दिसम्बर आते ही खूनी हुईं यहां की सड़कें: 23 दिनों में ही 10 जिंदगियां निगल गई धुंध

Edited By Vatika,Updated: 24 Dec, 2018 10:59 AM

10 accident in patiala

दिसम्बर का महीना शुरू होते ही पटियाला की सड़कों ने खूनी रूप धार लिया है। सिर्फ दिसम्बर महीने के पहले 23 दिनों में ही धुंध व लापरवाही के कारण विभिन्न सड़क हादसों में 10 मौतें हो गईं। जोकि पूरे साल में होने वाली मौतों का 15 प्रतिशत हिस्सा है। अभी...

पटियाला/रखड़ा(बलजिंद्र, राणा): दिसम्बर का महीना शुरू होते ही पटियाला की सड़कों ने खूनी रूप धार लिया है। सिर्फ दिसम्बर महीने के पहले 23 दिनों में ही धुंध व लापरवाही के कारण विभिन्न सड़क हादसों में 10 मौतें हो गईं। जोकि पूरे साल में होने वाली मौतों का 15 प्रतिशत हिस्सा है। अभी दिसम्बर महीने के 7 दिन बाकी हैं और वह भी ज्यादा घनी धुंध और कोहरे वाले।
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यदि यही आंकड़ा चलता रहा तो यह आंकड़ा 25 प्रतिशत तक भी पहुंच सकता है। इतना ही नहीं पिछले 23 दिनों में 12 व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हुए हैं। हो रहे हादसे सभी के लिए ङ्क्षचता का विषय बने हुए हैं क्योंकि इस विषय पर कोई ज्यादा काम नहीं हो रहा और सरकार तथा प्रशासन की तरफ से भी इस तरफ कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा। सबसे अहम बात यह है कि सिर्फ इतने कम दिनों में अकेले पटियाला शहर में विभिन्न सड़क हादसों में इतनी जानें जाने को शायद रोका जा सकता था, यदि कुछ नियमों का पालन किया जाता। पिछले लम्बे समय से देखने को मिला है कि सड़क हादसों में जाने वाली कीमती जानों के बारे सिर्फ भाषणबाजी और कागजों में ही काम हो रहे हैं।

सरहिंद व नाभा रोड पर हुई सबसे अधिक मौतें 
सबसे अधिक मौतें सरहिंद और नाभा रोड पर हुईं। सरङ्क्षहद रोड तो पटियाला की सबसे ज्यादा हादसों वाली रोड बन चुकी है। दोनों सड़कों पर आए दिन कोई न कोई हादसा होने की खबर मिलती रहती है। दोनों सड़कों पर जो भी हादसा होता है, वह खतरनाक ही होता है क्योंकि दोनों सड़कों पर कई स्थानों पर ट्रैफिक के लिहाज से काफी कमियां हैं और खास तौर पर गांवों को मुडऩे वाली लिंक सड़कों पर मुडऩे के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। सड़क हादसों का सबसे बड़ा कारण या तो लिंक रोड से मुडऩा बनता है या फिर ओवरटेक करना।

शहर में हर साल 65 से 70 लोगों की होती है सड़क हादसों में मौत
शहर में हर साल 65 से 70 लोगों की सड़क हादसों में मौत हो जाती है। ज्यादातर हादसों में होने वाली मौतों के लिए ट्रक, बस और कारें जिम्मेदार हैं। आई.आई.टी. दिल्ली और पटियाला फाऊंडेशन के सर्वे के मुताबिक ज्यादातर हादसे लीला भवन, राजपुरा रोड, सरहिंद रोड, पटियाला बस स्टैंड के पास बत्तीयां वाला चौक और नाभा रोड पर स्थित कई प्वाइंटों पर होते हैं। यह डाटा सिर्फ पटियाला शहर के अधीन पडऩे वाले थानों का है।  
 

ठंड से कांपा पटियाला, न्यूनतम तापमान 4 डिग्री 
पहाड़ों में बर्फबारी होते ही पटियाला भी ठंड से कांप गया है। पटियाला का आज न्यूनतम तापमान 4 डिग्री रहा। पटियाला इस समय शीतलहर की चपेट में आ गया है। सुबह धुंध काफी थी परंतु दोपहर होने तक धूप खिल गई और शाम होते ही फिर से शहर धुंध की चपेट में आ गया। हालांकि रविवार की छुट्टी होने के कारण लोग घरों में ही दुबके रहे। शहर की सड़कों पर लोग कम ही निकले। 

शुक्रवार को होते हैं सबसे अधिक हादसे
सर्वे के मुताबिक सबसे अधिक सड़क हादसे शुक्रवार को होते हैं और सबसे ज्यादा मौतें दिसम्बर महीने में होती हैं। शुक्रवार शाम को 5.00 से 10.00 बजे तक ज्यादा सड़कों पर हादसे होना पाया गया है। दिसम्बर महीने में ज्यादा मौतें होने के पीछे माहिरों की तरफ से यह कारण माना जाता है कि वाहन चलाने वालों की तरफ से कोई तैयारी नहीं की जाती और जब धुंध पडऩी शुरू हो जाती है तो हर कोई अपना इंतजाम कर लेता है। 

घने कोहरे के कारण कार हादसाग्रस्त, बाल-बाल बचा चालक
घने कोहरे के कारण पटियाला-राजपुरा रोड पर नए बनाए जा रहे अंडरब्रिज के नजदीक एक कार हादसाग्रस्त हो गई, गनीमत रही कि कार ड्राइवर इस हादसे में बाल-बाल बच गया। वर्णनयोग्य है कि पटियाला-राजपुरा रोड पर अंडरब्रिज का कार्य चल रहा है। घना कोहरा होने और कंस्ट्रक्शन साइड के आसपास कोई रिफ्लैक्टर या साइन बोर्ड न लगे होने के कारण रोड पर चलने वाले वाहन चालकों को कंस्ट्रक्शन का पता नहीं चलता जिस कारण यह हादसा हुआ। राहगीरों ने इस जगह पर प्रशासन द्वारा रिफ्लैक्टर या साइन बोर्ड लगाए जाने का आग्रह किया।

 

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