Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Mar, 2018 09:13 AM
सीलिंग के मुद्दे को लेकर दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी में नजदीकियां बढ़ती नजर आ रही हैं। इसका प्रत्यक्ष सबूत गत दिवस दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा दिल्ली में चल रही सीलिंग को लेकर अपने घर में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में...
जालंधर(बुलंद): सीलिंग के मुद्दे को लेकर दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्टी में नजदीकियां बढ़ती नजर आ रही हैं। इसका प्रत्यक्ष सबूत गत दिवस दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा दिल्ली में चल रही सीलिंग को लेकर अपने घर में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में देखने को मिला जिसमें दिल्ली कांग्रेस कमेटी की ओर से तो बढ़-चढ़कर भाग लिया गया पर दिल्ली भाजपा ने इस बैठक का बायकॉट किया। नाराज भाजपा नेताओं ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि असल में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
उधर, बैठक में सीङ्क्षलग के मुद्दे पर कांग्रेस और ‘आप’ नेताओं ने एक सुर होते हुए सीलिंग से दिल्ली को बचाने के लिए कई नए फार्मूले निकाले। इनमें से एक तो सुप्रीम कोर्ट की मॉनीटरिंग कमेटी से एक प्रतिनिधिमंडल बनाकर मिलना शामिल था। दोनों पार्टियों कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं ने सीङ्क्षलग का जमकर विरोध किया। दोनों पार्टियों की आपसी रजामंदी को देखते हुए राजनीतिक विशेषज्ञों द्वारा अनुमान लगाया जा रहा है कि हो सकता है कि मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का यह फ्रैंडली मैच लंबा चले। उधर, सीलिंग के मुद्दे पर कांग्रेस प्रधान राहुल गांधी के एक ट्वीट पर केजरीवाल ने उनका समर्थन किया। पंजाब के सियासी माहिरों के अनुसार दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में बढ़ती नजदीकियों का असर पंजाब में भी देखने को मिल सकता है। उनका मानना है कि आम आदमी पार्टी ने पंजाब में पिछले कई चुनावों में लगातार मुंह की खाई है।
2014 लोकसभा चुनावों में शानदार जीत के बाद से आम आदमी पार्टी पंजाब में लगातार कमजोर हुई है। विधानसभा चुनावों में महज 20 सीटों तक सीमित रह कर पार्टी ने बड़ी हार का मुंह देखा था। उसके बाद निगम चुनाव में तो पार्टी का सूपड़ा ही साफ हो गया। ऐसे में पंजाब में अपनी साख बचाने के चक्कर में लगी आम आदमी पार्टी के लिए अब कोई न कोई सियासी दोस्त बनाना लगातार जरूरी होता जा रहा है। दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी लगातार कमजोर हुई है, ऐसे में पार्टी का कांग्रेस के साथ नजदीकियां बढ़ाना 2019 लोकसभा चुनाव की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें कोई बड़ी बात नहीं होगी अगर आगामी लोकसभा चुनावों में बनने वाले महागठबंधन में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों एक साथ नजर आएं। अगर ऐसा होता है तो पंजाब में भी आप पार्टी को कांग्रेस का साथ देना पड़ सकता है, क्योंकि पंजाब में इस समय आम आदमी पार्टी की हालत इस कदर खस्ता है कि पार्टी के अधिकतर वफादार वर्कर और कई बड़े नेता पार्टी को छोड़कर कांग्रेस या अकाली दल का हाथ थाम चुके हैं।