इस 10 वर्षीय मां की कहानी सुन फट जाएगा कलेजा, कोख से जन्मी नन्ही जान से है अंजान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Aug, 2017 01:29 PM

ten year old rape victim delivers baby in india

मैंने जिस कोख से जन्म लिया वो मुझे अपना नाम दे नहीं सकती क्योंकि ये उसकी मजबूरी है।

चंडीगढ़ : मैंने जिस कोख से जन्म लिया वो मुझे अपना नाम दे नहीं सकती क्योंकि ये उसकी मजबूरी है। नाजायज हूं-कोई मेरा चेहरा देखना नहीं चाहता। जन्म प्रमाण पत्र पर भी अभिभावकों के नाम की  जगह चाइल्ड वैल्फेयर प्रोटैक्शन का नाम  लिख दिया गया है लेकिन मेरा कसूर क्या है? अाज ज्यादती उसके साथ हुई जिसने मुझे जन्म दिया। कल यही ज्यादती मेरे साथ होगी क्योंकि मेरी कोई पहचान नहीं। कल जब मुझसे मेरे मां-बाप का नाम पुछा जाएगा तो मैं क्या जवाब दूंगी ये मेरे लिए कोई नहीं सोच रहा। ये सवाल हैं उस नवजात के लिए जिसने 10 वर्षीय मां की कोख से जन्म लिया। 


इस बच्ची के दुनियां में अाते ही सभी ने इससे मुंह मोड़ लिया । इसके नाना-नानी इसका चेहरा तक देखना नहीं चाहते। नाबालिगा के पिता ने सोशल वैल्फेयर के बाद अब अस्पताल को भी लिखा है कि वह नवजात को बच्ची से दूर रखना चाहते हैं। न तो खुद देखना चाहते हैं और न ही बच्ची से मिलने देंगे। डॉ. दासारी का कहना है कि स्वस्थ होते ही नाबालिगा को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी परंतु नवजात को कुछ दिन निकू में रखना पड़ेगा।


दरअसल मामा के शोषण की शिकार नाबालिग बच्ची ने वीरवार को सैक्टर-32 स्थित गवर्नमैंट मैडीकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एक बच्ची को जन्म दिया। 36वें सप्ताह में डिलीवर हुई बच्ची को चंद मिनटों के बाद ही उसकी मां से अलग कर दिया गया।   जन्म देने वाली मां (बच्ची) के लिए यह राज ही रह गया कि उसकी किडनी में स्टोन नहीं एक ‘जान’ थी। 

 
चंडीगढ़ प्रशासन ने अस्पताल को छह महीने तक नवजात को मिल्क बैंक से दूध उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए हैं। हालांकि अस्पताल प्रबंधन कह रहा है कि जब तक मां के दूध की जरूरत होगी मिल्क बैंक दूध देगा, लेकिन बैंक के अधिकारियों ने असमर्थता जताई है। उनका कहना है कि नियोनेटल इंटैंसिव केयर यूनिट (निकू)) में एक किलो से कम वजन वाले बच्चे होते हैं जिन्हें बैंक से दूध दिया जाता है। नवजात का वजन 2.01 किलोग्राम है और अन्य बच्चों की तुलना में ज्यादा दूध देना पड़ेगा इसलिए छह महीने तक नैचुरल मिल्क देने में बहुत कठिनाई आएगी, लेकिन कुछ दिनों बाद फार्मूला मिल्क देना शुरू कर दिया जाएगा। 

 

बच्ची का गर्भवती होना दुर्भाग्यपूर्ण

मां और नवजात दोनों ठीक हैं। उन्हें ऑब्जर्वेशन में रखा गया है। यह केस अस्पताल के लिए चुनौतीपूर्ण था क्योंकि इतनी कम उम्र की मां की डिलीवरी पहली दफा हुई है। पूरे देश में भी ऐसा उदाहरण नहीं था जिसमें कम उम्र की बच्ची ने जन्म दिया हो। बच्ची का गर्भवती होना भी दुर्भाग्यपूर्ण था। नाबालिगा को बेशक डिलीवरी से अनजान रखा गया परंतु आने वाले समय में जब वह सब कुछ समझने लगेगी तब स्टेट ऑफ माइंड कैसा रहता है और खुद के पेरैंट्स पर क्या असर होता है इसका ध्यान रखना जरूरी है।
प्रो. ए.के. जनमेजा, डायरैक्टर प्रिंसीपल, अस्पताल
 
 

 

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