बुड़ैल जेल में बंद इस खतरनाक अपराधी का नया कारनामा आया सामने

Edited By Vatika,Updated: 24 Apr, 2021 01:42 PM

a new act of this dangerous criminal in budail jail

कुख्यात अपराधी और डी.एस.पी. जगबीर पर फायरिंग करने के मामले में 5 साल की सजा काट रहे गुरदासपुर निवासी राजन भट्टी से

चंडीगढ़ः कुख्यात अपराधी और डी.एस.पी. जगबीर पर फायरिंग करने के मामले में 5 साल की सजा काट रहे गुरदासपुर निवासी राजन भट्टी से बुड़ैल जेन की बैरक नंबर 20 में मोबाइल फोन बरामद हुआ है। राजन भट्टी ने मोबाइल फोन, ईयर फोन और सिम निक्कर में छिपा रखा था। सजायाफ्ता राजन भट्टी के पास ओपो का मोबाइल फोन और एयरटेल का सिम बरामद हुआ है। बुड़ैल जेल सुपरिटैंडैंट अमनदीप सिंह की शिकायत पर सैक्टर-49 थाना पलिस ने गुरदासपुर निवासी राजन भट्टी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। इससे पहले 2018 में भी राजन भट्टी से 3 मोबाइल फोन बरामद हुए थे। उसके पिता पंजाब पुलिस में हैड कास्टेबल है। 

जेल वार्डन ने देखा
जेल सुपरिटैंडैंट अमनदीप सिंह ने पुलिस को बताया कि जेल के कंट्रोल रूम में तैनात वार्डन सुरमुख को 22 अप्रैल सुबह 10 बजे बैरक नं. 15 में बंद सजायापता कैदी राजन भट्ठी संदिग्ध हरकतें करते दिखा। वह कुछ छिपा रहा था। सुरमुख ने सूचना उन्हें दी। वह वैल्फेयर अफसर दीप कुमार के साथ राजन भट्टी की बैरक में गए। उन्होंने भट्टी के कपड़े चैक किए तो लोवर और निक्कर में मोबाइल फोन, ईयरफोन और मोबाइल सिम कार्ड बरामद हुआ। 

जैमर लगे हैं, फिर भी व्हाट्सएप्प कॉल करता था
सूत्रों मुताबिक कैदी कॉल करने के लिए व्हाट्सएप्प का इस्तेमाल करता था। जेल में मोबाइल का इस्तेमाल न हो, इसलिए प्रशासन ने जैमर लगाए हुए हैं। इसलिए यह जांच का विषय है कि कैदी जेल में कैसे मोबाइल इस्तेमाल कर रहा था। इसमें जेल स्टाफ पर भी शक जताया जा रहा है क्योंकि जेल में आम लोगों की एंट्री नहीं है। वहीं यदि पेशी के लिए कैदियों को बाहर भी लेकर जाना होता है तो वापसी समय उनकी कई जगह चैकिंग होती है। इस कारण मोबाइल अंदर लेकर जाना असंभव है। इसलिए यहां से साफ़ है कि उसे किसी जेल स्टाफ मैंबर ने ही मोबाइल उपलब्ध करवाया है। 

जुलाई 2018 में भट्टी की बैरक में से मिले थे 3 सिम
बुड़ैल ज़ैल में सजा काट रहे कैदी राजन भट्टी के पास से जुलाई 2018 में उसकी बैरक में से 3 मोबाइल फ़ोन और सिम मिले थे। उस समय भी जेल सुपरिटैंडैंट अमनदीप की शिकायत पर राजन भट्टी पर सैक्टर -49 थाने में एफ. आई. आर. हुई थी। आरोप है कि वह व्हाट्सएप्प के ज़रिए अपने साथियों के साथ बातचीत करता था। मामले की जांच क्राइम ब्रांच को दी गई थी लेकिन जेल अंदर मोबाइल फ़ोन कैसे पहुंचे, क्राइम ब्रांच भी यह जानकारी हासिल नहीं कर सकी थी। 

क्राइम ब्रांच ने पकड़ा थी राजन भट्टी को
16 मई 2015 को क्राइम ब्रांच में तैनात इंस्पैक्टर गुरमुख सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम ने राजन भट्टी पर ट्रैप लगाया हुआ था। भट्टी चंडीगढ़ सैक्टर -31 थाने में दर्ज केस के अलावा कई मामलों में फ़रार चल रहा था। वारदात वाले दिन एस. आई. अशोक कुमार को सूचना मिली थी कि भट्टी सैक्टर -9 के एक सैलून में है। क्राइम ब्रांच के डी.एस. पी. जगबीर सिंह और एस. आई. अशोक कुमार पुलिस टीम को साथ लेकर उसे गिरफ़्तार करने गए थे। भट्टी ने जगबीर को देखते ही भागने की कोशिश की। पुलिस ने उसका पीछा किया। इस दौरान भट्टी ने पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी थी। भट्टी की तरफ से चलाई गई गोली एस.आई. अशोक कुमार के पास से निकल गई थी। बाद में उसे गिरफ़्तार कर लिया गया था। इसके बाद राजन भट्टी ज़िला अदालत से कांस्टेबल हरबंस को चकमा देकर अपने साथियों के साथ फ़रार हो गया था। सैक्टर -36 थाना पुलिस ने राजन भट्टी और कांस्टेबल हरबंस पर मामला दर्ज किया था। बाद में राजन भट्टी को 5 साल की सज़ा हुई थी।    

 

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