कैप्टन की गुगली से राहुल गांधी हुए क्लीन बोल्ड

Edited By Vatika,Updated: 22 Apr, 2018 09:58 AM

punjab cabinet expansion

पंजाब मंत्रिमंडल में चिरलंबित विस्तार आज हो गया परंतु पिछले कुछ महीनों से चली आ रही कवायद के अंत में अपने चिर-परिचित स्वभाव के चलते मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने ऐसी गुगली डाली कि ऑल इंडिया कांग्रेस के प्रधान राहुल गांधी क्लीन बोल्ड हो गए...

जालंधर (चोपड़ा): पंजाब मंत्रिमंडल में चिरलंबित विस्तार आज हो गया परंतु पिछले कुछ महीनों से चली आ रही कवायद के अंत में अपने चिर-परिचित स्वभाव के चलते मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने ऐसी गुगली डाली कि ऑल इंडिया कांग्रेस के प्रधान राहुल गांधी क्लीन बोल्ड हो गए वहीं मंत्रियों की सूची फाइनल करने में राहुल गांधी की युवा ब्रिगेड को चारों खाने चित्त कर दिया।
 

सुनील जाखड़ की भी एक न चली
इसके अलावा कै. अमरेन्द्र ने पंजाब प्रदेश कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ की भी एक न चलने दी। अगर राहुल गांधी अपनी बात मनवा पाते तो ऑल इंडिया यूथ कांग्रेस के प्रधान अमरेन्द्र सिंह राजा वडिंग़, ऑल इंडिया एस.सी. कमीशन के पूर्व चेयरमैन डा. राजकुमार वेरका, कुलजीत नागरा, ओलिम्पियन परगट सिंह हर हाल में मंत्रिमंडल में शामिल होते।जाखड़ नहीं चाहते थे कि राणा गुरमीत सोढी को किसी कीमत पर मंत्री बनाया जाए परंतु कै. अमरेन्द्र ने इस मामले में जाखड़ की भी एक न सुनी। नए बने 9 कैबिनेट मंत्रियों में 6 मंत्री ओ.पी. सोनी, सुखजिंद्र सिंह रंधावा, सुखबिंदर सिंह सुख सरकारिया, राणा गुरमीत सोढी, श्याम सुंदर अरोड़ा और गुरप्रीत कांगड़ कै. अमरेन्द्र के बेहद करीबी हैं। राहुल की पसंद के केवल एकमात्र चेहरे विजय इंद्र सिंगला को मंत्री बनाया जा रहा है जबकि विधायक भारत भूषण आशू लुधियाना से सांसद रवनीत बिट्टू के करीबी हैं।
 

राहुल ने पत्र लिख की थी इन मंत्रियों कि सिफारिश 
मोहाली से विधायक बलबीर सिद्धू को प्रदेश प्रभारी आशा कुमारी और वरिष्ठ कांग्रेस नेत्री अंबिका सोनी का आशीर्वाद हासिल है। हालांकि राहुल ने पिछले महीने कैप्टन अमरेन्द्र को पत्र लिख कर राजा वडिंग़, कुलजीत नागरा व परगट सिंह को मंत्रिमंडल में शामिल करने की सिफारिश की थी परंतु उक्त सिफारिश को भी दरकिनार कर दिया गया। कांग्रेस के उच्च सूत्रों के अनुसार कै. अमरेन्द्र सिंह, राहुल गांधी, आशा कुमारी, हरीश चौधरी व सुनील जाखड़ के मध्य हुई दिल्ली में अंतिम 2 दिनों में आयोजित बैठकों में बड़ी कशमकश हुई और कैप्टन ने किसी भी नेता की कोई बात नहीं सुनी और स्पष्ट कह डाला कि प्रदेश के मुख्यमंत्री वह हैं और सरकार उन्होंने चलानी है। इस कारण मंत्रिमडल में कौन-कौन सा विधायक शामिल होगा इसका फैसला उन्हें करने दिया जाए। अब कैप्टन अमरेन्द्र ने जिस प्रकार हाईकमान के समक्ष अपनी मनवाकर राजनीतिक तलवार की धार दिखाई है उससे लगता है कि आगामी समय में मुख्यमंत्री की प्रदेश की राजनीति पर पूरी तरह से पकड़ रहेगी।

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