Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Oct, 2017 11:47 AM
गुरदासपुर व पठानकोट जिलों में करोड़ों रुपए की लागत से लोगों को रास्ता दिखाने के लिए बनाए गए विशाल साइन- बोर्ड इस समय जिला प्रशासन तथा संबंधित विभाग की कार्यप्रणाली पर कई तरह के प्रश्न-चिन्ह लगा रहे हैं।
गुरदासपुर (विनोद) : गुरदासपुर व पठानकोट जिलों में करोड़ों रुपए की लागत से लोगों को रास्ता दिखाने के लिए बनाए गए विशाल साइन- बोर्ड इस समय जिला प्रशासन तथा संबंधित विभाग की कार्यप्रणाली पर कई तरह के प्रश्न-चिन्ह लगा रहे हैं।
लोगों का कहना है कि जिस चीज को प्रशासन संभाल ही नहीं सकता, उस पर करोड़ों रुपए खर्च करने का लाभ क्या है? इससे जिला प्रशासन की भी बदनामी होती है। जिला गुरदासपुर में करोड़ों रुपए खर्च करके जिला प्रशासन ने लोक निर्माण विभाग के माध्यम से मुख्य सड़कों पर लोगों की सुविधा के लिए विशाल बोर्ड लगवाए थे। कहा जाता है कि एक-एक बोर्ड पर 50 से 60 हजार रुपए खर्च किए गए थे परंतु अब यदि इन बोर्डों की हालत देखी जाए तो ऐसे लगता है कि संबंधित विभाग तथा जिला प्रशासन इन मुख्य सड़कों पर लगाए गए विशाल बोर्ड्स को भूल गया है। जिला गुरदासपुर में अधिकतर बोर्ड टूट चुके हैं तथा मात्र ढांचे की खड़े दिखाई देते हैं।
गुरदासपुर से मुकेरियां जाने वाली सड़क पर पुराना शाला के पास पुराना शाला बस अड्डे के दोनों तरफ ये बोर्ड लगाए गए थे जिन पर चंडीगढ़, होशियारपुर सहित आसपास के मुख्य कस्बों को जाने वाले रास्तों सहित दूरी की जानकारी लिखी गई थी परंतु अब ये दोनों बोर्ड दिखाई नहीं देते, केवल ढांचे ही खड़े दिखाई देते हैं। इसी तरह कलानौर कस्बे में एक विशाल बोर्ड लगा हुआ था, जिस पर गुरदासपुर सहित ऐतिहासिक स्थल अकबर बादशाह की ताजपोजी वाले स्थान के बारे में जानकारी थी जबकि वहां भी मात्र ढांचा ही खड़ा दिखाई देता है। यही हालत जिले में लगे अन्य बोर्डों की बनी हुई है।
उच्च स्तरीय जांच करने की मांग
इस संबंधी भाजपा जिला गुरदासपुर के जिला प्रधान प्रदीप शर्मा, नगर कौंसिल गुरदासपुर के पूर्व प्रधान राकेश ज्योति, पूर्व भाजपा जिला प्रधान अशोक वैद, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुधीर वालिया सहित अन्य नेताओं ने आरोप लगाया कि यदि सरकार, जिला प्रशासन व संबंधित विभाग करोड़ों रुपए खर्च कर बनाई चीजों की संभाल नहीं कर सकता तो फिर इतनी राशि बर्बाद करने का क्या लाभ? उन्होंने इस संबंधी उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।