शाही शहर की सड़कों का सच

Edited By swetha,Updated: 10 Dec, 2018 12:37 PM

patiala roads

पटियाला शहर में इन दिनों सड़कों की मुरम्मत के साथ ब्यूटीफिकेशन की जा रही है तथा कई सड़कें चौड़ी भी की जा रही हैं, पर इसमें एक बड़ी बात सामने आ रही है कि अधिकतर प्रबंध कारों व भारी वाहन वालों के लिए किया गया है, साइकिलों पर व पैदल चलने वालों के लिए...

पटियाला  (बलजिन्द्र, राणा) : पटियाला शहर में इन दिनों सड़कों की मुरम्मत के साथ ब्यूटीफिकेशन की जा रही है तथा कई सड़कें चौड़ी भी की जा रही हैं, पर इसमें एक बड़ी बात सामने आ रही है कि अधिकतर प्रबंध कारों व भारी वाहन वालों के लिए किया गया है, साइकिलों पर व पैदल चलने वालों के लिए कोई प्रबंध नहीं किया जा रहा है। यहां तक कि सड़कों पर पैदल जाने वालों के लिए फुटपाथ तक भी नदारद है। मिनिस्टरी ऑफ ट्रांसपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार पटियाला शहर में 6 प्रतिशत लोग ही कारों में सफर करते हैं जबकि 21 प्रतिशत पैदल व 25 प्रतिशत साइकिलों पर सफल करते हैं। इसी तरह मोटरसाइकिल पर 34 प्रतिशत लोग ही सफर करते हैं।

पटियाला की अभी जो सड़कें चौड़ी की गई हैं, उनमें लोअर माल, वाई.पी.एस. रोड व भूपिन्द्र रोड शामिल हैं। तीनों सड़कों पर फुटपाथ गायब हैं। ऐसे में 46 प्रतिशत पैदल व साइकिलों पर चलने वालों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। नई सड़कों और यहां तक कि कई पुरानी सड़कों में न तो फुटपाथ, न ही साइकलिंग ट्रैक, न पैदल लोगों के लिए क्रास करने के लिए सड़क और कई स्थानों पर जैब्रा क्रासिंग तक भी नहीं लगाए गए। जहां जैब्रा क्रासिंग लगे हुए हैं, वह सही नहीं हैं। यदि उक्त बातों की ओर ध्यान दिया जाए तो पटियाला में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को कम किया जा सकता है।

हर वर्ष 65 से 70 लोगों की होती है सड़क दुर्घटना में मौत
पटियाला शहर में हर वर्ष 65 से 70 लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत हो जाती है। अधिकतर दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के लिए ट्रक, बस व कारें जिम्मेदार होती हैं। आई.आई.टी. दिल्ली व पटियाला फाऊंडेशन के सर्वे के  अनुसार अधिकतर दुर्घटनाएं लीला भवन, राजपुरा रोड, सरङ्क्षहद रोड, पटियाला बस स्टैंड के पास बत्ती वाला चौक व नाभा रोड पर कई प्वाइंट शामिल हैं। यह डाटा केवल पटियाला शहर के अधीन आते थानों का है।

शुक्रवार को होते हैं सबसे अधिक सड़क हादसे
सर्वे के अनुसार सब से अधिक सड़क दुर्घटनाएं शुक्रवार को होती हैं और सब से अधिक मौत दिसंबर में होती हैं। शुक्रवार को शाम को 5 से 10 बजे तक अधिकतर सड़क दुर्घटनाओं को होना पाया गया है। दिसम्बर महीने में अधिकतर मौतें होने के पीछे विशेषज्ञों की ओर से यह कारण माना जाता है कि वाहन चलाने वालों की ओर से कोई तैयारी नहीं की जाती और जब कोहरा पडऩा शुरू होता है तो हर कोई अपना प्रबंध कर लेता है। ऐसे में जनवरी में अधिक कोहरा पडऩे के कारण भी कम दुर्घटनाएं होती हैं।

सड़कों को सही योजना अनुसार बनाना समय की बड़ी मांग
पटियाला रोड सेफ्टी पर आई.आई.टी. दिल्ली व पटियाला फाऊंडेशन की ओर से ओमैक्स माल पर रोड सेफ्टी को लेकर एक प्रदर्शनी लगाई गई है। जहां लोगों के सुझाव भी मांगे जा रहे हैं। यहां आए सुझावों के बारे में पटियाला फाऊंडेशन के चीफ फंक्शनरी रवि सिंह आहलूवालिया ने बताया कि सड़कों को सही योजना अनुसार बनाना समय की सब से बड़ी मांग है। उन्होंने बताया कि उदाहरण के तौर पर वाई.पी.एस. रोड फोर लेन है, पर प्रयोग केवल 2 लेन का हो रहा है और बाकी दोनों ओर कारों की पार्किंग होती है तो जरूरी है कि प्लाङ्क्षनग ही इस तरह की जाए कि कारों को खड़ा करने के लिए पार्किंग दी जाए और पूरी सड़क बनाने की बजाय पैदल, साइकिल व मोटरसाइकिल वालों का भी ध्यान रखा जाए।
 


 

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