मुख्यमंत्री के शहर के पुराने सीवरेज सिस्टम को लेकर नहीं बन रही कोई ठोस योजना

Edited By swetha,Updated: 15 Oct, 2018 12:30 PM

sewerage

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह और स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म महेन्द्रा शहर की सबसे बड़ी समस्या सीवरेज सिस्टम को लेकर कोई भी बड़ी योजना नहीं बना रहे हैं। हालांकि सड़कें अधिक फिर से बना दी गई हैं। पूरे शहर की पुरानी स्ट्रीट लाइट को बदल कर एल.ई.डी....

पटियाला(बलजिन्द्र): मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह और स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म महेन्द्रा शहर की सबसे बड़ी समस्या सीवरेज सिस्टम को लेकर कोई भी बड़ी योजना नहीं बना रहे हैं। हालांकि सड़कें अधिक फिर से बना दी गई हैं। पूरे शहर की पुरानी स्ट्रीट लाइट को बदल कर एल.ई.डी. लाइट लगाई जा रही है, पानी की तंगी को दूर करने के लिए केनाल बेस्ड ट्रीटमैंट प्लांट के लिए 782 करोड़ रुपए मंजूर हो गए हैं, परन्तु शहर की सबसे बड़ी समस्या सीवरेज के समाधान के लिए कोई बड़ी योजना नहीं बनाई जा रही है, जबकि अब तक नगर निगम को सबसे अधिक सीवरेज की समस्या से जूझना पड़ रहा है। 

बेशक पटियाला में 95 प्रतिशत आबादी को सीवरेज सिस्टम की सुविधा मिली हुई है, परन्तु 49 साल पहले शहर में जो सीवरेज सिस्टम डाला गया, आज भी वही सिस्टम चल रहा है, जबकि शहर की आबादी 70 हजार से बढ़ कर 6 लाख हो गई है। कांग्रेस के सत्ता में आने और मुख्यमंत्री पटियाला का होने से लोगों में उम्मीद जगी थी कि अब पटियाला का सीवरेज सिस्टम अपग्रेड होगा। सरकार का डेढ़ साल पूरा होने के बावजूद भी इस समस्या के समाधान के लिए बड़ी योजना नहीं बनाई जा रही। 

शहर में सीवरेज के पानी के लिए 25 एम.एल.डी. के सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट की जरूरत
शाही शहर में रोज सीवरेज का 80 एम.एल.डी. पानी पैदा होता है, जबकि इसकी निकासी 56 एम.एल.डी. की है। सीवरेज डिस्पोजल के लिए जो ट्रीटमैंट प्लांट लगाए गए हैं, उनमें शेर माजरा में लगाया गया ट्रीटमैंट प्लांट 46 एम.एल.डी. पानी पंप आऊट करता है, जबकि अबलोवाल में लगाया गया प्लांट 10 एम.एल.डी. पानी पंप आऊट करता है। 
सीवरेज के पानी के जमा होने और निकासी में गैप होने के कारण अक्सर सीवरेज जाम रहता है। सीवरेज जाम को सही करने के लिए 25 एम.एल.डी. कैपासिटी वाले सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट की अतिरिक्त जरूरत है। 

खराब हुई सीवरेज की लाइन बदलने पर लगेंगे 15 करोड़ रुपए
शाही शहर के जिन इलाकों की सीवरेज लाइन खराब हो चुकी हैं, उन को बदलने पर 15 करोड़ का खर्चा आएगा। नगर निगम की सीवरेज ब्रांच ने इस संबंध में प्रपोजल बना कर भेजी हुई है, परन्तु फंड की कमी के कारण यह काम सिरे नहीं चढ़ रहा। नगर निगम की वित्तीय हालत इतनी कमजोर है कि वह अपने कर्मचारियों को हर महीने वेतन नहीं दे पा रहा।

लोगों ने बड़े स्तर पर की सीवरेज की लाइन पंक्चर
सीवरेज सिस्टम के विशेषज्ञों का कहना है कि एक बार बिछवाई गई सीवरेज की लाइन एक सदी से अधिक चल सकती है, परन्तु यदि इन लाइन को पंक्चर कर दिया जाए तो ब्लॉकेज की बड़ी समस्या पैदा हो जाती है। पटियाला में जगह-जगह पर लोगों ने अपने स्तर पर सीवरेज की लाइन को पंक्चर करके अपने आप कनैक्शन लिए हुए हैं। इस कारण सीवरेज ब्लॉकेज की समस्या पैदा हो रही है। बड़ी संख्या में मैनहोल खराब हो चुके हैं। जो लाइन खराब हो चुकी है, उसेे बदला नहीं जा रहा है। 

