Edited By Updated: 19 Jan, 2017 07:08 PM
उच्चतम न्यायालय ने आज चेतावनी दी कि पंजाब और हरियाणा के बीच सतलुज-यमुना लिंक नहर (एस.वाई. एल.) विवाद में अदालत की डिक्री का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने दोनों राज्यों को निर्देश दिया कि उसके आदेशों पर सख्ती से अमल किया जाए।
नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज चेतावनी दी कि पंजाब और हरियाणा के बीच सतलुज-यमुना लिंक नहर (एस.वाई. एल.) विवाद में अदालत की डिक्री का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने दोनों राज्यों को निर्देश दिया कि उसके आदेशों पर सख्ती से अमल किया जाए। अदालत ने कहा कि नहर निर्माण का हमारा आदेश लागू होना चाहिए, यह कैसे लागू होगा इसे सरकार देखे। न्यायमूर्ति पी.सी. घोष और न्यायमूर्ति अमिताव राय की पीठ ने कहा, ‘‘हम इस न्यायालय द्वारा पारित डिक्री का उल्लंघन करने की इजाजत नहीं देंगे और इस पर अमल करना ही होगा। इस डिक्री पर कैसे अमल हो रहा है यह संबंधित पक्षों का सिरदर्द है।’’
पीठ ने न्यायालय के आदेशों पर अमल के लिए हरियाणा की याचिका पर केन्द्र और पंजाब को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया तथा कहा कि यथास्थिति बनाए रखने संबंधी अंतरिम आदेश बरकरार रहेगा। शीर्ष अदालत ने कहा कि केन्द्रीय गृह सचिव, पंजाब के मुख्य सचिव और पंजाब के पुलिस महानिदेशक की रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि यथास्थिति बनाए रखी गई है। इन तीनों अधिकारियों को संबंधित भूमि और नहर की अन्य संपत्तियों के लिए अदालत का रिसीवर नियुक्त किया गया है।
उधर हरियाणा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जगदीप धनकड़ ने गृह सचिव की रिपोर्ट पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, ‘‘रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति ने मौके पर देखा कि ‘जानबूझ कर नहर को कोई क्षति’ नहीं पहुंचाई गई है।’’ धनकड़ ने कहा, ‘‘मुझे रिपोर्ट में प्रयुक्त ‘जानबूझ कर’ शब्द पर आपत्ति है।’’
उधर गृह मंत्रालय की ओर से सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि उनका जवाब तैयार है और उसे सप्ताह के दौरान ही दाखिल कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हरियाणा ने पंजाब समझौता निरस्तीकरण कानून, 2004 को चुनौती नहीं दी है इसीलिए इसे अभी तक निरस्त नहीं किया गया है।
केन्द्र को राज्यों से संबंधित विवाद में हस्तक्षेप करके मामले को हल करना चाहिए। हम हरियाणा की याचिका पर केन्द्र का जवाब दाखिल होने के बाद अपना जवाब दाखिल करेंगे। केन्द्र को बड़े पंच की तरह व्यवहार करना चाहिए और इस मसले को हमेशा के लिए हल करना चाहिए।’’ -राम जेठमलानी (वरिष्ठ अधिवक्ता)
जवाब के लिए पंजाब को 3 सप्ताह का वक्त
शीर्ष अदालत ने केन्द्र को एक सप्ताह के दौरान ही जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और पंजाब को इसके लिए 3 सप्ताह का वक्त देते हुए सुनवाई 15 फरवरी के लिए स्थगित कर दी। न्यायालय ने पिछले साल 30 नवम्बर को सतलुज-यमुना ङ्क्षलक नहर में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देते हुए 3 सदस्यीय समिति को अदालत का रिसीवर नियुक्त किया था।