Edited By Vatika,Updated: 25 May, 2018 03:05 PM
गांव साधोहेड़ी के किसान अमरिंदर सिंह ने नीदरलैंड जा कर उच्च पढ़ाई (एम.एससी. इन जीओ इन्फोरमैटिस) की और पंजाब सरकार के रिपोर्ट सैसिंग सैंटर में वैज्ञानिक के तौर पर 4 साल नौकरी की परन्तु उसे असली संतोष गजटिड सर्विस छोड़ कर सब्जियों की खेती करने से...
नाभा(जैन) : गांव साधोहेड़ी के किसान अमरिंदर सिंह ने नीदरलैंड जा कर उच्च पढ़ाई (एम.एससी. इन जीओ इन्फोरमैटिस) की और पंजाब सरकार के रिपोर्ट सैसिंग सैंटर में वैज्ञानिक के तौर पर 4 साल नौकरी की परन्तु उसे असली संतोष गजटिड सर्विस छोड़ कर सब्जियों की खेती करने से मिला। अमरिंदर सिंह का कहना है कि वह आज कल रंग-बिरंगी शिमला मिर्च, खुंभ, खीरे, करेले, हरी मिर्च और खरबूजों की खेती करके आधुनिक ढंग से प्रति एकड़ अन्यों की अपेक्षा अच्छा लाभ कमा रहा है।
उसने 5 साल पहले नौकरी छोड़ कर 32 एकड़ पैतृक जमीन पर कृषि आरंभ की और लगभग 4 हजार वर्ग मीटर के पॉलीहाऊस से सब्जियों की खेती शुरू की। फिर एक साल बाद 4 हजार वर्ग मीटर का एक और पॉलीहाऊस बनाया। सरकार के बागवानी विभाग से मिले सहयोग और सबसिडीज के कारण अमरिंदर सफल किसान बन गया है। पंजाब सरकार ने अमरिंदर सिंह को प्रति पॉलीहाऊस 15 लाख 88 हजार और कृषि उपकरणों पर 2 लाख 80 हजार प्रति पॉलीहाऊस अलग से सबसिडी मुहैया करवाई। अब खुंभों के कम्पोस्ट यूनिट के लिए भी सबसिडी की अनुमति मिल गई है। अमरिंदर सिंह का कहना है कि गजटिड नौकरी छोड़ते समय लोग/किसान मजाक करते थे परन्तु अब किसान भाई और बुजुर्ग उससे कृषि बारे ज्ञान प्राप्त करते हैं। उसका कहना है कि आधुनिक कृषि उपकरण उसके पास हैं। कीड़ेमार दवाओं का इस्तेमाल नहीं करता और भूजल की बचत भी करता है।
अमरिंदर सिंह के अनुसार वह एक एकड़ में शिमला मिर्च की 211 क्विंटल पैदावार से कुल 9 लाख 65 हजार रुपए, बीज रहित खीरे (एक फसल) की एक एकड़ में 161 क्विंटल से 5 लाख रुपए, एक एकड़ की खुंभों में से 344 क्विंटल से 23 लाख 91 हजार रुपए, 4 एकड़ में खरबूजे से 408 क्विंटल पैदावार से 7 लाख 86 हजार रुपए, डेढ़ एकड़ में करेले पैदावार से 150 क्विंटल से एक लाख 91 हजार और डेढ़ एकड़ में बीज रहित खीरे (खुले में) से 220 क्विंटल से 2 लाख 49 हजार रुपए आमदन कमा रहा है। बागवानी विभाग के डिप्टी डायरैक्टर स्वर्र्ण सिंह मान और स्थानीय विभाग अधिकारी हरदीप सिंह का कहना है कि विभाग इस किसान समेत अन्य को समय-समय पर तकनीकी सहायता प्रदान करता रहता है, ताकि वे कृषि लागत घटा कर अधिक लाभ कमा सकें।32 वर्षीय अमरिंदर का एक चाचा हरदयाल सिंह चड्डा एडीशनल डिप्टी कमिश्नर और दूसरा चाचा जगतार सिंह साधोहेड़ी पी.आर.टी.सी. का पूर्व डायरैक्टर है। अनेक उच्च अधिकारी अक्सर इस नौजवान के पॉलीहाऊस का निरीक्षण करने आते रहते हैं।