‘पवित्र स्वरूपों’ का मामला: बादल परिवार व शिरोमणि कमेटी विरुद्ध 7 प्रस्ताव पास

Edited By Vaneet,Updated: 18 Sep, 2020 10:51 AM

7 resolutions passed against badal family and shiromani committee

गुरुद्वारा श्री रामसर साहिब में 328 पवित्र स्वरूपों की हुई बेअदबी के मामले में दल खालसा...

अमृतसर(अनजान): गुरुद्वारा श्री रामसर साहिब में 328 पवित्र स्वरूपों की हुई बेअदबी के मामले में दल खालसा, अमृतसर अकाली दल, यूनाइटिड अकाली दल व अलग-अलग जत्थेबंदियों की श्री अकाल तख्त साहिब के सम्मुख हुई सभा में बादल परिवार व शिरोमणि कमेटी विरुद्ध आगे की रणनीति तय कर 7 प्रस्ताव पास किए गए। 

इसमें अलग-अलग जत्थेबंदियों के अलावा शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (सरना), जागो पार्टी दिल्ली (मनजीत सिंह जी.के.) और हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान जत्थेदार बलजीत सिंह दादूवाल, अकाली दल (अमृतसर) के ईमान सिंह मान, जत्थेदार ध्यान सिंह मंड, ज्ञानी केवल सिंह, नारायण सिंह चौड़ा, कंवरपाल सिंह बिट्टू व जसविंद्र सिंह एडवोकेट के अलावा अन्य नामवर शख्सियतों ने अपने विचार रखे। आखिर में विचार-विमर्श उपरांत अकाल फैडरेशन के नारायण सिंह चौड़ा ने सर्वसम्मति से पास किए गए 7 प्रस्ताव पढ़ कर सुनाए। 

दल खालसा के महासचिव और वक्ता कंवरपाल सिंह बिट्टू ने कहा कि 328 लापता पवित्र स्वरूपों के मामले में पंथक जत्थेबंदियों की सभा श्री अकाल तख्त साहिब के सम्मुख बुलाई गई थी, जिसमें सर्वसम्मति से अगली रणनीति तय करते हुए जरूरी फैसले लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि जो स्वरूप लापता हैं, वह हमारे लिए लापता हैं, परन्तु उनके लिए नहीं जिन्होंने किए हैं, क्योंकि उनको सब पता है। वे अपना गुनाह छिपाने के लिए इस बारे कुछ नहीं बता रहे। 

शिरोमणि कमेटी आरोपी है, परन्तु अपने आरोपों को छिपाने के लिए वह नित्य नया झूठ बोल रही है। इसने गुरुसाहिब का व्यापार किया है। शिरोमणि कमेटी प्रधान और कार्यकारिणी नैतिक तौर पर जिम्मेदार है और वह अपनी तरफ से नियुक्त किए जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के आगे पेश होकर अपने-अपने इस्तीफे पेश करें। यदि भाई गोबिंद सिंह लौंगोवाल और कार्यकारिणी ने इस्तीफे न दिए तो 22 सितम्बर को लौंगोवाल और अगर जरूरत पड़ी तो सुखबीर सिंह बादल के घर आगे भी धरने दिए जाएंगे। 

उन्होंने कहा कि यदि ज्ञानी हरप्रीत सिंह शिरोमणि कमेटी प्रधान और कार्यकारिणी को केवल बर्तन साफ करने की ही सेवा लगा कर बख्श देंगे तो कौम उनको कटघरे में खड़ा करेगी। यह उनका इम्तिहान है, क्योंकि न तो जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहरा के समय पर भाई रणजीत सिंह और न ही बादलों के समय पर ज्ञानी जोगिन्द्र सिंह वेदांती कोई फैसला ले सके, इसलिए ज्ञानी हरप्रीत सिंह की भी बहुत बड़े इम्तिहान की घड़ी है कि जिस कमेटी ने उनको अप्वाइंट किया क्या उनके विरुद्ध वह कोई फैसला ले सकते हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि 28 सितम्बर के बजट इजलास में जो भी मैंबर शामिल होने के लिए जाएंगे, जत्थेबंदियां श्री हरिमंदिर साहिब के चारों तरफ घेरा डालकर उनको कहेंगी कि आप अंदर जाकर श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की हुई बेअदबी का हिसाब लें और वापस आने पर हम आपको पूछेंगे कि क्या करके आए हो। 

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