सरकार के आदेश के कारण किसानों पर बोझ बनी बिहारी लेबर

Edited By swetha,Updated: 16 Jun, 2018 01:23 PM

bihari labor became a burden on farmers due to order of government

पंजाब सरकार द्वारा 20 जून के बाद धान की फसल लगाने के आदेश के कारण इस समय बिहारी लेबर पंजाब के किसानों पर बोझ बन चुकी है। धान का सीजन शुरू होने से  पहले ही बिहारी लेबर को पंजाब के किसानों ने अपने-अपने खेतों में ला बैठाया था परन्तु अब इस लेबर का खर्चा...

पटियाला(जोसन) : पंजाब सरकार द्वारा 20 जून के बाद धान की फसल लगाने के आदेश के कारण इस समय बिहारी लेबर पंजाब के किसानों पर बोझ बन चुकी है। धान का सीजन शुरू होने से  पहले ही बिहारी लेबर को पंजाब के किसानों ने अपने-अपने खेतों में ला बैठाया था परन्तु अब इस लेबर का खर्चा किसानों पर बोझ बनता जा रहा है। जबकि धान की फसल 20 जून के बाद ही लगाई जानी है। किसानों ने धान की फसल 20 जून से पहले लगाने के लिए सोचा था, परन्तु कई स्थानों पर पर्चे होने और लगाई धान की फसल जोत दिए जाने कारण किसान रिस्क लेने के लिए तैयार नहीं हैं।

उधर समय पर लेबर न मिलना हर बार किसानों के लिए बड़ी  दिक्कत बनी है। इस कारण इस बार किसानों ने लेबर को पहले ही बुला लिया है। बिहार से आने वाले इन प्रवासियों की रेलवे स्टेशनों पर खूब खातिरदारी हुई है। किसान हर फसल पर बिहार से आने वाली ट्रेनों का रास्ता ताकते रहते हैं। राजपुरा, सरहिंद, अम्बाला समेत अन्य कई रेलवे स्टेशनों पर किसानों ने डेरे लगाए हुए हैं। किसान बिहार से आने वाली ट्रेन का पूछताछ काऊंटर से समय पता करते हैं और फिर उस समय से पहले ही स्टेशन पर आकर बैठ जाते हैं। इन प्रवासी पंजाबियों के उतरते ही लालच देने के लिए बातचीत शुरू हो जाती है। देखा जा रहा है कि बिहार से आने वाली ट्रेनें भी प्रवासी लेबर से खचाखच भरी आ रही हैं।

बताने योग्य है कि कुछ समय से पंजाब में लेबर धान की फसल लगाने के लिए नहीं मिल रही। इस कारण किसानों को बिहारी लेबर से ही अपना काम चलाना पड़ रहा है। बिहारी लेबर का किसानों को सब से बड़ा फायदा यह होता है कि ये लेबर पंजाबी लेबर की अपेक्षा ज्यादा और जल्दी काम निपटाती है। एक तो इन का हाथ तेज चलता है और दूसरा इन को घर जाने-आने या खाना बनाने की ज्यादा फिक्र नहीं होती। यह ठेके के हिसाब से काम पकड़ कर कुछ ही घंटों में कई एकड़ धान की फसल लगा देते हैं।बिहारी लेबर के रहने का इंतजाम खेतों में ही होने के कारण ये सुबह जल्दी धान की फसल लगानी शुरू करके देर शाम तक काम करते हैं, जिस कारण किसान का काम भी जल्दी निपट जाता है। उधर पंजाबी लेबर सुबह घर से लेट आती है और शाम को घर चले जाने के कारण दिन के समय ही काम होता है, जिससे काम जल्दी निपटने की उम्मीद कम होती है।

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