Edited By Updated: 07 Mar, 2017 10:40 AM
सिविल जज जसबीर सिंह की अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए 29 दिसम्बर 2005 को कथित नीलामी द्वारा करोड़ों रुपए की सम्पत्ति पौने पांच लाख रुपए में खरीदने के विरुद्ध दायर की गई याचिका स्वीकार कर ली है और राजस्व विभाग को निर्देश जारी किया है कि वह...
अबोहर(भारद्वाज): सिविल जज जसबीर सिंह की अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए 29 दिसम्बर 2005 को कथित नीलामी द्वारा करोड़ों रुपए की सम्पत्ति पौने पांच लाख रुपए में खरीदने के विरुद्ध दायर की गई याचिका स्वीकार कर ली है और राजस्व विभाग को निर्देश जारी किया है कि वह संबंधित रिकार्ड में आवश्यक संशोधन करे। पंजाब नैशनल बैंक ने 29 अगस्त 2012 को संजय आहूजा, अशोका कॉटन कंपनी, महिन्द्र प्रताप व रामदयाल गर्ग दोनों निवासी कालेज रोड अबोहर के विरुद्ध एक याचिका दायर की थी जिसमें 2005 में अशोक कॉटन कंपनी के स्वामित्व वाली करोड़ों रुपए की इमारत धोखे से मात्र पौने पांच लाख रुपए में बेचने पर आपत्ति जताई गई थी। इसी प्रकरण में कथित नीलामी पर आपत्ति जताने वालों में लाल सिंह एंड संस व बिहारी लाल भूपिन्द्र राय आहूजा भी शामिल थे।
बैंक के पक्ष में डैब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल ने 61 लाख रुपए की वसूली के लिए डिग्री जारी की हुई थी। इसके बावजूद उक्त कर्जधारक की सम्पत्ति राजस्व विभाग के माध्यम से कथित नीलामी द्वारा महिन्द्र प्रताप व राम दयाल गर्ग ने मात्र 4 लाख 75 हजार रुपए में खरीद ली। खरीदारों व विभागीय अधिकारियों ने दावा किया था कि नीलामी से पूर्व नोटिस चिपकाया गया और मुनियादी भी करवाई गई। आपत्ति जताने वालों में इसे चुनौती देते हुए सारी प्रक्रिया को संदिग्ध करार दिया। अदालत ने अपने फैसले में लिखा है कि याचिका दायर करने वाले यह प्रमाणित करने में सफल हो गए हैं कि इस नीलामी में घोटाला हुआ है इसलिए 29 दिसम्बर 2005 को की गई बिक्री प्रक्रिया रद्द की जाती है और राजस्व विभाग को निर्देश दिया जाता है कि संबंद्ध सरकारी रिकार्ड में संशोधन किया जाए। सम्पत्ति खरीदने वाले अपनी रकम वसूल करने के लिए न्यायिक प्रक्रिया अपनाने को स्वतंत्र हैं।