धमकी दो, इनाम पाओ की परंपरा की नींव क्यों रखी जाए

Edited By Updated: 01 Apr, 2016 12:23 PM

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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले को सुलझाने में अहम भूमिका निभाने वाले व्यक्ति ने आत्महत्या करने की धमकी

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले को सुलझाने में अहम भूमिका निभाने वाले व्यक्ति ने आत्महत्या करने की धमकी दी है।  गौरतलब है कि कार में बम विस्फोट से बेअंत सिंह की मृत्यु हो गई थी। तत्कालीन सीबीआई प्रमुख ने घोषणा की थी कि इस हत्या का सुराग देने वाले को 10 लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा। कई साल बीत जाने के बाद सुराग देने वाला बलविंदर सिंह आज भी अपने इनाम की राशि नहीं मिलने का दावा कर रहा है। कोर्ट में अधिकारियों द्वारा रखे गए तर्कों से वह असंतुष्ट है। बलविंद्र ध्यान दे कि उसके लिए सारे रास्ते बंद नहीं हुए हैं। बेहतर यही होगा कि वह थोड़ा इंतजार और करे। 

बड़े-बड़े मामलों में पुलिस जनता से सहयोग करने की अपील करती है। वह इसके लिए नगद इनाम देने की घोषणा और अहम सूचना या सुराग देने वाले की पहचान भी गुप्त रखने का वादा करती है। पुलिस नहीं चाहती कि उस व्यक्ति या उसके परिजनों को मामले से जुड़े अन्य लोग नुक्सान पहुंचाएं। बेअंत सिंह की 31 अगस्त 1995 में कार को बम विस्फोट से उड़ा कर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले बब्बर खालसा के आतंकवादी जगतार सिंह तारा को बैंकाक से प्रत्यर्पित करके पंजाब पुलिस द्वारा भारत लाया गया था। बाद में परमजीत सिंह बेउरा और एक अन्य दोषी बलवंत सिंह रजोआणा को भी गिरफ्तार कर लिया गया।

हालांकि बलविंद्र सिंह को चंडीगढ़ प्रशासन ने इनाम के रूप में 30 हजार रुपए दिए थे और पंजाब सरकार ने कांस्टेबल की नौकरी। लेकिन वह कहता है​ कि सीबीआई की ओर से कुछ नहीं दिया गया। जब यह मामला हाईकोर्ट में पहुंचा तो सीबीआई और चंडीगढ़ प्रशासन की तरफ से कहा गया कि बलविंद्र को इनामी राशि और नौकरी दी जा चुकी है। उसके अलावा अन्य कई गवाह भी थे, जो उस मामले में अहम थे। ऐसे में मुख्य गवाह के केस को सही नहीं ठहराया गया। खास बात है कि क्या सीबीआई ने इनाम की घोषणा करते हुए यह स्पष्ट नहीं किया था कि 10 लाख की राशि सभी गवाहों में बराबर बांटी जाएगी या प्रत्येक को 10-10 लाख रुपए दिए जाएंगे। कहीं न कहीं चूक तो हुई है जो मुख्य गवाह को इस​ हादसे के करीब 20 साल बाद कोर्ट की शरण लेनी पड़ी। 

इस सबंध में यहां इस प्रकरण का उल्लेख करना उपयुक्त होगा कि केंद्र ने सभी राज्य सरकारों को दिशा निर्देश भेजे थे कि दुर्घटना से पीडित लोगों को मदद करने वालों को पुलिस बेवजह परेशान नहीं करेगी। अब तक इस पर कोई कानून नहीं बनाया गया है और सुप्रीम कोर्ट ने इसे मंजूर करके सरकार का काम आसान कर दिया है। हालांकि सड़क हादसों में घायलों का हाल देखकर हर किसी का दिल पसीजता है। लेकिन इनमें से अधिकांश लोग पुलिस पचड़े से बचने के लिए चाह कर भी उनकी मदद करने से कतराते हैं। थाने में बार-बार बुलाकर बेवजह की पूछताछ से होने वाली मानसिक परेशानी से हर कोई बचना चाहता है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के वैधानिक समर्थन से लोग बेधड़क दुर्घटना पी​डितों की तुरंत मदद को तैयार हो जाएंगे। समय पर इलाज शुरू न होने से लाखों लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं। अब इस संख्या में कमी आने की उम्मीद बंधी है। यदि इनामी राशि देने के मामले में पुलिस का यही रवैया रहा तब भी क्या कोई आगे आएगा?

यूटी एडवाइजर,पंजाब के मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर निवेदन करने के बाद बलविंद्र सिंह कोर्ट की शरण में गया है। उसे फैसले का इंतजार करना चाहिए। मीडिया के सामने आकर सीबीआई पर आरोप लगाने से बलविंद्र को बचना चाहिए था। सीबीआई और चंडीगढ़ प्रशासन की दलील पर कोर्ट क्या निर्देश देती है इसके लिए कुछ समय और रुकना चाहिए था। कोर्ट अभी निर्णय तक नहीं पहुंची है। उसके पास पुनर्विचार की याचिका दायर करने का अवसर भी है। ऐसे में आत्महत्या की धमकी देकर इनाम देने का अनुरोध करना उचित नहीं माना जाएगा।

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