40 घंटे बाद हुआ घनश्याम के अधजले शव का अंतिम संस्कार

Edited By swetha,Updated: 11 Sep, 2018 08:56 AM

40 hours after the funeral of the dead body of ghanshyam

: 1 लाश के लिए 2 बार चिता सजाई गई। पहली बार यह चिता रविवार देर शाम को जलाई गई, लेकिन अधजली लाश को चिता बुझाकर उठा कर पुलिस के मदद से पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।  दूसरी बार चिता सोमवार को तब जली  जब मैडिकल बोर्ड बनाकर शव का पोस्टमार्टम हुआ। 40 घंटे...

अमृतसर(स.ह.) : 1 लाश के लिए 2 बार चिता सजाई गई। पहली बार यह चिता रविवार देर शाम को जलाई गई, लेकिन अधजली लाश को चिता बुझाकर उठा कर पुलिस के मदद से पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।  दूसरी बार चिता सोमवार को तब जली  जब मैडिकल बोर्ड बनाकर शव का पोस्टमार्टम हुआ। 40 घंटे बाद 40 वर्षीय मृतक की चिता को दूसरी बार दिव्यांग भाई इन्द्रजीत अग्नि देते हुए खुद को संभाल न सका और श्मशानघाट में फूट-फूट कर रो पड़ा। हम बात कर रहे हैं उस घनश्याम दास की जो पिछले 3 सालों से हकीमां गेट स्थित आर.आर डाइंग में काम करता था। शनिवार देर शाम उसकी रहस्यमय ढंग से मौत हो गई थी। 

कारखाना मालिक ने मौत का कारण हार्ट अटैक बताया जबकि उत्तर प्रदेश कल्याण परिषद (यू.पी.के.पी.) ने मौत के पीछे करंट लगने का कारण पुलिस को बताते हुए अंतिम संस्कार को रोकने की बात करती रही। उधर, शहीदा साहिब के समीप श्मशानघाट में घनश्याम दास की चिता को अग्नि दे दी गई। इसी बीच यू.पी.के.पी. के सैकड़ों सदस्यों व पदाधिकारियों ने श्मशानघाट में पहुंच कर जल रही चिता को बुझा कर शव को  पुलिस की मदद से पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। यू.पी.के.पी. के प्रधान शंकर उपाध्याय व प्रवक्ता ने रामभवन गोस्वामी सहित पदाधिकारियों व सैकड़ों परिषद के सदस्यों ने इस मामले में जब दबाव बनाया तो पुलिस के साथ-साथ कारखाना मालिकों को ‘होश’ आया। 

‘पंजाब केसरी’ ने इस खबर को प्रमुखता से जगह दी तो प्रशासन भी हिल गया। आनन-फानन में मैडिकल बोर्ड का गठन करने की सिफारिश सिविल अस्पताल से की गई और उसके बाद मैडिकल बोर्ड ने सरकारी मैडिकल कालेज में पोस्टमार्टम करके शव को अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को सौंपा। मृतक के परिजन लुधियाना व दिल्ली से अमृतसर पहुंच गए। इसी बीच मामले को तूल पकड़ता देख कारखाना मालिक ने 3 लाख रुपए मृतक के परिजनों को देने का आह्वान किया। यू.पी.के.पी. ने अंतिम संस्कार को लेकर सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद पुलिस की मौजदूगी में 2 बार घनश्याम दास की चिता को अग्नि दिलवाई। 

‘पंजाब केसरी’ ने मृतक के परिजनों से की फोन पर बातचीत

सावित्री बोली! हे राम मेरा सुहाग क्यों छीना 
मृतक घनश्याम की पत्नी सावित्री कहती है कि हे राम! मेरा सुहाग क्यों छीन लिया। मैं कितनी अभागिन हूं कि अपने पति को यमराज से सावित्री होने के बावजूद वापस नहीं ला सकी। अब कौन करेगा मेरी व मेरे बच्चों की परवरिश।

भाई ने कहा! पिता दशरथ को क्या दूंगा जवाब 
मृतक घनश्याम के भाई इन्द्रजीत ने कहा कि मैं पिता दशरथ प्रसाद को क्या जवाब दूंगा। हम 4 भाई थे। सबसे बड़ा घनश्याम को विधाता ने छीन लिया। इसके पहले सबसे छोटा भाई राजकुमार करीब 1 साल पहले मौत ने गोद में ले लिया। पिता की बूढ़ी आंखें पहले ही पथरा गई हैं, अब तो दिल भी पत्थर हो गया है। न कुछ बोलते हैं न कुछ कहते हैं। बस एकटक देखते रहते हैं। 

बिलख रहे हैं बच्चे, रो रहा है गांव 
मृतक घनश्याम के 3 संतानें हैं। सबसे बड़ा बेटा कुलदीप (12), बेटी पूजा (9) व सबसे छोटी बेटी (6) का रो-रो कर बुरा हाल है। बच्चे बिलख रहे हैं और गांव रो रहा है। 

हे राम! मुझे उठा लेता, मेरा घनश्याम बचा देता : दशरथ 
पिता दशरथ कहते हैं कि हे राम! मेरे साथ ही क्यों इतना अन्याय हो रहा है। मुझे किस जन्मों की सजा मिल रही है, मुझे उठा लेता और मेरे बेटे घनश्याम को बचा देता। 

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