मुख्यमंत्री के पूर्वजों की बनाई राजिंद्रा लेक की ब्यूटीफिकेशन को लगा ग्रहण

Edited By swetha,Updated: 17 Sep, 2018 03:10 PM

rajindra lake

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के पूर्वजों की तरफ से बनाई गई राजिंद्रा लेक की ब्यूटीफिकेशन प्रोजैक्ट को फिर से ग्रहण लग गया है। हालात यह हैं कि सरकार ने डेढ़ साल सिर्फ योजना बनाने और फोकी बयानबाजी में गुजार दिया है, जिसके कारण अकाली-भाजपा सरकार...

पटियाला (बलजिन्द्र/ राणा) : मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के पूर्वजों की तरफ से बनाई गई राजिंद्रा लेक की ब्यूटीफिकेशन प्रोजैक्ट को फिर से ग्रहण लग गया है। हालात यह हैं कि सरकार ने डेढ़ साल सिर्फ योजना बनाने और फोकी बयानबाजी में गुजार दिया है, जिसके कारण अकाली-भाजपा सरकार के राज में खर्च किए गए पैसों के साथ जो काम किया गया था, वह भी समय के साथ खत्म हो गया है। हालात यह हैं कि शहर का दिल मानी जाने वाली राजिंद्रा लेक फिर से वीरान पड़ी सरकार के मुंह की तरफ देख रही है। कभी जो झील में निर्मल पानी बाहर से आने वाले सैलानियों के आकर्षण का केंद्र बनता था, उस लेक में अब या तो मिट्टी उड़ रही है या फिर से लोगों द्वारा वहां पर कूड़े के ढेर लगाने शुरू कर दिए गए हैं।

तीन साल पहले खर्च किया गया एक करोड़ भी हुआ खराब
राजिंद्रा लेक की ब्यूटीफिकेशन को लेकर पिछली 3 सरकारों से ही खुल कर राजनीति हो रही है। पिछली अमरेन्द्र सरकार के समय कुछ सुधार हुआ और इसके बाद अकाली-भाजपा सरकार के समय कई बार योजना बनी और कई बार बदली गई। आखिर 3 साल पहले लेक की ब्यूटीफिकेशन के लिए 1 करोड़ रुपए का टैंडर लगाया गया और 93 लाख में फाइनल होकर झील की ब्यूटीफिकेशन का काम शुरू हो गया। 45 लाख रुपए की ठेकेदार को पेमैंट भी कर दी गई। परंतु इसी दौरान विधानसभा चुनाव हुए और प्रदेश में कांग्रेस सरकार सत्ता में आई और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह बने। इसके बाद उम्मीद जागी कि शायद अब यह प्रोजैक्ट सिरे चढ़ेगा, परंतु डेढ़ साल बीत जाने के बाद सुधार तो दूर जो पहले पानी निकाल कर सफाई की गई वह भी खत्म हो गई और राजिंद्रा लेक एक वीराना जंगल बन गया। 

पुरानी लुक को लेकर फंसा पेंच
कांग्रेस सरकार के सत्ता में आने के बाद जब भी झील की ब्यूटीफिकेशन की फाइल चलती है तो झील की पुरानी लुक को बहाल करने को लेकर पेंच फंस जाता है। क्योंकि वर्तमान समय शाही परिवार की तरफ से इसकी पुरानी लुक को बहाल करने पर जोर दिया जा रहा है। यदि पुरानी लुक बहाल की जाती है तो निश्चित तौर पर फिर पिछली योजना के मुताबिक झील के आसपास सैरगाह के लिए बनाए गए ट्रैक की मिट्टी को फिर से निकालना पड़ेगा। तय है कि अभी झील के अ४छे दिन आते दिखाई नहीं दे रहे। यह भी हो सकता है कि पुरानी और नई लुक में ही कांग्रेस सरकार की यह टर्म गुजर जाए। 

योजनाएं बनीं और बदली गईं
राजिंद्रा झील को लेकर पिछले 2 दशकों से योजनाएं बन रही हैं और बदली जा रही हैं। पिछली अमरेन्द्र सरकार के समय झील को फिर से ब्यूटीफाई करना शुरू किया गया था। तब यहां बोट क्लब भी बनाया गया, परंतु वह बोट क्लब भी ज्यादा देर तक नहीं चल सका और दिन-ब-दिन फिर से झील की हालत काफी ज्यादा खराब होती गई। अकाली सरकार के समय पहले झील में डल लेक की तर्ज पर पानी छोड़ कर शिकारे चलाने की योजना बनाई गई। परंतु फिर यहां कैनाल बेस्ड ट्रीटमैंट प्लांट का पहला फेज पूरा करने के लिए पानी स्टोर करने की योजना बनाई गई। परंतु वह भी फाइलों में ही दब कर रह गई। कहने का अर्थ है कि पिछले दो दशकों से यहां सिर्फ योजनाएं ही बन रही हैं।

कभी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र होती थी राजिंद्रा झील
माल रोड पर स्थित राजिंद्रा झील कभी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र होती थी और लोग दूर-दूर से इस झील को देखने के लिए आते थे। यहां कई पुरानी फिल्में, नाटकों और गीतों की शूटिंग भी हुई है। पुराने समय में गांवों से लोग राजिंद्रा झील को देखने के लिए विशेष तौर पर आते थे। झील को बनाया भी केंद्र में गया था, जहां एक तरफ माल रोड गुजरती है, एक तरफ ऐतिहासिक श्री काली माता मंदिर स्थित है, दूसरी तरफ जिला कचहरियां हैं, सामने दुनिया भर में प्रसिद्ध बारादरी गार्डन और सैंट्रल पुस्तकालय स्थित है। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!