Edited By Anjna,Updated: 08 May, 2018 11:28 AM
प्रदेश का अन्नदाता कर्ज को लेकर ही परेशान नहीं है, बल्कि अपनी जमीन की सिंचाई के लिए भी संघर्षरत है। 15 सालों से किंगवा नहर की सफाई की राह ताकते 35 गांवों के किसान अब तल्खी में आ गए हैं। सरकारों द्वारा समय पर समस्याओं का समाधान न करने का नतीजा है कि...
मोगा (गोपी राऊंके): प्रदेश का अन्नदाता कर्ज को लेकर ही परेशान नहीं है, बल्कि अपनी जमीन की सिंचाई के लिए भी संघर्षरत है। 15 सालों से किंगवा नहर की सफाई की राह ताकते 35 गांवों के किसान अब तल्खी में आ गए हैं। सरकारों द्वारा समय पर समस्याओं का समाधान न करने का नतीजा है कि पिछले 7 वर्षों में 16,606 अन्नदाता अपने प्राणों की बलि दे चुके हैं। सरकारें इतने में भी नहीं जागी तो वह दिन दूर नहीं, जब खाने के लिए अन्न नहीं मिलेगा।
क्षुद्र स्वार्थों की पूॢत में लगी अधिकतर सरकारों में इतना भी नैतिक बल भी नहीं है कि वह अपनी नीतियों से अन्नदाता के प्राणों की रक्षा कर सके। हैरानी की बात है कि नहरों में उगी घास-फूस व अन्य सरकंडे पानी को रोक रहे हैं, जिस कारण किसानों को सिंचाई के लिए समस्याएं पेश आ रही है। मोगा शहर के जीरा रोड से गुजरती ‘किंगवा’ नहर की पिछले 15 वर्षों से सफाई न होने के कारण 35 गांवों के किसानों की खेती प्रभावित हो रही है। इसके साथ ही नहर में गंदगी भी फैंकी जा रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकारों के नुमाइंदों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक को इस संबंधी बताया, लेकिन कुंभकर्णी नींद में सोई सरकार व अधिकारी जागने का नाम ही नहीं ले रहे हैं।
‘पंजाब केसरी’ द्वारा एकत्रित की गई विशेष रिपोर्ट में सामने आया है कि डार्क जोन घोषित मोगा को नहर का पानी मिलना चाहिए। नहरबंदी रहने कारण इसकी हालात गंदगी कारण यह हुई पड़ी है कि नहर के कई स्थानों पर पड़ी गंदगी नजदीक से गुजरने वाले लोगों के ‘नाक’ में दम कर देती है। एकत्रित जानकारी में यह भी पता चला है कि इस नहर में निकलते ‘मनावां’ रजबाहे की टेलों पर भी इस नहर की सफाई कारण पानी नहीं पहुंचता, जिस कारण इस रजबाहे से सिंचाई करते 30 अन्य गांवों के किसान भी समस्याओं से जूझ रहे हैं।