Edited By Vaneet,Updated: 10 May, 2018 05:01 PM
शमशानघाट हर मनुष्य के जीवन का आखिरी पड़ाव है लेकिन यह शमशानघाट भी जात-पात के आधार पर बंटे हुए हैं। कोई दलितों का श्मशान घाट तो ...
पटियाला: शमशान घाट हर मनुष्य के जीवन का आखिरी पड़ाव है लेकिन यह शमशान घाट भी जात-पात के आधार पर बंटे हुए हैं। कोई दलितों का शमशान घाट तो कोई जिमींदारों का तो कोई बाजीगर जाति का। जात-पात के इस भेदभाव को खत्म करने के लिए पटियाला से सांसद डा. धर्मवीर गांधी ने पहला कदम उठाया है और ये कदम है एक गांव-एक शमशान घाट।
गांधी का ये अभियान रंग भी ला रहा है। पटियाला के कुल 934 गांवों में से 118 गांव ऐसे हैं, जहां सिर्फ एक ही शमशान घाट है और इनमें हर जाति, हर धर्म के व्यक्ति का बिना भेदभाव के अंतिम संस्कार होता है जब ऐसे कुछ गांवों का दौरा किया गया तो इन गांवों में एक ही शमशान घाट पाए गए जो किसी पार्क को भी मात देते नजर आए। यहां तक कि गांव रोशनपुर का शमशान घाट तो 2 गांवों का इक_ा है। गांधी ने स्पष्ट कह दिया है कि सिर्फ उन गांवों को ही अनुदान मिलेगी जो जात-पात के बंधन को खत्म करते हुए गांव की सांझी शमशान घाट बनाएंगे। गांधी अब तक इन गांवों को 2 करोड़ 28 लाख की अनुदान भी दे चुके हैं।