जिला सेहत विभाग की टीम ने ड्रग काऊंसलिंग और रिहैब्लीटेशन सैंटर किया सील

Edited By swetha,Updated: 09 Jul, 2019 10:34 AM

medical team checking

सहायक सिविल सर्जन डा. शैली जेतली ने बताया कि उनको गुप्त सूचना मिली थी कि सरङ्क्षहद रोड पर स्थित गांव हरदासपुर में एक गैर-कानूनी तौर पर ड्रग काऊंसङ्क्षलग और रिहैब्लीटेशन सैंटर चलाया जा रहा है, जिसकी चैकिंग करवाने के लिए उनकी तरफ से डिप्टी मैडीकल...

पटियाला/बारन (परमीत/इंद्र खरोड़): सहायक सिविल सर्जन डा. शैली जेतली ने बताया कि उनको गुप्त सूचना मिली थी कि सरङ्क्षहद रोड पर स्थित गांव हरदासपुर में एक गैर-कानूनी तौर पर ड्रग काऊंसलिंग और रिहैब्लीटेशन सैंटर चलाया जा रहा है, जिसकी चैकिंग करवाने के लिए उनकी तरफ से डिप्टी मैडीकल कमिश्नर डा. एम.एस. धालीवाल के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई। टीम में सीनियर मैडीकल अफसर प्राथमिक सेहत केंद्र कटोरी डा. रंजना शर्मा, माता कौशल्या अस्पताल से सायकैट्रिस्ट डा. प्रभदीप सिंह, मैडीकल अफसर डा. परवेज फारुकी, जिला सामाजिक सुरक्षा विभाग से भुपिंदर सिंह, ड्रग इंस्पैक्टर रोहत कालड़ा और संतेश कुमार शामिल थे। टीम ने पुलिस चौकी अनाज मंडी के एस.एच.ओ. गुरनाम सिंह के नेतृत्व वाली टीम के साथ संयुक्त तौर पर गांव हरदासपुर के सरकारी प्राइमरी स्कूल के नजदीक न्यू ओए वैल्फेयर फाऊंडेशन ड्रग काऊंसङ्क्षलग और रिहैब्लीटेशन सैंटर की चैकिंग की। 

इस सैंटर को जसप्रीत सिंह नामक व्यक्ति चला रहा था। उसके बताने अनुसार इस सैंटर का मालिक शमशेर सिंह है जोकि जालंधर का रहने वाला है परन्तु मालिक मौके पर मौजूद नहीं था। टीम की तरफ से जांच दौरान जसप्रीत सिंह को सैंटर चलाने के लिए पंजाब सरकार सेहत विभाग की तरफ से प्राप्त ड्रग काऊंसङ्क्षलग और रिहैब्लीटेशन सैंटर चलाने का लाइसैंस पेश करने के लिए कहा गया परंतु मौके पर उस के पास सैंटर चलाने का कोई भी लाइसैंस और अन्य कोई दस्तावेज मौजूद नहीं था।

सैंटर में मरीजों के साथ सम्बन्धित जरूरी फाइलें, अपेक्षित स्टाफ, डीटोकस सर्टिफिकेट तथा अन्य जरूरी चीजें मौजूद नहीं थीं। इस तरह यह सैंटर गैर-कानूनी तौर पर चलाया जा रहा था। सैंटर में 29 मरीज दाखिल थे जो पंजाब के अलग-अलग जिलों से थे। मरीजों के बताने मुताबिक उनको सैंटर में घटिया खाना दिया जाता और रसोई का सारा काम करवाया जाता है। इन 29 मरीजों में से 6 मरीजों को उनके परिजन अपने घरों को ले गए और बाकी 23 मरीजों में से 9 को सरकारी डी-एडीक्शन सैंटर सिविल अस्पताल राजपुरा, 9 को डी-एडीक्शन सैंटर फतेहगढ़ साहिब और 5 मरीजों को साकेत अस्पताल पटियाला में दाखिल करवा दिया गया है। 

ड्रग इंस्पैक्टरों ने बताया कि इस सैंटर की तलाशी लेने पर कोई भी गैर-कानूनी दवाइयां प्राप्त नहीं हुईं। सहायक सिविल सर्जन डा. जेतली ने बताया कि सैंटर में चाहे कोई भी गैर-कानूनी दवाएं प्राप्त नहीं हुईं परन्तु सरकार की गाइडलाइन अनुसार सैंटर के मालिक के पास नशा काऊंसङ्क्षलग और रिहैब्लीटेशन सैंटर का लाइसैंस न होने के कारण इस सैंटर को टीम की तरफ से पुलिस और सैंटर चलाने वाले स्टाफ की मौजूदगी में सील करके बंद कर दिया गया है और थाना पुलिस अनाज मंडी को मालिक विरुद्ध कार्रवाई के लिए लिख दिया गया है। इस सम्बन्धित उच्चाधिकारियों को भी रिपोर्ट बना कर भेजी जाएगी और सैंटर के मालिक विरुद्ध बनती कार्रवाई की जाएगी।

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