Edited By swetha,Updated: 20 Aug, 2018 06:45 PM
प्रदेश सरकार द्वारा मानसून के मौसम में माइनिंग पर पाबंदी होने के कारण माइङ्क्षनग माफिया द्वारा लगातार माइनिंग की जा रही है और सरकार व कानून पर माइङ्क्षनग माफिया हावी हो गया है। सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट दिनेश चड्ढा ने कहा कि जहां एक ओर घरेलू प्रयोग...
रूपनगर(कैलाश): प्रदेश सरकार द्वारा मानसून के मौसम में माइनिंग पर पाबंदी होने के कारण माइङ्क्षनग माफिया द्वारा लगातार माइनिंग की जा रही है और सरकार व कानून पर माइङ्क्षनग माफिया हावी हो गया है। सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट दिनेश चड्ढा ने कहा कि जहां एक ओर घरेलू प्रयोग या छोटे कारोबार के लिए अपने ट्रैक्टर-ट्रालियों में रेत व बजरी लेकर जाने वाले लोकल निवासियों पर चोरी के पर्चे दर्ज होते हैं तो दूसरी तरफ अवैध माइङ्क्षनग का कारोबार करने वाले बड़े ठेकेदार पर कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई जाती।
उन्होंने कहा कि आर.टी.आई. के तहत मांगी गई जानकारी के अनुसार सवाड़ा, हरसा बेला व बेईंहारा की खड्डों से 40 फुट तक अवैध माइनिंग को पाया गया है। हरसा बेला की खड्ड पर भी 30 फुट तक, जबकि बेईंहारा में काफी गहराई तक माइङ्क्षनग की जा चुकी है, जिसके बारे में प्रशासन द्वारा बार-बार डायरैक्टर माइङ्क्षनग तथा प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड को अवगत करवाया गया परंतु माफिया के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई। एडवोकेट चड्ढा ने बताया कि इन तीन खड्डों में वाॢषक करीब 1 लाख 92 हजार टन मैटीरियल कानूनी तौर पर निकलना था परंतु प्रशासन द्वारा प्रदान सूचना के अनुसार 10 गुना अधिक मैटीरियल निकाला गया है, जो 19 लाख 20 टन बन जाता है, जिसकी मार्कीट कीमत 15 से 20 करोड़ रुपए बनती है।
उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि माइनिंग माफिया पर नकेल डालने के लिए एक स्वतंत्र जांच टीम का गठन किया जाए। ताकि ट्रैक्टर-ट्राली की बजाय माइनिंग माफिया से जुड़े ठेकेदारों पर बनती कार्रवाई अमल में लाई जा सके, क्योंकि जिस ठेकेदार को माइनिंग का ठेका दिया जाता है, उसकी जिम्मेदारी माइनिंग क्षेत्र की योग्य सुरक्षा करना भी है। यहां प्राप्त सूचना के अनुसार नाप-तोल करने वाले कांटे भी बंद मिले हैं। यदि इस कार्रवाई के प्रति कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई तो यहां बड़ा प्रकोप पैदा हो सकता है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने इस मामले में पहल न की तो उनकी तरफ से संघर्ष किया जाएगा।