Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Aug, 2017 12:26 PM
कहीं आगजनी, कहीं तोडफ़ोड़, कहीं पत्थरबाजी तो कहीं फायरिंग। सी.बी.आई. अदालत का गुरमीत राम रहीम के खिलाफ फैसला आने के बाद कुछ ऐसा मंजर रहा पंचकूला में।
जालंधर (रविंदर शर्मा): कहीं आगजनी, कहीं तोडफ़ोड़, कहीं पत्थरबाजी तो कहीं फायरिंग। सी.बी.आई. अदालत का गुरमीत राम रहीम के खिलाफ फैसला आने के बाद कुछ ऐसा मंजर रहा पंचकूला में। भड़की भीड़ ने इस कदर हिंसा का खौफनाक खेल खेला कि जहां से वह गुजरी राहगीरों, सरकारी व प्राइवेट संपत्ति को नुक्सान पहुंचाती चली गई। पुलिस पूरी तरह से भीड़ के आगे सरैंडर कर चुकी थी, कई जगह तो पुलिस मुलाजिमों को भीड़ के आगे बेबस होकर भागते भी देखा गया। भीड़ सब कुछ रौंदते हुए आगे बढ़ रही थी और पीछे छूटती जा रही थी लाशें, आग और धुआं। पंचकूला के लोगों का कहना है कि ऐसी दहशत का मंजर उन्होंने आज तक नहीं देखा।
भीड़ का खौफ देर रात तक इस कदर छाया रहा कि घंटों तक सड़क पर पड़ी लाशों को भी नहीं उठाया गया। रात भर लाशों की जेबों में पड़े फोनों की घंटियां घनघनाती रहीं, मगर फोन उठाने वाले हाथ सुन्न व जुबां खामोश हो चुकी थी। अपनों की तलाश में बदहवास कई लोग देर रात सड़कों पर भागते नजर आए। लग ही नहीं रहा था कि यह तांडव दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में खेला जा रहा है। संवेदना हर तरफ दम तोड़ती नजर आ रही थी। किसी की सुध लेने वाला कोई नहीं था।
कई घंटों बाद लाशों को गाडिय़ों में लादकर अस्पताल पहुंचाया गया। यहां भी कई लाशों की जेबों में फोन की घंटियां बजती रहीं, मगर अस्पताल स्टाफ ने न तो फोन उठाना मुनासिब समझा। इसके पीछे अस्पताल प्रबंधन का तर्क था कि अगर फोन सुने जाते तो हजारों की तादाद में लोग अस्पताल की तरफ उमड़ पड़ते और ऐसे में हालात संभालने और मुश्किल हो जाते। हिंसा के इस खेल ने दिखा दिया कि एक अदद भीड़ के आगे किस कदर हमारे देश की सबसे मजबूत पुलिस, सरकार और प्रशासन पल भर में पंगु हो जाता है।