नाले में अवैध कब्जों की भरमार, 50 की बजाय 10 फुट चौड़ा हुआ, पानी की निकासी प्रभावित

Edited By bharti,Updated: 20 Aug, 2018 11:06 AM

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वर्षा के पानी के कारण यदि बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाए तो बहाव का रुख किस तरफ होगा, इसका अंदाजा नहीं...

रूपनगर (कैलाश): वर्षा के पानी के कारण यदि बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाए तो बहाव का रुख किस तरफ होगा, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। रूपनगर के निवासी वर्ष 1992 में ऐसी स्थिति झेल चुके हैं, जब शहर में बाढ़ के प्रकोप के कारण बसंत नगर तथा एक कोल्ड स्टोर के बने मुलाजिमों के दर्जनों मकान जमींदोज हो गए और दर्जनों जानें भी लोगों की चली गईं। उक्त प्रकोप के चलते रेल यातायात, सड़क यातायात, बिजली सप्लाई लगभग एक सप्ताह तक ठप्प रही और सड़क में 30 फुट दरार से एक जीप में सवार 13 व्यक्ति अपनी जान गंवा बैठे थे। बाढ़ के कारणों का पता चलने के बावजूद भी उसका कोई समाधान नहीं किया गया। आज भी इस बात की आशंका जताई जा रही है कि यदि वर्षा अधिक होती है तो यह स्थिति पहले से अधिक खतरनाक बन सकती है। शहर से गुजर रहे नाले में अवैध कब्जों की भरमार है और निकासी प्रभावित हो रही पर किसी का इस ओर ध्यान नहीं है। इस संबंधी जानकारी देते हुए आर्टीजन वैल्फेयर ऑर्गेनाइजेशन पंजाब के अध्यक्ष शिवजीत सिंह माणकू, समाजसेवी एवं सिटीजन वैल्फेयर कौंसिल के सचिव आर.के. भल्ला, गोपाल गौशाला के सचिव बलदेव अरोड़ा तथा एड. चेतन शर्मा ने बताया कि वर्ष 1992 में रूपनगर में आई बाढ़ के कारण एक सप्ताह तक रूपनगर शहर का जहां संपर्क देश से टूट गया था, वहीं इसका खतरनाक मंजर दुनिया के सामने आ गया।  उन्होंने बताया कि घाड़ इलाके के लगभग 40-50 गांवों, शिवालिक की पहाडिय़ों के वर्षा के पानी की निकासी के लिए एक बहुत बड़ा नाला जो घाड़ इलाके से शुरू होता है, का पानी रूपनगर में बहते सतलुज दरिया में मिलता है, लेकिन उक्त नाला जो कुछ स्थानों पर 50 फुट तक चौड़ा है, पर आज चलते अवैध कब्जों के कारण नाले की चौड़ाई कई स्थानों पर 10 फुट तक रह गई है और इसके अतिरिक्त शहर में बनी कालोनियों के कारण नाले का रुख भी बदल गया है और पानी की निकासी प्रभावित हो रही है। भविष्य में अगर ध्यान नहीं दिया तो बाढ़ के समय भयावह हालात होंगे और भारी नुक्सान हो सकता है

भाखड़ा मेन लाइन में भी निकासी के लिए बनाए गए हैं साइफन 
 नंगल से शुरू होती भाखड़ा नहर, जो रूपनगर से गुजरती है, के रख-रखाव को देखते हुए तत्कालीन इंजीनियरों ने इसके नीचे अंडर पाथ छोड़ते हुए साइफन बनाए ताकि वर्षा का पानी बिना भाखड़ा नहर को नुक्सान पहुंचाए नीचे से गुजरता रहे। दुख की बात है कि लोगों ने उक्त साइफनों के आगे अवैध कब्जे कर लिए और पानी का रास्ता भी बदल कर रख दिया, जिससे निकासी सुचारू न होने के कारण बीच में ही पानी जमा रहता है और जब वर्षा तेज पड़ती है तो लोगों में पानी के ओवरफ्लो होने का भय बन जाता है। 
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स्व. बेअंत सिंह की योजना भी ठंडे बस्ते में डाल दी गई 
इस संबंधी समाज सेवियों ने बताया कि पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री स्व. बेअंत सिंह रूपनगर में बाढ़ की स्थिति का जायजा लेने के लिए स्वयं पहुंचे थे तथा उन्होंने तत्कालीन एस.एस.पी. संजीव गुप्ता, डी.सी. हुरिया व समाजसेवी शिवजीत सिंह मणकू के साथ मिल कर समस्या के स्थायी हल के लिए घटनास्थल पर जाकर विचार-विमर्श करने के बाद जिला प्रशासन को ये निर्देश दिए कि घाड़ इलाके से लेकर सतलुज दरिया में वर्षा के पानी को गिराए जाने के लिए कटली तक उक्त नाले को पक्का किया जाएगा ताकि बिना किसी रुकावट से वर्षा का पानी दरिया में जा सके पर बेअंत सिंह की हुई अचानक मौत के बाद उक्त योजना ठंडे बस्ते में डाल दी गई। 

फ्लाईओवर ने भी मोड़ा नाले का रुख 
रूपनगर शहर में बने फ्लाईओवर के पिल्लर भी उक्त निकाली नाले में आ चुके हैं, जिस कारण निकासी बुरी तरह प्रभावित हो रही है तथा नाले का रुख भी बदल गया है और उसके चलते समस्या और विकट होती जा रही है। 
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रेलवे के बनाए अंडर पाथ भी हुए ब्लॉक 
वर्षा के पानी की निकासी के लिए रेलवे विभाग द्वारा कई स्थानों पर अंडरपाथ बनाए गए। ये साइफन रेलवे लाइनों से नीचे पानी की निकासी के लिए बने हैं। उनके आगे भी कई स्थानों पर ब्लॉकेज बनी हुई है और यह निकासी के बहाव को प्रभावित करती है। 
 

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