Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Aug, 2017 04:40 AM
राज्य भर के सरकारी स्कूलों में 40,000 से अधिक कम्प्यूटर डिब्बा बन चुके हैं। शिक्षा विभाग द्वारा कम्प्यूटरों ...
अमृतसर(दलजीत): राज्य भर के सरकारी स्कूलों में 40,000 से अधिक कम्प्यूटर डिब्बा बन चुके हैं। शिक्षा विभाग द्वारा कम्प्यूटरों की मुरम्मत न करवाने से करोड़ों की मशीनरी पड़ी जंग खा रही है। विभाग पुराने कम्प्यूटरों की देख-भाल तो कर नहीं रहा बल्कि लाखों रुपए खर्च कर स्कूलों को हर वर्ष नए कम्प्यूटर दिए जा रहे हैं। विभाग की नालायकी के कारण सरकारी खजाने पर करोड़ों रुपए का बोझ पड़ रहा है।
जानकारी के अनुसार पंजाब सरकार ने सरकारी स्कूलों के विद्याॢथयों को कम्प्यूटर शिक्षा देने के लक्ष्य से भारत सरकार के एम.एच.आर.डी. मंत्रालय से समझौता करके वर्ष 2005 में शिक्षा विभाग के अंतर्गत आई.सी.टी. पिक्टस प्रोजैक्ट शुरू किया था। प्रोजैक्ट के पहले चरण में राज्य के सीनियर सैकेंडरी स्कूलों में कम्प्यूटर मुहैया करवाए गए।
प्रोजैक्ट के सफल परिणाम को देखते हुए विभाग ने 2006 में दूसरा चरण शुरू कर सीनियर सैकेंडरी स्कूलों तथा हाई स्कूलों में प्रति 40 विद्याॢथयों पर एक कम्प्यूटर उपलब्ध करवा दिया। लगभग हर स्कूल में 10-15 कम्प्यूटर विभाग द्वारा भेजे गए। इसी तरह 2007 में तीसरे, 2008 में चौथे, 2009 में 5वें व 2010 में छठे पड़ाव के तहत हर वर्ष स्कूलों को कम्प्यूटर उपलब्ध करवाए गए। विभाग ने उक्त कम्प्यूटरों की मुरम्मत की जिम्मेवारी समय-समय पर एस.सी.एल., जैमिनी तथा टी.सी.एस. कंपनी को दी। कंपनी के कर्मचारी संबंधित स्कूल से शिकायत आने पर तुरंत कम्प्यूटर को ठीक करने जाते थे। 2010 के बाद कंपनियों का समझौता खत्म हो गया, तब से ये कम्प्यूटर मुरम्मत न होने के कारण स्कूलों में डिब्बा बनकर रह गए हैं।
जिले में भी 40,000 से अधिक कंडम कम्प्यूटर
पंजाब में इस समय 40 हजार से अधिक कम्प्यूटर स्कूलों में पड़े जंग खा रहे हैं जबकि जिला अमृतसर में उक्त कम्प्यूटरों की संख्या 4 हजार से अधिक है। विभाग ने पुराने कम्प्यूटरों की मुरम्मत करवाने की बजाए वर्ष 2012 में ई-लैब प्रोजैक्ट के तहत राज्य के सभी स्कूलों में फिर से नए कम्प्यूटर उपलब्ध करवा दिए। सरकारी स्कूलों में नए कम्प्यूटरों से काम लिया जा रहा है जबकि पुराने कम्प्यूटरों को कंडम करके स्टोर रूम में जंग खाने के लिए रख दिया गया है।
कम्प्यूटर की मुरम्मत के लिए नहीं मिलती ग्रांट
सरकारी स्कूलों में सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च करके कम्प्यूटर तो उपलब्ध करवा दिए गए है परन्तु अफसोस की बात है कि कम्प्यूटर में दिक्कत आ जाने पर उसे ठीक करवाने के लिए मुखी के पास कोई ग्रांट नहीं होती। कम्प्यूटर की मुरम्मत की ग्रांट न आने के कारण अक्सर ही छोटी-छोटी दिक्कतों के कारण कम्प्यूटरों में बड़ी समस्या आ जाती है तथा वह लम्बें समय के लिए बंद हो जाता है। पंजाब के अधिक्तर सरकारी स्कूलों में ऐसे हजारों कम्प्यूटर है जो मामूली मुरम्मत के कारण खराब पड़े है।
स्कूलों से कम्प्यूटर अक्सर हो जाते है चोरी
सरकारी स्कूलों से कम्प्यूटर चोरी की घटनाएं आम हैं। स्कूलों में रात के समय सुरक्षा कर्मचारी न होने के कारण चोर कम्प्यूटरों को अपना निशाना बनाते हैं। आंकड़ों के अनुसार स्कूलों से अभी तक सैंकड़ों कम्प्यूटर इसी कारण चोरी हो गए है कि जिस कमरे में वे रखे जाते हैं, उस कमरे में प्रमुख या स्कूल का स्टाफ कई-कई दिन जाकर देखता ही नहीं है। विभाग ने प्रमुखों को निर्देश दिए हैं कि तुरंत कम्प्यूटर चोरी की एफ.आई.आर. लांच करवाकर विभाग को उसकी कापी भेजी जाए। विभाग के इस निर्देश से चोरी की घटनाएं तो कम नहीं होतीं बल्कि सरकारी फाइलों का पेट जरूर भर जाता है।
स्कूल प्रमुखों के लिए सिरदर्दी बने कंडम कम्प्यूटर
सरकारी स्कूलों में पड़े कंडम कम्प्यूटर स्कूल प्रमुखों के लिए सिरदर्दी बने हुए हैं। वे स्कूलों में कमरे सीमित होने के बावजूद कम्प्यूटरों का रख-रखाव कर रहे हैं। विभाग न तो प्रमुखों को कम्प्यूटर बेचने दे रहा है, न ही वापस ले रहा है। हर वर्ष कंडम कम्प्यूटरों की संख्या बढ़ती जा रही है। स्कूल प्रमुख परेशान हैं कि वे कंडम कम्प्यूटरों का क्या करें।
विभाग जिम्मेवारी से भागा
पुराने कम्प्यूटरों की मुरम्मत करवाने के मामले में विभाग जिम्मेवारी से भाग रहा है। विभाग के उच्च अधिकारी कंडम कम्प्यूटरों को ठीक करवाने की बजाए नए कम्प्यूटर खरीदने पर लगे हुए हैं। नए कम्प्यूटर भी आखिर एक दिन कंडम होंगे। विभाग द्वारा समस्या का समाधान नहीं निकाला जा रहा बल्कि कमिशन के चक्कर में धड़ाधड़ नए कम्प्यूटर खरीदे जा रहे हैं।