Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Dec, 2017 05:12 PM
कांग्रेस में पहली बार 33 वर्षों में सत्ता का बदलाव आसानी से हुआ अन्यथा इससे पहले बदलाव के समय कोई न कोई घटना अवश्य घटती रही। पिछले 4 ली
जालंधर(धवन): कांग्रेस में पहली बार 33 वर्षों में सत्ता का बदलाव आसानी से हुआ अन्यथा इससे पहले बदलाव के समय कोई न कोई घटना अवश्य घटती रही। पिछले 4 लीडरशिप परिवर्तन अनहोनी घटनाओं से होकर गुजरे जिसमें से 2 परिवर्तन तो इंदिरा गांधी तथा राजीव गांधी की हत्या के बाद हुए जबकि 2 परिवर्तन पी.वी. नरसिम्हाराव व सीताराम केसरी के साथ जुड़ी घटनाओं से संबंधित रहे हैं।
अब राहुल गांधी के हाथों में पार्टी की कमान आने जा रही है। वह अपनी मां सोनिया गांधी के स्थान पर कांग्रेस अध्यक्ष बनेंगे। राहुल के सामने संगठन व सियासी स्तर पर कई चुनौतियां होंगी। सोनिया गांधी ने 1998 में पार्टी की बागडोर संभाली थी। 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद कांग्रेसियों ने सोनिया से पार्टी की अध्यक्ष बनने का आग्रह किया था जिसे सोनिया ने ठुकरा दिया था।
1998 में कांग्रेसियों ने पुन: सोनिया से आग्रह किया जिस कारण कांग्रेस कार्यसमिति को सीताराम केसरी को पद से बर्खास्त करना पड़ा। कांग्रेस के 132 वर्षों के इतिहास में केसरी ही एकमात्र ऐसे अध्यक्ष थे जिन्हें पद से बर्खास्त करना पड़ा। 1996 में कांग्रेस को जब नरसिम्हाराव के नेतृत्व में हार मिली थी तो केसरी आगे आए थे। सभी कांग्रेसी नेताओं ने मिलकर राव को बाहर का दरवाजा दिखा दिया था। राव को कांग्रेस संसदीय दल के नेता पद से भी हटा दिया गया था। 1998 में राव को चुनाव लडऩे के लिए टिकट भी नहीं दी गई थी।
राव के हाथों में जब कमान आई तो 2 घटनाएं घटित हुई थी। पहली राजीव गांधी की हत्या हुई तथा दूसरा शंकर दयाल शर्मा से जुड़ी थी। शंकर दयाल को सोनिया पी.एम. पद के लिए आगे लाना चाहती थी परन्तु उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से इस आग्रह को स्वीकार नहीं किया था। इसी तरह से जब इंदिरा गांधी की हत्या हुई तो उसके बाद राजीन गांधी को आगे लाने का फैसला किया गया। इस तरह कांग्रेस की अतीत की घटनाएं विभिन्न विवादास्पद घटनाओं से जुड़ी रही। अब पहली बार लम्बे समय के बाद राहुल अध्यक्ष बनने जा रहे हैं।