Edited By Updated: 15 Mar, 2017 12:49 PM
आम आदमी पार्टी को जिताने के लिए विदेशों से आए प्रवासी पंजाबी ‘आप ’ की हार से सदमे में हैं।
जालंधरः आम आदमी पार्टी को जिताने के लिए विदेशों से आए प्रवासी पंजाबी ‘आप ’ की हार से सदमे में हैं। वही जीते हुए नेता उनमें आश्वासन बनाने में जुटे हैं परन्तु उन्हें चिंता इस बात की बनी हुई है कि वह अब पंजाब अपने गांवों में कैसे लौटेंगे जब वह चुनाव में कांग्रेस विरुद्ध भी तीखा प्रचार करके गए हैं।
पंजाब विधानसभा चुनाव में वह विदेशों से ‘चलो पंजाब ’ का नायरा लगा कर यहां राजनीतिक इंकलाब सृजन करने की उम्मीद के साथ आए थे परन्तु उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया। प्रवासियों के गढ़ माने जाते दोआबा की 23 सीटों में से प्रवासी पंजाबी 15 से अधिक सीटें आने की उम्मीद लगा कर बैठे थे और जालंधर हलके की 9 सीटों में से 8 सीटों पर जीत की उम्मीद लिए हुए थे जबकि नतीजे उनकी अाशाअों के उलट आए हैं। अाप दोआबा की 23 सीटों में से सिर्फ 2 सीटें ही जीत सकी अौर दूसरे स्थान पर रही। बाकी सीटों पर पार्टी तीसरे स्थान पर रह गई और बहुत से ‘आप ’ उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई । प्रवासी पंजाबी इस बात पर सहमत थे कि मुख्यमंत्री के उम्मीदवार का ऐलान न करना सबसे बड़ी गलती थी।
इंग्लैंड से अाए अमरजीत सिंह जवंदा ने केजरीवाल पर भरोसा जताते कहा कि पंजाब में पार्टी फिर अपने पैरों पर खड़ी होगी। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि सुच्चा सिंह छोटेपुर को कनवीनर के पद से उतारने का फैसला लोगों ने पसंद नहीं किया और इस घटना के बाद पार्टी फिर उभार नहीं पाई।
कैनेडा के एस.पी. संधू ने बताया कि पंजाब को दिल्ली समझना आप की लीडरशिप को महंगा पड़ा। उनकी हद से ज्यादा दखलअंदाजी को पंजाबियों ने बर्दाश्त नहीं किया।