थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को नहीं मिल रही मैडीकल सुविधा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 May, 2018 01:19 PM

medical facilities available to children suffering from thalassemia

विश्व थैलेसीमिया-डे  8 मई को मनाया जाता है। सरकारी स्तर पर कुछ कार्यक्रम होंगे, कुछ लैक्चर, सैमीनार होंगे, लेकिन थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों की मुसीबतें कम नहीं होंगी। वे अपना जीवन मौत के साथ संघर्ष करके जी रहे हैं। एक तो लाइलाज बीमारी और उपर से...

पटियाला(राजेश):  विश्व थैलेसीमिया-डे  8 मई को मनाया जाता है। सरकारी स्तर पर कुछ कार्यक्रम होंगे, कुछ लैक्चर, सैमीनार होंगे, लेकिन थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों की मुसीबतें कम नहीं होंगी। वे अपना जीवन मौत के साथ संघर्ष करके जी रहे हैं। एक तो लाइलाज बीमारी और उपर से सरकार की अनदेखी का शिकार ये पीड़ित बच्चे दर-दर भटकने को मजबूर हैं।

 

बीमार तो सिर्फ  बच्चा होता है, लेकिन इसकी जद में पूरा परिवार आ जाता है। कारण भारी-भरकम मासिक दवाइयों का खर्च और 10-15 दिन बाद ब्लड ट्रांसफ्यूजन करवाना, जिसके लिए पीड़ित बच्चों को अस्पताल में बार-बार चक्कर लगाने पड़ते हैं, फिर ट्रांसफ्यूजन दौरान इन्फैक्शन का खतरा बढ़ जाता है और वे एच.सी., वी.ए., एच.आई.वी. और अन्य कई तरह की बीमारियों से पीड़ित हो जाते हैं। इससे इनकी दवाइयों का मासिक खर्च बढ़कर अनुमानित 10 हजार रुपए के करीब हो जाता है, जिससे परिवार का आॢथक ढांचा ही चरमरा जाता है। 

 


पटियाला थैलासीमिक चिल्ड्रन वैल्फेयर एसोसिएशन के महासचिव विजय पाहवा ने बताया कि बेशक सरकार बदल गई है लेकिन हमारे बच्चों की किस्मत नहीं बदली वे अब भी जीवन और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं। विजय पाहवा ने बताया कि पंजाब में एक हजार से ज्यादा मेजर थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चे हैं जिन्हें हर 10 से 15 दिनों के बाद रक्त चढ़ाया जाता है। पंजाब में लुधियाना, पटियाला, अमृतसर, जालंधर, फरीदकोट, बङ्क्षठडा व चंडीगढ़ में थैलेसीमिया एसोसिएशनें पीड़ित बच्चों की देखरेख कर रही हैं।

 

पटियाला थैलासीमिक एसो. के पास 220 पीड़ित बच्चे हैं जिनकी देखरेख  दानी सज्जनों के सहयोग से की जा रही है। सरकारी मदद के नाम पर राजिंद्रा अस्पताल में 2 कमरों का वार्ड दूसरी मंजिल पर अलाट किया हुआ है, जहां पर लिफ्ट तो है, लेकिन कई सालों से खराब पड़ी है। पीड़ित बच्चों के लिए दूसरी मंजिल पर चढऩा जैसे एवरैस्ट चढऩे के समान है। ब्लड बैंक से ब्लड तो नि:शुल्क मिलता है, लेकिन और कई तरह के इंफैक्शन बच्चों में पाए जा रहे हैं। इसका कारण नई तकनीक की ब्लड टैसिं्टग मशीनों की कमी और बीमारी ग्रस्त रक्तदानियों द्वारा किए गए रक्तदान को बताया जा रहा है।

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