Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Feb, 2018 12:56 PM
जाम सीवरेज शाही शहर की सबसे बड़ी समस्या बनी आ रही है। बेशक पटियाला में 95 प्रतिशत आबादी को सीवरेज सिस्टम की सुविधा मिली हुई है, परन्तु 49 साल पहले शहर में जो सीवरेज सिस्टम डाला गया, आज भी वही सिस्टम चल रहा है। अब शहर की आबादी 70 हजार से बढ़कर 6 लाख...
पटियाला(राजेश, बलजिन्द्र): जाम सीवरेज शाही शहर की सबसे बड़ी समस्या बनी आ रही है। बेशक पटियाला में 95 प्रतिशत आबादी को सीवरेज सिस्टम की सुविधा मिली हुई है, परन्तु 49 साल पहले शहर में जो सीवरेज सिस्टम डाला गया, आज भी वही सिस्टम चल रहा है। अब शहर की आबादी 70 हजार से बढ़कर 6 लाख हो गई है।
1971-72 में शुरू हुआ था शहर में सीवरेज सिस्टम
पटियाला एक रियासती और विरासती शहर है। देश की आजादी के बाद 1971-72 में पटियाला शहर में सीवरेज सिस्टम डाला गया था। उस समय शहर के अलग-अलग इलाकों की आबादी को ध्यान में रखते हुए 8 इंची, 10 इंची और 12 इंची सीवरेज की लाइनें डाली गई थीं। 1972 से यही सीवरेज सिस्टम चला आ रहा है। जिस समय शहर में सीवरेज डाला गया था, उस समय शहर की आबादी 1 लाख 3 हजार थी और शहर का घेरा 45 किलोमीटर था।
2002 और 2008 में शहर में नया सीवरेज सिस्टम डाला गया। इसमें उन कालोनियों को कवर किया गया, जिनमें पहले सीवरेज सिस्टम नहीं था। साल 2002 में जब कैप्टन अमरेंद्र सिंह पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने शहर की 100 से ज्यादा कालोनियों में सीवरेज सिस्टम डालने के लिए नैशनल कैपिटल रीजन प्लाङ्क्षनग बोर्ड (एन.सी.आर.) से 126 करोड़ का लोन पास करवाया था। साल 2007 में अकाली-भाजपा सरकार आई तो सैंटर से एक और स्कीम के अंतर्गत उस समय बाकी बचते हिस्से में सीवरेज डाला गया था।
शहर में 25 एम.एल.डी. के सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट की और जरूरत
शाही शहर में रोजाना सीवरेज का पानी 80 एम.एल.डी. पैदा होता है, जबकि इसकी निकासी 56 एम.एल.डी. की है। सीवरेज डिस्पोजल के लिए जो ट्रीटमैंट प्लांट लगाए गए हैं, उनमें शेर माजरा में लगाया गया ट्रीटमैंट प्लांट 46 एम.एल.डी. पम्प आऊट करता है जबकि अबलोवाल में लगाया गया प्लांट 10 एम.एल.डी. पम्प आऊट करता है। सीवरेज जाम को सही करने के लिए 25 एम.एल.डी. क्षमता वाले सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट की और जरूरत है।
लोगों ने बड़े स्तर पर की सीवरेज लाइनें पंक्चर
पटियाला में जगह-जगह पर लोगों ने अपने स्तर पर सीवरेज की लाइनों को पंक्चर करके अपने आप कनैक्शन लिए हुए हैं जिस कारण सीवरेज ब्लॉकेज की समस्या पैदा हो रही है।
खराब हुई सीवरेज लाइनों को बदलने पर लगेंगे 15 करोड़
शाही शहर के जिन इलाकों की सीवरेज लाइनें खराब हो चुकी हैं, उन्हें बदलने पर 15 करोड़ का खर्च आना है। नगर निगम की सीवरेज ब्रांच ने इस संबंध में प्रपोजल बनाकर भेजा हुआ है, परन्तु फंडों की कमी के कारण यह काम सिरे नहीं चढ़ रहा है। नगर निगम की वित्तीय हालत इतनी कमजोर है कि वह अपने मुलाजिमों को हर माह तनख्वाह भी नहीं दे पा रहा।
अब भी बांस से होती है सफाई
निगम द्वारा आज भी बांसों के साथ सीवरेज लाइनों की सफाई की जाती है। बेशक निगम के पास सीवरेज लाइन की सफाई करने वाली जैटसक मशीन है, परन्तु यह काफी आऊट डेटिड हो चुकी है। 310 किलोमीटर लाइनों की सफाई के लिए निगम के पास सिर्फ 7 इंजन हैं, जोकि काफी पुराने हैं।
इन इलाकों की बंद हैं सीवरेज लाइनें
शहर के कोहली ट्रांसपोर्ट से राघोमाजरा स्थित काले मुंह वाले की बगीची और एन.आई.एस. के समूचे इलाके के अलावा इंद्रा कालोनी से त्रिपड़ी को जाता सीवरेज लम्बे समय से बंद पड़ा है। इन लाइनों को खोलने के लिए अभी तक कोई हल नहीं किया गया।
अमरूत स्कीम अधीन योजना बनाई : मेयर बिट्टू
शहर के मेयर संजीव बिट्टू ने कहा कि पटियाला का सिस्टम अपग्रेड करने के लिए केंद्र की अटल मिशन रैजरीवेशन अर्बन ट्रांसमिशन स्कीम (अमरूत) के अंतर्गत योजना बनाई गई थी, परन्तु अकाली-भाजपा सरकार ने इसे लागू करने के लिए कोई हल नहीं किया। सीवरेज सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए जहां पंजाब सरकार से फंड लिए जाएंगे, वहीं अमरूत योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार से भी फंड लिए जाएंगे।
परनीत कौर ने किया सीवरेज जाम इलाकों का दौरा
शहर में सीवरेज जाम की समस्या विकराल हो गई है। इस बात का पता इससे लगता है कि शनिवार को पूर्व विदेश राज्य मंत्री और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह की धर्मपत्नी परनीत कौर ने शहर के सीवरेज वाले इलाकों का दौरा किया। इस दौरान उनके साथ पी.आर.टी.सी. के चेयरमैन के.के. शर्मा, सीनियर पार्षद नरेश दुग्गल व अन्य नगर निगम अधिकारी उपस्थित थे।