आम आदमी पार्टी ने ‘हित्तों के टकराव’ बिल के मुद्दे पर फिर किया वॉकआउट

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Mar, 2018 04:40 PM

आम आदमी पार्टी के विधायकों ने आज फिर विधानसभा से हंगामा कर वॉकआउट कर  पंजाब सरकार खिलाफ  नारेबाजी की गई।

चण्डीगढ़(शर्मा) : आम आदमी पार्टी के विधायकों ने आज फिर विधानसभा से हंगामा कर वॉकआउट कर  पंजाब सरकार खिलाफ  नारेबाजी की गई।  विधान सभा में विरोधी पक्ष के नेता सुखपाल खैहरा का कहना है कि सदन में विरोधियों की आवाज को दबा अच्छे कानून बनाने से रोका जा रहा है।
 
विधायक अमन अरोड़ा की ओर से पेश किए हितों के टकराव बिल को मंजूरी न मिलने पर सदन का बाइकाट किया। आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के सह-प्रधान और सुनाम से विधायक अमन अरोड़ा ने ‘हितों के टकराव‘के मुद्दे पर सख्त कानून बनाने के लिए पंजाब विधानसभा के स्पीकर राणा के.पी. सिंह को प्राईवेट मैंबर बिल ‘दा  पंजाब अनसीटिंग ऑफ मैंबर्ज ऑफ पंजाब लेजिस्लेटिव असंबली फाऊंड इन्वालड इन कन्फलिक्कट ऑफ इंट्रस्ट बिल 2018’ पेश करने की इजाजत मांगी थी। 


विधानसभा के बाहर पत्रकारों को संबोधित करते हुए अमन अरोड़ा ने बताया कि ‘हितों के टकराव‘ सम्बन्धित इस बिल के दायरे में राज्य के मुख्यमंत्री, मंत्री और सभी विधायक शामिल थे, यदि इनमें से कोई भी सत्ता और अपने रुतबे का दुरुपयोग करते हुए सरकारी खजाने की कीमत पर अपना निजी लाभ लेता है तो 6 महीनों के अंदर-अंदर उस विधायक को उसके पद से बर्खास्त करने का प्रावधान था। 


अमन अरोड़ा ने बताया कि ‘हितों के टकराव रोकू कानून ‘का उद्देश्य ही सत्ता और पद के दुरुपयोग को रोकना था। इसलिए जो भी जनप्रतिनिध अपने निजी हितों, वित्तीय और व्यापारिक लेन-देन में प्रत्क्ष व अप्रत्क्ष तौर पर राज्य और राज्य की जनता के हितों को दाव पर लगाने का आरोपी पाया जाता हैं तो उसकी बतौर विधायक सदस्यता रद्द कर दी जाए। 

 

अमन अरोड़ा ने सरकार की नीति और नीयत पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि यह बात समझ नहीं आ रही कि सरकार ने इस दिशा में उचित व ठोस कदम क्यों नहीं उठाए? जबकि इस कानून को लागू करने के लिए सरकारी खजाने पर कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ भी नहीं पड़ता। इतना ही नही अरोड़ा ने सरकार की नीति और नीयत पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि यह बात समझ नहीं आ रही कि सरकार ने इस दिशा में उचित व ठोस कदम क्यों नहीं उठाए? जबकि इस कानून को लागू करने के लिए सरकारी खजाने पर कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ भी नहीं पड़ता। इतना ही नहीं यह कानून राजनैतिक लोगों द्वारा पदों का दुरुपयोग करके सरकारी खाजने की की जा रही लूट को रोकने में मदद करता। अमन अरोड़ा ने अफसोस जताते हुए कहा कि सत्ता और शक्तियों को निजी हितों के लिए दुरुपयोग कर पंजाब के सत्तारुढ़ राजनीतिक दलों ने आज पंजाब को अढ़ाई लाख करोड़ रुपए का ऋणी और वित्तीय तौर पर कंगाल कर दिया है।  

 

अमन अरोड़ा ने मांग किया कि इस बिल को पारदर्शिता के साथ लागू करने के लिए पांच सदस्यीय आयोग गठित किया जाए। इस आयोग का प्रमुख सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट का पूर्व जज हो और बाकी चार सदस्य कानून, अर्थ शास्त्र, पत्रकारिता, रक्षा सेवाएं और शिक्षा आदि के क्षेत्र में अहम योगदान डालने वाले बेदाग शख्सियतों में से लिए जाएं। इस आयोग की अवधि 6 वर्ष के लिए हो और आयोग के प्रमुख और सदस्यों के चुनाव के लिए ‘सिलैक्ट कमेटी‘ में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और वरिष्ठता के अनुसार दूसरा वरिष्ठ जज, मुख्य मंत्री, स्पीकर और नेता प्रतिपक्ष शामिल हों।  अमन अरोड़ा ने ‘हितों के टकराव रोकू कानून‘को वक्त की जरूरत बताया और कहा कि इस कानून के आने से सत्ता शक्ति और पद के दुरुपयोग पर नकेल कसी जा सकती है।  

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