Edited By swetha,Updated: 12 Nov, 2018 03:22 PM
मुख्यमंत्री के शहर में बेसहारा पशुओं की समस्या आऊट ऑफ कंट्रोल हो चुकी है और नगर निगम की तरफ से भी काफी ज्यादा कोशिशों के बाद अब इस मुहिम को ठंडा रखा हुआ है। इसके कारण फिर से शहर में काफी स्थानों पर बेसहारा पशु आम देखे जा सकते हैं। पिछले लम्बे समय से...
पटियाला(बलजिन्द्र): मुख्यमंत्री के शहर में बेसहारा पशुओं की समस्या आऊट ऑफ कंट्रोल हो चुकी है और नगर निगम की तरफ से भी काफी ज्यादा कोशिशों के बाद अब इस मुहिम को ठंडा रखा हुआ है। इसके कारण फिर से शहर में काफी स्थानों पर बेसहारा पशु आम देखे जा सकते हैं। पिछले लम्बे समय से शाही शहर में पशुओं की भरमार होने के कारण पटियालवियों में खौफ पैदा हुआ पड़ा है क्योंकि इन पशुओं कारण कई बार पटियाला में आम लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। काऊसैस लगने के बावजूद भी इन पशुओं से पटियालवियों को राहत मिलती नजर नहीं आ रही, जिस करके दिनों दिन पशुओं की भरमार में विस्तार होने के कारण हर गली मुहल्लों में पशुओं के झुंड घूमने कारण बच्चे गलियों में खेलने ही नहीं आते।
चाहे शिरोमणि अकाली दल-भाजपा सरकार समय इन पशुओं को रखने के लिए समाना नजदीक गांव गाजीपुर में बड़ी जिला स्तरीय गौशाला बनाई गई थी परन्तु वहां भी हालात समय के साथ काफी ज्यादा खराब हो गए हैं और पटियाला से पशु भी वहां नहीं जा रहे। बेसहारा पशुओं के साथ-साथ बेसहारा कुत्तों की भी शहर में काफी ज्यादा दहशत है।
पिछले डेढ़ साल के दौरान सांडों ने आधा दर्जन व्यक्तियों को बनाया निशाना
पिछले डेढ़ साल के दौरान आधा दर्जन से ज्यादा व्यक्तियों को शहर में बेसहारा पशुओं ने निशाना बनाया है। इनमें 2 व्यक्तियों की अबलोवाल और एक व्यक्ति की एस.एस.टी. नगर में मौत हो गई थी। इसके अलावा भादसों रोड से 2 बड़े एक्सीडैंट बेसहारा पशुओं करके हो गए थे। एक तो स्कार्पियो ही ट्रांसफार्मर पर चढ़ गई थी और एक कार ग्रिलों में जा लगी। यह तो गिने-चुने केस कहे जा सकते हैं। यदि आम रुटीन में देखें तो हर सप्ताह कहीं न कहीं से बेसहारा पशुओं के कारण हादसा होने की सूचना मिलती है। जब भी कोई घटना होती है तो हर बार बड़ी-बड़ी बातें होती हैं परन्तु बाद में फिर से माहौल उसी तरह का हो जाता है।
बाहर से आ रहे हैं प्रतिदिन बड़ी संख्या में पशु
शहर में बेसहारा पशुओं की भरमार का सबसे बड़ा कारण रोज बाहर से आने वाले पशु हैं। पटियाला शहर के अपने इतने ज्यादा पशु नहीं हैं, जितने कि बाहर से लोग छोड़ जाते हैं। बीड़ों की कमी के कारण अब शहर ही सबसे बढिय़ा तरीका है, जहां पशुओं को छोड़ा जा सकता है। यही कारण है कि नगर निगम जब सभी पशुओं को पकड़ कर गौशालाओं में भेज देती है तो फिर से उतने ही पशु शहर की सड़कों में घूमते दिखाई देते हैं।
पशुओं को पकडऩे के अदालत की तरफ से किए आदेश भी हुए
पशुओं कारण बहुत से व्यक्तियों को जहां अपनी जान गंवानी पड़ी है, उस संबंधित माननीय अदालत की तरफ से बेसहारा पशुओं को तुरंत पकड़ कर संबंधित गौशाला में पहुंचाने के आदेश भी हवा हो चुके हैं। इन आदेशों की परवाह न करते नगर निगम की तरफ से कोई भी ऐसे पुख्ता कदम नहीं उठाए गए, जिस कारण बेसहारा पशुओं और कुत्तों को तुरंत पकड़ कर संबंधी स्थानों पर रखा जा सके परन्तु देखना यह है कि यदि नगर निगम माननीय अदालतों के आदेशों को दरकिनार कर रहा है तो आम लोगों को इन से कैसे राहत मिलेगी।
कुत्तों कारण बच्चों व बुजुर्गों में हमेशा बना रहता है डर
चाहे कि मुख्यमंत्री का शाही शहर होने के कारण कई पक्षों से शहरी की सुरक्षा अहम होनी चाहिए थी परन्तु इस शहर में सबसे अधिक असुरक्षा महसूस होती है। जिला पटियाला में बेसहारा कुत्तों के कारण बच्चों व बुजुर्गों में हर समय डर बना रहता है। इन को पकडऩे के लिए जिला प्रशासन की तरफ से कोई ठोस नीति अमल में नहीं लाई जा रही।
नगर निगम ने कभी भी ढील नहीं की : मेयर
इस संबंध में जब मेयर संजीव शर्मा बिट्टू को पूछा गया तो उन्होंने कहा कि नगर निगम की तरफ से इस मामले में कभी भी ढील नहीं अपनाई गई, परन्तु गांवों से ला के यहां पशु छोडऩे के कारण काफी दिक्कत आ रही है। जहां तक शहर की गौशालाओं का सवाल है तो नगर निगम की तरफ से पूरा ध्यान रखा जा रहा है। कांग्रेस सरकार आने के बाद शहर में इस मामले में कभी लापरवाही नहीं की गई।