बस्सी पठाना में कुत्तों और बेसहारा पशुओं का खौफ

Edited By Vatika,Updated: 17 Dec, 2018 01:03 PM

dangers of destroyed animals

जहां शहर की आबादी करीब 20 हजार बताई जाती है, वहीं शहर में बेसहारा पशुओं और कुत्तों की फौज ने भी अपना अलग साम्राज्य स्थापित कर लिया है जो अक्सर गलियों में घूमते दिखाई देते हैं और आए दिन लोगों पर हमला करके उन्हें घायल कर रहे हैं। इनकी संख्या इस हद तक...

बस्सी पठाना(राजकमल): जहां शहर की आबादी करीब 20 हजार बताई जाती है, वहीं शहर में बेसहारा पशुओं और कुत्तों की फौज ने भी अपना अलग साम्राज्य स्थापित कर लिया है जो अक्सर गलियों में घूमते दिखाई देते हैं और आए दिन लोगों पर हमला करके उन्हें घायल कर रहे हैं। इनकी संख्या इस हद तक बढ़ चुकी है कि शहर निवासी डर के साए में जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर हो चुके हैं। इसके बारे कई बार नगर कौंसिल और प्रशासनिक अधिकारियों को भी अवगत करवाया जा चुका है, परन्तु इस समस्या का कोई ठोस हल नहीं किया गया। अब हालात यह हो चुके हैं कि शहर निवासी सुबह सैर करने से भी गुरेज कर रहे हैं और शाम को घर से निकलने से भी डरते हैं। बेशक प्रशासन द्वारा बंदर पकड़ो अभियान शुरू होने से शहर निवासियों ने कुछ राहत ली है पर उसके बावजूद भी लोगों में डर का माहौल है क्योंकि अभी भी भारी संख्या में बंदर शहर में मौजूद हैं। 

बेसहारा पशु कर रहे हैं हमले
शहर में हर गली नुक्कड़ पर घूम रहे बेसहारा पशु अब आतंकी रूप अपनाते जा रहे हैं। कई पशु ऐसे हैं जो रोजाना ही किसी न किसी व्यक्ति पर हमला कर रहे हैं। इस कारण लोग इन पशुओं से दूरी बनाकर ही निकलने में अपनी भलाई समझते हैं। जहां सांड सड़क या गली के बीच खड़़े हों तो लोग अपना रास्ता ही बदल लेते हैं। कई स्कूली बच्चे पैदल स्कूल जाते हैं जिनके लिए यह पशु किसी समय भी खतरनाक साबित हो सकते हैं। गढोलियों में बनाई गई सरकारी गौशाला होने के बावजूद सड़कों पर घूम रहे इन पशुओं को वहां पहुंचाने का कोई प्रबंध नहीं किया जा रहा और प्रशासन कुंभकर्णी नींद सोया पड़ा है। इसके अलावा यह पशु सड़़कों पर आ कर हादसों का कारण भी बन रहे हैं। 

प्रशासन के ध्यान में लाकर समस्याओं का करवाया जाएगा समाधान : ई.ओ. सुधीर शर्मा 
कार्यकारी अधिकारी सुधीर शर्मा ने माना कि कुत्तों की शहर में गंभीर समस्या है, पर फंड की कमी के कारण वह बेबस हैं और इसके लिए कुछ भी नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि आगामी कुछ महीनों में नगर कौंसिल की मीटिंग में कुत्तों की नसबंदी करवाने के लिए प्रस्ताव पेश किया जाएगा। इसके अलावा बेसहारा पशुओं को गढोलिया की सरकारी गौशाला में भेजने का कार्य शुरू कर किया हुआ है परन्तु इसके लिए भी उनके पास कोई साधन नहीं हैं जिससे वह बेसहारा पशुओं को पकड़ सरकारी गौशाला में भेज सकें। बंदरों को पकड़ कर जंगलों में छोडऩे की मुहिम चल रही है। सभी समस्याएं प्रशासन के ध्यान में लाकर जल्दी ही इनका समाधान करवाने का प्रयास किया जाएगा।

खतरनाक कुत्तों का गैंग भी फैला रहा दहशत
बस्सी पठाना में खतरनाक कुत्तों का गैंग भी लोगों में दहशत फैला रहा है। हर गली में 7-8 कुत्ते अक्सर गैंग के रूप में दिखाई देते हैं और कई कुत्तों ने तो लोगों पर हमला कर उन्हें घायल भी किया है। इनकी लगातार बढ़ती जा रही संख्या शहर वासियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही है क्योंकि जब वे आते-जाते हैं तो उन्हें इस बारे में पता ही नहीं होता कि कब और कौन सा कुत्ता उन पर हमला कर दे। कुत्तों के खौफ के कारण लोग अब सुबह सैर करने से भी कतरा रहे हैं। पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग द्वारा कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए मंडी गोबिंदगढ़ में हजारों ही कुत्तों को पकड़ कर नसबंदी की गई थी परन्तु बस्सी पठाना में ऐसी कोई मुहिम नहीं चलाई गई, जिस कारण इनकी संख्या में लगातार इजाफा होता जा है और प्रशासन की चुप्पी के कारण लोगों में भारी रोष है। 

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