अंदरूनी शहर की बजाय बाहरी कालोनियों में प्र्रदूषण ज्यादा

Edited By swetha,Updated: 09 Dec, 2018 11:34 AM

pollution in colonies

बागों और दरवाजों के शहर माने जाने वाले पटियाला में अंदरूनी शहर की  बजाय आऊटर कालोनियों में प्रदूषण ज्यादा है। सबसे अहम बात यह सामने आ रही है कि सर्दियों के दिनों में दोपहर की तुलना में प्रात: ज्यादा प्रदूषण देखने को मिल रहा है। यह तथ्य आई.आई.टी....

पटियाला(बलजिन्द्र): बागों और दरवाजों के शहर माने जाने वाले पटियाला में अंदरूनी शहर की  बजाय आऊटर कालोनियों में प्रदूषण ज्यादा है। सबसे अहम बात यह सामने आ रही है कि सर्दियों के दिनों में दोपहर की तुलना में प्रात: ज्यादा प्रदूषण देखने को मिल रहा है। यह तथ्य आई.आई.टी. दिल्ली की तरफ से पटियाला फाऊंडेशन के साथ मिल कर शहर के एयर पॉल्यूशन की मॉनिटरिंग के लिए लगाए गए 3 एयर पॉल्यूशन मॉनिटरिंग यूनिटों के पिछले 3 महीनों के रिकार्ड से सामने आया। 

वर्णनीय है कि विश्व सेहत संगठन की तरफ से पिछले समय दौरान जारी की गई रैकिंग में पटियाला को देश के सब से ज्यादा एयर प्रदूषण वाले शहर की संख्या में 13वां स्थान दिया गया था। इसका पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और पंजाब सरकार की तरफ से विरोध किया गया था। इसके बाद आई.आई.टी. दिल्ली की तरफ से पटियाला की एन.जी.ओ. ‘पटियाला फाऊंडेशन’ के साथ मिलकर शहर के तीन स्थानों में एयर पॉल्यूशन मॉनिटरिंग यूनिट लगाए गए थे, जिनमें एक यूनिट शहर के बिल्कुल अंदर ए-टैंक के पास लगाया गया है, जबकि दूसरा शहर से बाहर पुडा भवन के पास लगाया गया है और तीसरा यूनिट गुरुद्वारा सिंह सभा के पास लगाया गया है। ये यूनिट सितम्बर महीने में स्थापित किए गए थे। हालांकि विश्व सेहत संगठन का डाटा कितना सही है, यह तो साल पूरा होने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है परन्तु वर्तमान समय में जो सामने आया कि अक्तूबर और नवम्बर महीने में पटियाला में एयर प्रदूषण काफी ज्यादा बढ़ जाता है। 


सर्दियों में दोपहर की तुलना में सुबह ज्यादा प्रदूषण
3 महीने की स्टडी से सामने आया कि पटियाला में सुबह ज्यादा प्रदूषण होता है, जबकि दोपहर को कम। सुनने में कुछ सही नहीं लगता परन्तु जो स्टडी सामने आ रही है, उस मुताबिक सुबह हवा में पी.एम 2.5 (फाइन पार्टीकल्ज) यानी बारीक कण हवा में ज्यादा घुले होते हैं, जो कि दोपहर होते-होते काफी ज्यादा कम जाते हैं। सबसे ज्यादा प्रदूषण सुबह 8 से 10 तक होता है। जैस-जैसे तापमान बढ़ता है तो ये बारीक कण नीचे बैठ जाते हैं और शाम को फिर से प्रदूषण का स्तर बढऩा शुरू हो जाता है।

ये सेहत के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक माने जाते हैं। पी.एम. 2.5 वाहनों के धुएं, पराली जलाने और पत्ते जलाने आदि के साथ ज्यादा फैलते हैं, जबकि दूसरी तरह के कण पी.एम. 2.10 माने जाते हैं, जो कि आंधी आदि के बाद होते हैं। पी.एम. 2.5 काफी ज्यादा बारीक होने के कारण सेहत के लिए काफी ज्यादा हानिकारक है। सामने आए तथ्यों के मुताबिक हवा में पी.एम. 2.5 सितम्बर महीने में जहां ए-टैंक में 55 पाया गया, वहीं पुडा वाले यूनिट पर 57। अक्तूबर में ए-टैंक वाले में यूनिट 132 और पुडा वाले यूनिट में 170 दर्ज किया गया। इसी तरह नवंबर में दोनों तरफ 170 रिकार्ड किया गया और दिसम्बर में अब तक ए-टैंक में 147 और पुडा में 155 रिकार्ड किया गया। 

शहर में पत्ते और खेतों में पराली जलाने से ज्यादा बढ़ रहा है आऊटर कालोनियों में प्रदूषण : रवि आहलूवालिया
इस प्रोजैक्ट पर काम कर रहे पटियाला फाऊंडेशन के चीफ फंक्शनरी रवि सिंह आहलूवालिया ने बताया कि बाहरी कालोनियों में वृक्षों के पत्तों को सही तरीके से मैनेज करने की बजाय, उनको आग लगा दी जाती है जबकि अन्य गांवों में किसान पराली जला देते हैैं। 

डम्पिंग ग्राऊंड के नजदीक वाली कालोनियों का हुआ जीना दुश्वार
शहर के सनौरी अड्डा और घलोड़ी गेट के बीच स्थित डमिं्पग ग्राऊंड के पास की कालोनियों में रात को अक्सर कूड़े को आग लगा दी जाती है जिससे आस-पास की कालोनियों में धुआं फैल जाता है। इस वजह से लोगों का जीना दुश्वार हो गया है। एंटी डमिं्पग समिति के मैंबर इंजीनियर ललित मोहन गर्ग ने बताया कि इसको लेकर कई बार नगर निगम से भी शिकायत की गई है, परन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई। 

 

 

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