1971-72 में शुरू हुआ था शहर में सीवरेज सिस्टम
पटियाला एक रियासती और विरासती शहर है। देश की आजादी के बाद 1971-72 में पटियाला शहर में सीवरेज सिस्टम बिछाया गया था। उस समय शहर के अलग-अलग इलाकों की आबादी को ध्यान में रखते हुए 8 इंच, 10 इंच और 12 इंच की पाइप की सीवरेज लाइन डाली गई थीं। 1972 से यही सीवरेज सिस्टम चला आ रहा है। शहर में जिस समय सीवरेज बिछाया गया था, उस समय शहर की आबादी 1 लाख 3 हजार थी और शहर का घेरा 45 कि.मी. था। 

अब भी बांस द्वारा का जाती है सफाई
एक तरफ प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी अधिक से अधिक तकनीकों का सहारा लेकर विकास की बातें कर रहे हैं, दूसरी तरफ मुख्यमंत्री के शहर में आज भी सीवरेज लाइन की सफाई बाबा आदम के जमाने के सिस्टम से हो रही है। निगम आज भी बांसों से सीवरेज लाइन की सफाई करवा रहा है। बेशक निगम के पास सीवरेज लाइन की सफाई करने वाली जैटसक मशीन है, परन्तु यह काफी पुरानी हो चुकी है, इस कारण इसका कोई लाभ नहीं रहा। 310 कि.मी. लाइन की सफाई के लिए निगम के पास सिर्फ 7 इंजन हैं, जो कि काफी पुराने हैं।

क्या हैं सीवरेज की ब्लॉकेज के कारण 
*शहर का प्लास्टिक और अन्य डिस्पोजेबल कचरा सीवरेज लाइन में जाना।
*बरसाती पानी को भी सीवरेज लाइन में ही भेजना।
*सीवरेज का छोटी-बड़ी नालियों के साथ जुड़े होना। 
*शहर की डेरियों का गोबर।
*नालों का पानी सीवरेज लाइन के साथ जुडऩा।

अब 310 कि.मी. में सीवरेज लाइन
जिस समय शहर की आबादी लगभग 1 लाख थी, उस समय 45 कि.मी. सीवरेज लाइन डाली गई थी, जबकि मौजूदा समय शहर का दायरा काफी अधिक बढ़ गया है, लिहाजा 2002 और 2008 में शहर में नया सीवरेज सिस्टम डाला गया। इसमें उन्होंने कालोनियों को कवर किया था, जिनमें पहले सीवरेज सिस्टम नहींथा।
 साल 2002 में जब कै. अमरेन्द्र सिंह पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने शहर की 100 से अधिक कालोनियों में सीवरेज सिस्टम डालने के लिए नैशनल कैपीटल रीजन प्लाङ्क्षनग बोर्ड (एन.सी.आर.) से 126 करोड़ का लोन पास करवाया था। साल 2007 में अकाली-भाजपा सरकार आई तो केंद्र से एक अन्य स्कीम के अंतर्गत उस समय बाकी बचे हिस्से में सीवरेज डाला गया था। 

जब सड़कों, वाटर सप्लाई और स्ट्रीट लाइट की समस्याओं का पक्का समाधान किया जा रहा है तो फिर सीवरेज का भी हो जाएगा : मेयर  
नगर निगम के मेयर संजीव शर्मा बिट्टू ने कहा कि जब शहर की सौंदर्यीयकरण, सड़क, वाटर सप्लाई और स्ट्रीट लाइट के लिए बड़ी योजनाएं बन कर लागू हो रही हैं तो फिर सीवरेज सिस्टम के लिए भी जल्द ही बड़ी योजना बना कर शहर की यह समस्या भी दूर कर दी जाएगी। 

उन्होंने कहा कि पटियाला का सीवरेज सिस्टम अपग्रेड करने के लिए केंद्र की अटल मिशन रैजरीवेशन अर्बन ट्रांसमिशन स्कीम (अमरूत) के अंतर्गत योजना बनाई गई थी, परन्तु अकाली-भाजपा सरकार ने इस को लागू करने में कोई पहल नहीं की, जिस कारण 10 सालों में अकाली-भाजपा राज के दौरान पटियाला के सीवरेज सिस्टम के सुधार के लिए कुछ नहीं किया गया। अब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बन गई है, लिहाजा सीवरेज सिस्टम को अपग्रेड करने के लिए जहां पंजाब सरकार से फंड लिए जाएंगे, वहीं अमरूत योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार से भी ये फंड लिए जाएंगे। 

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