कई साल बीते पर नहीं मिलती अप्रैल व मई में किसानों को बिजली

Edited By swetha,Updated: 22 May, 2018 12:53 PM

farmers not get electricity in many years

:पंजाब सरकार द्वारा किसानों को फसली विभिन्नता लाने के लिए की जा रही अपीलों के विपरीत पारंपरिक फसलों को छोड़ कर सब्जियां, गन्ना व फलदार पौधे लगाने वाले किसानों को हर वर्ष अप्रैल-मई महीनों दौरान 3 फेज बिजली की कमी से जूझना पड़ता है। खास तौर पर बेहद...

गुरदासपुर (हरमनप्रीत):पंजाब सरकार द्वारा किसानों को फसली विभिन्नता लाने के लिए की जा रही अपीलों के विपरीत पारंपरिक फसलों को छोड़ कर सब्जियां, गन्ना व फलदार पौधे लगाने वाले किसानों को हर वर्ष अप्रैल-मई महीनों दौरान 3 फेज बिजली की कमी से जूझना पड़ता है। खास तौर पर बेहद गर्मी वाले इन महीनों में बिजली सप्लाई की कमी सब्जियों और गन्ने के काश्तकारों को परेशान कर देती है। 

हैरानी की बात है कि पिछले कई वर्षों से चले आ रहे इस रुझान के बावजूद भी सरकार किसानों की इस समस्या का समाधान नहीं कर सकी। वर्णनीय है कि खेतों की सिंचाई अधिकतर 3 फेज बिजली से चलने वाले ट्यूबवैलों पर निर्भर करती है, परन्तु अप्रैल माह में पंजाब राज्य पावरकाम गेहूं को आग से बचाने के नाम पर ग्रामीण क्षेत्रों की 3 और 2 फेज की बिजली सप्लाई सारा दिन बंद रखता है। इसी तरह मई माह दौरान भी बहुत मुश्किल से 2 से 4 घंटे सप्लाई दी जाती है। 

चारा बचाकर रखने में आती है मुश्किल
आज कल स्थिति यह है कि गन्ने और सब्जियों वाले कुछ फीडरों पर तो 4 घंटे बिजली सप्लाई दी जा रही है, परन्तु बाकी फीडरों पर एक-एक दिन बाद करीब 8 घंटे सप्लाई दी जाती है। बिजली की कमी के चलते तकरीबन हर वर्ष ही गन्ना, सब्जियां, फल, मूंगी, हरी खाद और चारे आदि की काश्त करने वाले किसानों को बिजली-पानी की किल्लत से जूझना पड़ता है। इस कारण अब स्थिति यह हो चुकी है कि बहुत से किसान इन दिनों में खेतों को खाली छोडऩा बेहतर समझने लगे हैं।

पंजाब में दालों की बड़ी मांग होने के बावजूद भी किसान दालों की काश्त करने की हिम्मत नहीं करते। यहां तक कि आॢथक पक्ष से काफी लाभदायक सिद्ध हो रही 60 दिनों में पकने वाली मूंगी की फसल का क्षेत्रफल भी नहीं बढ़ा। इतना ही नहीं, बिजली की कमी के चलते किसानों को चारा बचा कर रखने में भी बड़ी मुश्किल होती है। इस के साथ ही बागवान भी बिजली सप्लाई को लेकर मायूस हैं क्योंकि इन दिनों में आम व लीची के बागों को पानी की भारी जरूरत होने के बावजूद भी पूरी मात्रा में पानी नहीं मिल रहा।  

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