Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jun, 2018 04:21 PM
पंजाब में दिन-प्रतिदिन गिरते भू-जल स्तर को देखते हुए पंजाब सरकार के कृषि विभाग ने इस बार किसानों को 20 जून से पहले धान की फसल लगाने से रोक दिया था, जिस कारण किसान धान की फसल लगाने से पहले ही काफी पिछड़ गए थे परंतु अब मजदूरों की कमी के कारण किसानों...
पटियाला (जोसन/ लखविन्द्र): पंजाब में दिन-प्रतिदिन गिरते भू-जल स्तर को देखते हुए पंजाब सरकार के कृषि विभाग ने इस बार किसानों को 20 जून से पहले धान की फसल लगाने से रोक दिया था, जिस कारण किसान धान की फसल लगाने से पहले ही काफी पिछड़ गए थे परंतु अब मजदूरों की कमी के कारण किसानों की नींद उड़ी हुई है क्योंकि लेट होते देख कर किसानों में धान को लेकर भागदौड़ मच गई है, मजदूर जो पिछले साल प्रति एकड़ धान की रोपाई के 2000 रुपए ले रहे थे वही अब 3500 रुपए ले रहे हैं।
ऊपर से डीजल और खादों के रेट बढ़ जाने के कारण किसानों को बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, जिस कारण पिछले साल के मुकाबले इस बार किसानों का खर्चा काफी ज्यादा बढ़ गया है। गांव सनौर के किसान गुरजिन्द्र सिंह ने बताया कि उनको मजदूरों की बहुत बड़ी समस्या पेश आ रही है, जिस कारण धान लगाने में काफी देरी हो रही है।
मनरेगा के कारण नहीं मिल रहे गांवों में मजदूर
पंजाब में जहां पहले ही प्रवासी मजदूरों की कमी है वहीं केंद्र सरकार की तरफ से चलाई गई मनरेगा स्कीम के कारण यह समस्या और बढ़ गई है क्योंकि जो मजदूरों ने किसानों के खेतों में काम करना होता है वही मजदूर मनरेगा के अंतर्गत गांवों में साफ-सफाई के कामों में व्यस्त हैं जिस कारण मजदूरों की कमी लगातार बढ़ती जा रही है और जमींदारों से मजदूरों की तरफ से लगातार अपनी मनमर्जी के रेट वसूले जा रहे हैं।
किसानों को नहीं मिल रही 8 घंटे निॢवघ्न बिजली सप्लाई : पंजाब स्टेट पावर निगम की तरफ से धान की फसल की रोपाई से पहले बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे कि किसानों को धान की लगवाई के लिए निॢवघ्न 8 घंटे बिजली सप्लाई दी जाएगी, परंतु वह दावे अब खोखले साबित हो रहे हैं क्योंकि किसानों को कई गांवों में सिर्फ 7 घंटे ही बिजली की सप्लाई मिल रही है, जिस कारण किसानों में काफी ज्यादा निराशा पाई जा रही है।