Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Nov, 2017 05:09 AM
गली में खेलते-खेलते लगी भूख को मिटाने के लिए गिल नहर में बहते नारियल निकालने की कोशिश में घर के 2 चिराग बुझ गए।
पानी के तेज बहाव के चलते दोनों बच्चे डूब गए जबकि तीसरा बाल-बाल बच गया। उसके शोर मचाने पर एकत्रित हुए राहगीरों ने डूबे दोनों भाइयों की...
लुधियाना(पंकज): गली में खेलते-खेलते लगी भूख को मिटाने के लिए गिल नहर में बहते नारियल निकालने की कोशिश में घर के 2 चिराग बुझ गए। पानी के तेज बहाव के चलते दोनों बच्चे डूब गए जबकि तीसरा बाल-बाल बच गया। उसके शोर मचाने पर एकत्रित हुए राहगीरों ने डूबे दोनों भाइयों की काफी तलाश की परंतु उनका कुछ पता नहीं चला। मासूमों की तलाश में देर रात तक पुलिस गोताखोरों की सहायता से सर्च अभियान छेड़े हुए थी।
जानकारी के अनुसार पुलिस स्टेशन डाबा के अधीन आती डाबा कालोनी के रहने वाले विजय कुमार (ड्राइवर) के दोनों बेटे राहुल कुमार (13) व कृतिक (12) गली में खेलते-खेलते अपने मित्र मोहित कुमार (9) के साथ भूख मिटाने की इच्छा से गिल नहर पर पहुंच गए। जैसे ही कृतिक ने नहर के पानी में बहता नारियल निकालने के लिए आगे हाथ बढ़ाया, वैसे ही बैलेंस बिगडऩे से वह पानी में जा गिरा। छोटे भाई को पानी में गोते खाता देख घबराए राहुल ने भी पानी में छलांग लगा दी और कृतिक को पकडऩे का प्रयास किया।
पानी की गहराई ज्यादा होने और तैरना न आने की वजह से देखते ही देखते दोनों पानी में डूब गए, जिन्हें देख किनारे पर खड़े मोहित ने शोर मचाना शुरू कर दिया जिसकी चीख-पुकार सुनकर वहां रुके राहगीरों ने पानी में डूब चुके दोनों भाइयों को ढूंढने का काफी प्रयास किया परंतु उन्हें कुछ हाथ नहीं लगा, जिस पर उन्होंने तुरंत पुलिस को घटना की जानकारी दी। घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने तुरंत गोताखोरों की सहायता से सर्च अभियान शुरू कर दिया परंतु सर्दी व अंधेरा होने के कारण गोताखोर भी ज्यादा देर पानी में नहीं रह सके। उधर घटना में बाल-बाल बचे मोहित द्वारा दी जानकारी के तहत पुलिस ने पानी में डूबे भाइयों के परिवार को घटना की जानकारी दी। देर रात तक सर्च अभियान जारी था परंतु बच्चों को कोई अता-पता नहीं लगा।
डाबा कालोनी में छाया मातम
जैसे ही राहुल व कृतिक के डूबने की खबर डाबा कालोनी में पहुंची तो चारों तरफ हाहाकार मच गया। बच्चों के पिता विजय कुमार ने कहा कि उसने तो दोनों बेटों को साइकिल के ताले की चाबी लगवाने के लिए भेजा था परंतु वे नहर किनारे कैसे पहुंच गए, उन्हें समझ नहीं आ रहा। उधर, अपने दोनों बेटे गंवा चुकी मां ज्योति की हालत बेहद खराब थी। वह बार-बार अपने पति विजय से पूछ रही थी कि उसके दोनों जिगर के टुकड़े कहां हैं। वे चाबी लगवाकर अभी तक घर क्यों नहीं पहुंचे। कब घर आएंगे, उनका भोजन ठंडा हो रहा है।
पलक झपकते ही अपने दोनों बेटों को गंवा देने वाली मां का विलाप पत्थर दिल से भी आंसू निकलवाने वाला था। दोनों भाइयों की बहन भी अपने मम्मी-पापा से भाइयों के आने संबंधी बार-बार पूछ रही थी। घटना से पूरे डाबा क्षेत्र में मातम छा गया व मोहल्ले के लोग रातभर नहर के किनारे उन्हें ढूंढने में लगे हुए थे। थाना प्रभारी ने बताया कि ठंड व अंधेरा सर्च अभियान में खलल डाल रहा है। फिर भी टीमें डटी हुई हैं।