Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jan, 2018 07:34 AM
पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान ही कांग्रेस में यह तय हो गया था कि यदि पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनती है तो सबसे पहले क्या काम करने हैं। विधानसभा चुनावों में नशे के साथ-साथ रेत, केबल, शिक्षा और ट्रांसपोर्ट माफिया भी सबसे बड़े मुद्दों के तौर पर उभर...
जालंधर(राकेश बहल, सोमनाथ कैंथ): पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरान ही कांग्रेस में यह तय हो गया था कि यदि पंजाब में कांग्रेस की सरकार बनती है तो सबसे पहले क्या काम करने हैं। विधानसभा चुनावों में नशे के साथ-साथ रेत, केबल, शिक्षा और ट्रांसपोर्ट माफिया भी सबसे बड़े मुद्दों के तौर पर उभर कर सामने आए थे। सियासी माहिरों के बीच यह आम चर्चा है कि कांग्रेस में यह पहले से ही तय हो गया था कि सरकार बनने पर इन मुद्दों पर क्या एक्शन लेना है।
इसके लिए जो भी प्लानिंग बनी उसकी सुरेश कुमार के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी थी। उन्हें सिस्टम को ठीक करने का जिम्मा सौंपा गया था इसलिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने सरकार बनते ही सुरेश कुमार की नियुक्ति चीफ प्रिंसीपल सैक्रेटरी के तौर पर की थी। सुरेश कुमार जब चीफ प्रिंसीपल सैक्रेटरी बने तो विपक्ष के 4 बड़े नेताओं को आभास हो गया था कि अब एक्शन हो सकते हैं और ये चारों नेता उनके खिलाफ हो गए थे तथा उन्होंने सरकार में अपने चहेते अफसरों को निर्देश दे दिए थे। सूत्रों का कहना है कि इन नेताओं का रेत, केबल, शिक्षा और ट्रांसपोर्ट पर कब्जा रहा है। पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि रेत के कारोबार पर नेताओं का कब्जा हो गया। इसी तरह से केबल के कारोबार को माफिया का नाम दिया गया था और ट्रांसपोर्ट पर भी ऐसे ही कब्जे के आरोप लगे थे। सूत्रों का कहना है कि सुरेश कुमार ने करोड़ों की कमाई करने वाले माफिया के कारोबारों पर नकेल कसनी शुरू कर दी थी। मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से माइनिंग अधिकारियों को बिना दबाव के काम करने के आदेश जारी किए गए थे। इसके साथ सभी जिलों के डी.सीज को भी कहा गया था कि वे नेताओं के दबाव में नहीं आएं। साथ ही केबल माफिया पर भी शिकंजा कसा जा रहा था। ऐसा कर चुनावों के दौरान उठे एक के बाद एक मुद्दे को सुलझाया जा रहा था। इसके साथ ही सिस्टम को भी दुरुस्त किया जा रहा था।
सर्विलांस पर सुरेश कुमार के विरोधी
जिन अफसरों और नेताओं पर आशंका है, ऐसे लोगों पर मुख्यमंत्री ने सॢवलांस बढ़ा दी है। इन लोगों के फोन टैप किए जा रहे हैं। यह पता लगाया जा रहा है कि ये लोग किन-किन से बात करते हैं और आपस में क्या बात होती है। इन लोगों की पिछले 10 महीनों की कॉल लिस्टें निकाली जा रही हैं। जहां ये हवन करके आए वहां से भी पता लगाया जा रहा है। मुख्यमंत्री यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनकी सरकार के खिलाफ
कौन साजिश रच रहा था
विजीलैंस जांच से दुखी थे कई बड़े लोग
पिछले कुछ समय से पिछली सरकार के कार्यकाल में हुए कुछ बड़े मामलों की जांच भी सुरेश कुमार की पहल पर शुरू की गई थी। पी.टी.यू. में हुए स्कैंडल का पर्दाफाश करने में भी इनका ही हाथ था। कुछ और बड़े मामले, खास तौर पर यूनिवर्सिचीज में हुए मामलों की जांच भी करवाई जा रही थी। ऐसा कर सुरेश कुमार ने अपने कई दुश्मन बना लिए थे।
अफसरों की एक बड़ी लॉबी नहीं कर रही थी सहयोग
अकाली-भाजपा गठबंधन की राज्य में 10 साल सरकार रही है। अभी केन्द्र में राजग की सरकार है। यह एक बड़ा कारण है कि सत्ता से बाहर होने के बाद भी सचिवालय में गठबंधन के पक्ष के अफसरों के हौसले बुलंद हैं। सूत्रों का कहना कि अफसरों का एक बड़ा खेमा किसी भी हाल में सरकार को फेल करना चाहता था इसलिए वर्तमान सरकार को कई बार तबादले करने पड़ रहे थे। सुरेश कुमार इस सिस्टम को ठीक करने की कोशिश कर रहे थे। इन अफसरों को ऐसा लगता था कि सुरेश कुमार के रहते उनके मंसूबे पूरे नहीं हो सकते।
पंजाब में शिक्षा माफिया
पंजाब में एक शिक्षा माफिया भी काम कर रहा है। यह माफिया अपने हितों के लिए पंजाब में बनने जा रहे एक कमीशन के खिलाफ था। सुरेश कुमार कमीशन के पक्ष में थे जिस कारण एक और माफिया उनका विरोध करने लगा था।