Edited By Updated: 08 Feb, 2017 10:49 AM
पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले और बाद जहां अकाली-भाजपा द्वारा लगातार तीसरी ....
लुधियाना(हितेश): पंजाब विधानसभा चुनावों से पहले और बाद जहां अकाली-भाजपा द्वारा लगातार तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने के दावे किए जा रहे हैं वहीं कांग्रेस व आम आदमी पार्टी (आप) भी सरकार बनाने के सपने देखने में पीछे नहीं है। इसी बीच एक नई बात यह सामने आई है कि सरकार चाहे कोई भी बने, मंत्री पद को लेकर पैदा होने वाले विवाद से अछूती नहीं रहेगी क्योंकि पहले मंत्री पद के दावेदारों को संसदीय सचिव बनाकर शांत किया जाता था लेकिन अब संसदीय सचिवों की नियुक्ति के मामले में कोर्ट से झटका लगने के मद्देनजर कोई सरकार इस दिशा में पहल नहीं करेगी और मंत्री बनने की दौड़ में शामिल लोगों को एडजस्ट करना सरकार के लिए कड़ी चुनौती होगी।
अकाली-भाजपा
अगर बात अकाली-भाजपा की करें तो मदन मोहन मित्तल व भगत चूनी लाल को छोड़ उसके सभी मंत्री दोबारा चुनाव लड़ रहे हैं। अगर वे दोबारा जीते और सरकार भी बन गई तो उन मंत्रियों की दावेदारी मजबूत होगी लेकिन विवाद यह है कि जो संसदीय सचिव पहले हटाए गए उनमें से अगर कोई विधायक बना तो वह भी वरिष्ठता की कैटेगरी में आ जाएगा। उसके द्वारा मंत्री पद पर जताए जाने वाले दावे से निपटना अकाली-भाजपा के लिए टेढ़ी खीर साबित होगा। हालांकि उनको किसी बड़े बोर्ड-कार्पोरेशन का चेयरमैन लगाने का विकल्प भी सरकार के पास होगा।
कांग्रेस
इसके बाद बारी आती है कांग्रेस की, जो 10 वर्ष से सत्ता से बाहर है। उसके कई ऐसे विधायक हैं जो कांग्रेस की कई सरकारों में मंत्री रह चुके हैं, इसके अलावा सरकार न होने पर भी जीत कर विधायक बने हैं। उनमें से कई विधायकों के अब फिर जीतने की उम्मीद है उनकी संख्या मंत्री बनाने के लिए तय आंकड़े 17 से कहीं ज्यादा है। इसके अलावा नए चेहरों के रूप में सामने आए टीम राहुल के मैंबरों की भी मंत्री पद पर दावेदारी सामने आएगी। इस पर भी संसदीय सचिव बनाने को लेकर पैदा असमंजस के माहौल को ग्रहण तो लगेगा ही, ऊपर से कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने बयान दिया हुआ है कि चुनाव लडऩे या जीतकर विधायक बनने वाले किसी को चेयरमेन नहीं लगाया जाएगा।
आम आदमी पार्टी
अब बारी आती है ’आप’ की, जो सरकार बनाने को लेकर सबसे ज्यादा शोर मचा रही है और सट्टेबाज भी उसे ही बढ़त दे रहे हैं लेकिन बड़ी बात यह है कि ‘आप’ ने अभी सी.एम. व डिप्टी सी.एम. के नाम तक तय नहीं किए हैं। अगर ‘आप’ की सरकार बनती है तो उससे गठबंधन करने वाली लोक इंसाफ पार्टी के बैंस ब्रदर्ज भी जीतने की सूरत में मंत्री पद के दावेदार होंगे। इस दौर में ‘आप’ के लिए बड़ी समस्या यह है कि संसदीय सचिव बनाने का विवाद ही दिल्ली से शुरू हुआ है जिसे पंजाब में सरकार बनने पर छेडऩे का ‘आप’ जोखिम नहीं लेगी। जहां तक विधायकों को एडजस्ट करने के लिए चेयरमैन बनाने का सवाल है, ‘आप’ के बड़े नेताओं ने इस बारे में थोक के हिसाब से वायदे किए हुए हैं।