आदर्श ग्राम योजनाःसियासी खींचातानी में हरदोबथवाला की तस्वीर नहीं बदल पाए सांसद

Edited By swetha,Updated: 23 Mar, 2019 08:55 AM

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आदर्श ग्राम योजना के तहत पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा राज्यसभा सदस्य डा. अश्विनी कुमार ने गांव हरदोबथवाला को गोद लिया था पर सियासी खींचातानी के चलते पंचायत घर को छोड़ कर एक भी पैसा विकास कार्यों पर खर्च नहीं हुआ। वहीं सांसद की बेरुखी के चलते बस नाम का...

गुरदासपुर(विनोद): आदर्श ग्राम योजना के तहत पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा राज्यसभा सदस्य डा. अश्विनी कुमार ने गांव हरदोबथवाला को गोद लिया था पर सियासी खींचातानी के चलते पंचायत घर को छोड़ कर एक भी पैसा विकास कार्यों पर खर्च नहीं हुआ। वहीं सांसद की बेरुखी के चलते बस नाम का ही गोद लिया गया गांव है।

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पूर्व महिला सरपंच दर्शन देवी तथा अश्विनी कुमार ने बताया कि इस गांव को जब गोद लिया गया तो उम्मीद जगी थी कि अब गांव का सर्वपक्षीय विकास होगा क्योंकि तब पंजाब में अकाली-भाजपा तथा केन्द्र में भाजपा की सरकार थी। हमारे गांव में पंजाब सरकार ने गलियां तो बना दी थीं जबकि बाकी सारे काम रहते थे। सबसे खराब स्थिति गांव के विशाल छप्पड़ के कारण होती थी। बरसात के दिनों मे छप्पड़ का पानी कई-कई दिन पानी गलियों में भरा रहता था और साथ लगते सुक्ख बथवाला में भी यह पानी चला जाता था क्योंकि दोनों गांवों का पानी इसी छप्पड़ में गिरता है। बरसात के दिनों में हालत बहुत खराब हो जाती है। 

पहली ही मीटिंग में गांव के हाथ लगी थी निराशा
पूर्व सरपंच अश्विनी कुमार ने बताया कि 5 वर्ष वह सरपंच रहे तथा पांच साल उसकी पत्नी दर्शना देवी सरपंच रहीं। हमारा संबंध अकाली दल से होने के बावजूद हमने बिना किसी राजनीतिक भेदभाव के विकास कार्य करवाए थे। बेशक गांव की पंचायत की अपनी कोई जमीन नहीं है तथा न ही कोई आय, परंतु उसके बावजूद सरकार से मिली ग्रांट के सहारे विकास कार्य बिना भेदभाव के करवाए गए। गांव की हर गली को बनाया गया परंतु जब गांव को डा. अश्विनी कुमार ने आदर्श ग्राम योजना के तहत गोद लेने के बाद गांव में मीटिंग की तो हमें बुलाया ही नहीं गया था।

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कम्युनिटी सैंटर बना दिया गांव के बाहर
पूर्व सरपंच दर्शना देवी ने कहा कहा कि डा. अश्विनी कुमार ने गांव गोद लिए जाने के बाद मीटिंग कर गांव की हरेक समस्या के हल की बात कही थी परंतु गांव में एक पंचायतघर-कम-कम्युनिटी सैंटर ही बना कर दिया जिस पर 12 लाख रुपए खर्च आया है। यह इमारत भी गांव के सरकारी प्राइमरी स्कूल में बनाई गई है परंतु इस पंचायत घर का आज तक उपयोग नहीं हुआ क्योंकि स्कूल मे छुट्टी होने के बाद स्कूल को ताला लग जाता है।  दूसरा यह स्कूल गांव से कुछ दूर होने के कारण इसका उपयोग नहीं हो सका। 

दोबारा कभी गांव नहीं आए सांसद 
इस संबंधी गांव के सरपंच जगदीश काटल ने कहा कि उनके विरोध के बावजूद गांव का पंचायत घर-कम-कम्यूनिटी सैंटर गांव में बनाने की बजाय स्कूल में बना दिया जो बहुत दूर है। दूसरा सासंद एक बार ही गांव आए तथा उसके बाद कभी गांव हरदोबथवाला में नहीं आए तथा न ही हमें कभी बुलाया गया। हमने कई बार पत्र लिख कर गांव के छप्पड़ की समस्या सहित सीवरेज प्रणाली बिछाने की मांग की थी परंतु कोई लाभ नहीं हुआ।  जब उनसे बात की तो गई तो उन्होंने कहा कि वह अब राज्यसभा के मैंबर नहीं हैं।

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अभी तक हल नहीं हुई छप्पड़ की समस्या

पूर्व सरपंच अश्विनी कुमार ने कहा कि गांव की मुख्य समस्या छप्पड़ की है। गांव में वाटर सप्लाई तो है सीवरेज प्रणाली नहीं है। लगभग 2500 की आबादी वाले इस गांव में सभी धर्मों के लोग रहते हैं तथा मिल-बैठ कर समस्याएं हल करते हैं। गांव के लिए 127 शौचालय मंजूर हुए थे तथा प्रति शौचालय 15-15 हजार रुपए खर्च किए जाने थे मगर 10-15 शौचालय ही बन पाए। शेष रहता काम आज तक पूरा नहीं हुआ। गांव में एक प्राइमरी स्कूल है तथा वह भी बहुत बेहतर हालत में नहीं है। पूर्व सरकार से मिली ग्रांट से गांव में एक आंगनबाड़ी सैंटर की इमारत बनाई गई है, पंरतु उसका भी उद्घाटन नहीं किया जा रहा है।  

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गांव हरदोबथवाला

आबादी 5241
पुरुष 2741
महिलाएं 2500
रकबा   270 हैक्टेयर
मकान    994
साक्षरता 79.3
मतदाता 1875
आंगनबाड़ी सैंटर

गांव गोद लेने के लिए शर्तें 
*कम से कम आबादी 5600
*नैशनल हाइवे के पास होना चाहिए

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