बचपन पर भारी पड़ रहा है दो वक्त की रोटी का जुगाड़

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Nov, 2017 01:06 PM

30  of world  s poor children live in india

14 नवम्बर को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म दिवस बाल दिवस के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है।

गुरदासपुर  (दीपक): 14 नवम्बर को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म दिवस बाल दिवस के रूप में पूरे देश में मनाया जाता है। इस दिन विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी शिक्षण संस्थाओं व विभिन्न संस्थानों में होने वाले समारोहों दौरान उच्चाधिकारियों और नेता बाल मजदूरी रोकने के लिए बयानबाजी करते हैं। मगर बाल मजदूरी को अभी भी पूर्ण तौर पर रोका नहीं गया। असलियत यह है कि इस दिन के बाद दुकानों पर बाल्यावस्था में बर्तन साफ करते बच्चों को रोकने के लिए कभी भी सख्ती नहीं होती और अगर कहीं सख्ती होती भी है तो यह भी सिर्फ खानापूॢत के बराबर ही है जिससे शिक्षा की आयु में बच्चे सरेआम मजदूरी करके दो वक्त की रोटी कमाते हैं, जिन नन्हे हाथों में किताबें होनी चाहिएं, उनमें दो वक्त की रोटी के लिए जूठे बर्तन देखे जाते हैं। हैरानी की बात तो यह है कि पिछले वर्षों दौरान किसी भी बड़ी सामाजिक संस्था ने बाल मजदूरी को रोकने के लिए आवाज नहीं उठाई जिससे सरकार द्वारा बनाए एक्ट की धज्जियां उड़ रही हैं।

 

 

हमें कभी भी किसी ने मजदूरी करने से नहीं रोका : बाल मजदूर  
गुरदासपुर के विभिन्न स्थानों पर दुकानों और रेहड़ी लगाए बैठे बाल मजदूरों से बाल मजदूरी करने के कारणों बारे पूछा गया तो उन्होंने बताया कि वह एक गरीब घर से संबंधित हैं जिससे उनको मजदूरी करनी पड़ रही है। उनके घरों का खर्चा बड़ी मुश्किल से चल रहा है और दो वक्त की रोटी के लिए भी उनके घरों में लाले पड़े हुए हैं जिससे मजबूरीवश हमें दुकानों या फिर रेहड़ी लगाकर मजदूरी करनी पड़ रही है।

 

 

सरकारी फाइलों का शाृंगार बनकर रह गया है राइट-टू-एजुकेशन
आज पूरे शहर के विभिन्न होटलों व व्यापारिक संस्थानों के साथ-साथ कई घरों तथा मार्कीटों का दौरा किया गया। इस दौरान यह बात सामने आई कि बड़ी संख्या में छोटी आयु के बच्चे अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए मजदूरी करते हैं। भले ही केन्द्र सरकार ने नया कानून राइट-टू-एजुकेशन पास करके हर बच्चे के लिए शिक्षा जरूरी करार का संदेश दिया है। मगर एेसे हालातों में यह लगता है कि सरकार का यह कानून सिर्फ फाइलों का शृंगार बनकर रह गया है।

 

सरकार द्वारा बाल मजदूरी को रोकने के लिए बनाए गए एक्ट को सख्ती से लागू करने की जरूरत है। सिर्फ बाल दिवस वाले दिन इस संबंधी समारोह करवाने के साथ बाल मजदूरी खत्म नहीं होने वाली। अगर प्रशासन तथा सरकारें सचमुच बाल मजदूरी को रोकने के लिए वचनबद्ध हैं तो काम करते इन बच्चों को स्कूल पहुंचाने तक जरूरी कदम उठाए ताकि बाल मजदूरी पूरी तरह से रुक सके।     -सविंदर सिंह गिल, चेयरमैन

 

हमारा देश आगे बढ़ रहा है, वहीं बाल मजदूरी एक बड़ा और गंभीर ङ्क्षचता का विषय बनकर सामने आ रहा है। बाल मजदूरी को रोकने के लिए सरकार को चाहिए कि ठोस कदम उठाकर बच्चों को शिक्षा संबंधी जागरूक करे।    -ओम प्रकाश शर्मा, 
    प्रधान एंटी करप्शन ह्यूमन राइट्स 

 

 जिला प्रशासन द्वारा साल में एक बार सरकारी आदेशों पर मनाए जाते बाल मजदूरी विरोधी सप्ताह के दौरान ही दुकानों तथा अन्य स्थानों पर काम करते बच्चों को मजदूरी से मुक्त करने के लिए कार्रवाई होती है। मगर पूरा साल इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जाता। अगर बाल मजदूरी को समाज से खत्म करना है तो सरकार तथा संबंधित विभाग को निरंतर अमली तौर पर कार्रवाई करनी पड़ेगी।     -वरुण आनंद, प्रधान  वैल्फेयर सोसायटी 

 

सरकार द्वारा बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाल मजदूरी को रोकने के लिए एक टीम बनाकर विभिन्न स्थानों पर छापेमारी भी की जा रही है। बाल मजदूरी करने वाले बच्चों को पढ़ाई संबंधी जागरूक किया जाएगा। 
-बरिंदरमीत सिंह पाहड़ा, विधायक  

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!