जमीनी पानी का गिरता स्तर खतरे की घंटी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Feb, 2018 01:10 PM

shortage of water

लगातार गिर रहा जमीनी पानी का स्तर हमें एक बड़े खतरे की तरफ  लेकर जा रहा है। हालांकि हर वर्ष इस पर बड़े स्तर पर चर्चा भी होती है परन्तु हैरान करने वाली बात है कि जो फैसले लिए जाते हैं, उनको भी बढिय़ा ढंग से लागू नहीं किया जा रहा है। मुख्यमंत्री कैप्टन...

पटियाला(बलजिंदर): लगातार गिर रहा जमीनी पानी का स्तर हमें एक बड़े खतरे की तरफ  लेकर जा रहा है। हालांकि हर वर्ष इस पर बड़े स्तर पर चर्चा भी होती है परन्तु हैरान करने वाली बात है कि जो फैसले लिए जाते हैं, उनको भी बढिय़ा ढंग से लागू नहीं किया जा रहा है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के अपने शहर में वाटर रिचार्जिंग के लिए बनाए जाने वाले सीकेज वैल की तरफ  किसी का कोई ध्यान नहीं है। नगर निगम की तरफ  से हर घर में वाटर रिचाॄजग के लिए सीकेज वैल बनाने के आदेशों को पूरा करने के लिए सिर्फ  नक्शों पर मोहर लगाई जा रही है जब कि वास्तव में कोई काम नहीं हो रहा। 

हालात यह हैं कि शहर की कुछ सरकारी बिल्डिंगों में जहां सीकेज वैल बने हुए हैं, उनकी संभाल तक नहीं की जा रही। जिस को लेकर हालात यह हैं कि शहर का अंडर ग्राऊंड वाटर स्तर 110 फुट पर पहुंच गया है और यदि यही हालात रहे तो आने वाले समय में पटियाला पानी की बूंद-बूंद को तरसने वाला शहर बन सकता है। पिछले समय के रिकार्ड पर नजर दौड़ाई जाए तो शहर को पानी सप्लाई करने के लिए हर साल नगर निगम को औसतन एक दर्जन ट्यूबवैल लगाने पड़ते हैं जिन पर लगभग एक करोड़ रुपए हर साल खर्च हो रहे हैं।

 हर वर्ष इतने पैसे खर्च करने के बावजूद शहरवासी गर्मियों के दिनों में पानी को तरसते हैं और अक्सर पानी न पहुंचने को लेकर लोगों को धरने प्रदर्शन करने पड़ते हैं। 2 वर्ष पहले पंजाब सरकार ने तेजी के साथ नीचे जा रहे पानी के स्तर को बचाने के लिए एक पत्र जारी करके इस पर मकान बनाने के लिए हर घर में वार्न रिचार्जिंग व्यवस्था लगाना जरूरी कर दिया था।

इसके लिए समूचे नगर निगमों, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों को हिदायतें दी गई थीं। सिर्फ  उसी घर का नक्शा पास किया जाए, जो वाटर रिचार्जिंग व्यवस्था लगाएगा। सरकार के आदेशों के बाद नगर निगम पटियाला की तरफ  से हर नक्शे को पास करते समय उस पर मोहर लगाई जाती है कि घर में वाटर रिचाॄजग व्यवस्था लगा होना जरूरी है। यह मोहर सिर्फ  एक औपचारिकता बन कर रह गई है। हकीकत में ज्यादातर लोग वाटर रिचाॄजग व्यवस्था ही नहीं लगाते, जिस कारण सरकार की यह कोशिशें सिर्फ  मोहर तक सिमट कर रह गई हैं। 

पुराने सीकेज वैलों की भी नहीं की जा रही देखभाल
वर्ष 2001 में पटियाला में नियुक्त नगर निगम कमिश्नर आई.ए.एस. श्री के.एस. कंग (सेवा मुक्त) ने शहर में जनतक स्थानों पर वाटर रिचाॄजग के लिए पार्कों और साफ  स्थानों पर बोर वैल बनवाए थे। जोकि काफी देर तक चले। इनमें नगर निगम दफ्तर के पास, जोडिय़ा भट्टियां, पंजाबी बाग, मॉडल टाऊन और बस स्टैंड समेत कई स्थानों पर वाटर रिचार्जिंग के लिए बोर वैल बनवाए थे, परंतु बाद में उनकी कोई देखभाल नहीं की गई। इससे जो भी बड़ी सरकारी बिल्डिंगें बनीं उनमें सीकेज वैल बने हुए हैं। इनमें मिनी सचिवालय, कई स्कूल और नगर निगम के मुख्य दफ्तर में सीकेज वैल बने हुए हैं, उनकी देखभाल भी कोई ज्यादा बढिया ढंग के साथ नहीं की जा रही।

कुदरती रिचार्जिंग लगातार घटती जा रही 
2 दशक पहले तक कुदरती रिचार्जिंग व्यवस्था काम करती थी, परंतु लगातार बढ़ती आबादी के कारण जहां खेत योग्य जमीनें कंक्रीट बन गई और गांवों व शहर में वाटर रिचार्जिंग के सबसे बड़े साधन ‘तालाब’ या तो खत्म कर दिए गए या फिर उनमें सीवरेज का पानी फैंक कर उनको गंदा कर दिया गया। 

जिले में जमीनी पानी के स्तर की असली हकीकत
पटियाला जिला में जमीनी पानी के स्तर के 8 ब्लॉकों में 2007 से 2017 तक जो सर्वेक्षण किया गया उसके अनुसार प्रत्येक वर्ष पानी का स्तर लगभग एक मीटर के करीब गिरता जा रहा है। इसके अंतर्गत जिला पटियाला के राजपुरा ब्लॉक का औसतन स्तर -1.99 मीटर, घनौर -0.57 मीटर, भुन्नरहेड़ी -0.78 मीटर, पटियाला-0.93 मीटर, नाभा -0.91 मीटर, सनौर -0.47 मीटर, पातड़ा 1.16 मीटर और समाना 1.11 मीटर नीचे जा चुका है।

वाटर रिचार्जिंग ही जमीनी पानी के स्तर को बचाने का एकमात्र हल: के.एस. कंग
पटियाला में 15 साल पहले बतौर नगर निगम कमिश्नर तैनात श्री के.एस. कंग जो कि पटियाला में वाटर रिचाॄजग शुरूआत के जन्म दाता भी माने जाते हैं, का कहना है कि जमीनी पानी के लगातार घट रहे स्तर को बचाने के लिए वाटर रिचार्जिंग ही एकमात्र हल है। उन्होंने कहा कि सभी घरों में विशेष तौर पर बरसाती पानी की रिचाॄजग व्यवस्था को जरूरी बनाया जाए और सख्ती के साथ लागू करवाया जाए, जनतक स्थानों पर विशेष तौर पर पार्कों आदि समेत समूचे साफ  स्थानों पर वाटर रिचार्जिंग व्यवस्था जरूर लगानी चाहिए। इसके अलावा गांवों में बने कुदरती तलाबों पर सख्त पाबंदी लगाई जाए। 

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