Edited By swetha,Updated: 02 Dec, 2019 12:21 PM
पंजाब में दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) और हाईकोर्ट चिंता जता चुके हैं।
पटियाला(बलजिन्द्र, राणा): पंजाब में दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) और हाईकोर्ट चिंता जता चुके हैं। हाईकोर्ट की तरफ से दीवाली पर पटाखे चलाने पर पाबंदी लगाई थी, परन्तु दूसरी तरफ पंजाब में बड़ी संख्या में पुराने वाहन चल रहे हैं जोकि प्रदूषण का कारण बन रहे हैं। पंजाब में पुराने वाहनों की संख्या बाकी राज्यों से कहीं अधिक है, जबकि पंजाब का क्षेत्रफल बाकी राज्यों से काफी कम है। इसके अलावा कई राज्यों में 10 सालों पुराने वाहनों पर रोक लगा दी गई है, जबकि पंजाब में 30-30 साल पुराने वाहन घूम रहे हैं। बड़ी संख्या में चल रहे पुराने ट्रक, कारें और अन्य वाहन प्रदूषण का बड़ा कारण बन रहे हैं। पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने प्रदेश के वाहनों के प्रदूषण की जांच करने के लिए जो प्रदूषण जांच केंद्र खोले हैं, उनमें से अधिकांश केंद्रों के पास अत्याधुनिक यंत्र नहीं हैं। दो-अढ़ाई दशक पहले प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से लाइसैंस लेकर खोले गए प्रदूषण जांच केंद्रों में बाबा आदम के जमाने के यंत्र हैं।
पैट्रोल पंपों पर चल रहे हैं अधिकांश प्रदूषण जांच केंद्र
पंजाब में 90 प्रतिशत प्रदूषण जांच केंद्र पैट्रोल पंपों पर खुले हुए हैं। पैट्रोल पंप मालिकों की तरफ से अपनी आय बढ़ाने के लिए प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से जांच केंद्र का लाइसैंस लेकर अपने पंप पर प्रदूषण चैकिंग सैंटर खोल लिया जाता है। आज कल यह प्रदूषण जांच केंद्र पैट्रोल पम्प मालिकों की मोटी कमाई का साधन बन गए हैं। जो भी व्यक्ति इन पंपों पर पैट्रोल या डीजल भरवाने आता है, वह साथ ही प्रदूषण चैक सर्टीफिकेट भी हासिल कर लेता है। किसी भी वाहन की प्रदूषण की मात्रा का स्तर चैक करने में कुछ समय लगता है, परन्तु इन पैट्रोल पंप पर मिनटों में ही तेल भरवाने के बाद वाहन मालिक से निर्धारित फीस लेकर सर्टीफिकेट जारी कर दिया जाता है।
सैंकड़ों प्रदूषण जांच केंद्र हो सकते हैं बंद
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के पास यह रिपोर्ट पहुंची है कि पंजाब के अधिकांश प्रदूषण जांच केंद्र प्रदूषण जांच की सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं। ऐसे जांच केंद्रों की संख्या सैंकड़ों में है। प्रदेश भर में पिछले समय दौरान सामने आया कि जो जांच केंद्र सिर्फ फीस लेकर सर्टीफिकेट जारी कर देते हैं, को बंद किया जा सकता है। ऐसे जांच केंद्रों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई हो सकती है।
पंजाब में 65 लाख से अधिक हैं रजिस्टर्ड पैट्रोल और डीजल वाहन
मिली जानकारी के अनुसार पंजाब के ट्रांसपोर्ट विभाग के पास 65 लाख पैट्रोल और डीजल वाहन रजिस्टर्ड हैं। इन वाहनों की चैकिंग के लिए जो सैंकड़ों जांच केंद्र खुले हैं, उन के प्रदूषण जांच करने वाले यंत्रों पर ही सवाल खड़ा हो गया है। इस कारण पंजाब का वातावरण दिन-प्रतिदिन खराब होता जा रहा है।
कानून पर राजनीति भारी
प्रदूषित होते पंजाब को बचाने के लिए कानून पर राजनीति भारी नजर आ रही है। पहले दिखावे के लिए सख्त कानून बना दिए जाते हैं, बाद में वोट की राजनीति को देख कर उनको लागू ही नहीं किया जाता। ऐसे में कई दशक बीत जाने के बाद भी पराली का कोई प्रभावी समाधान नहीं ढूंढा जा सका।
80 या 50 रुपए ले कर जारी कर दिया जाता है सर्टीफिकेट
पंजाब में खुले ये प्रदूषण जांच केंद्र सिर्फ कमाई का ध्यान रखते हैं। ये प्रदूषण जांच केंद्र चौपहिया वाहन के ड्राइवर से 80 रुपए और दोपहिया वाहन के ड्राइवर से 50 रुपए लेकर प्रदूषण जांच का सर्टीफिकेट दे देते हैं। सूत्रों के अनुसार कई केंद्र तो जांच भी नहीं करते, वे फीस लेकर सिर्फ सर्टीफिकेट जारी कर देते हैं।
क्या कहता है एयर क्वालिटी इंडैक्स
शुद्ध वायु |
100 |
खराब क्वालिटी |
201 से 300 |
बहुत खराब क्वालिटी |
301 से 400 |
खतरनाक स्थिति |
401 से 500 तक |