बाद अफगानिस्तान की फौजों के 2 टैंक गुरूद्वारे के नजदीक तैनात किए गए, जिनमें बड़ी संख्या में फौजी तैनात हैं। अफगानिस्तान की मीडिया रिपोर्ट के अनुसार फारूकी आई.एस. खोरसन ब्रांच का प्रमुख है, जिसे पिछले शनिवार कंधार से गिरफ्तार किया गया था।
दूसरी ओर पी.एस.जी.पी.सी. के प्रधान सतवंत सिंह ने भारतीय मीडिया से जानकारी सांझा करते हुए बताया कि उन्हें इस बारे में अभी कोई जवाब नहीं मिला। इंसानियत को शर्मसार करने वाले हमले के बाद श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार हरप्रीत सिंह ने भारत सरकार को अफगानिस्तान सरकार से बातचीत द्वारा सिखों की सुरक्षा यकीनी बनाऐ जाने के बारे में अपील की थी और कहा कि कोरोना संकट के बाद अमरीका, इंग्लैंड और दिल्ली के सिखों से परामर्श कर अफगानी सिखों को सुरक्षित स्थान पर पुनः प्रवास का प्रयत्न किया जाएगा, जिसके बाद एस.जी.पी.सी. के प्रधान ने बयान दिया कि अफगानी सिख चाहें तो उन्हें भारत में भी वापिस लाने के प्रयत्न कर सकता है।