Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Jan, 2018 06:13 PM
विधानसभा के आम चुनावों से पूर्व अब राजस्थान में सियासी पारा गर्मा गया है तथा मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस व भाजपा के बीच में तीखी जंग शुरू हो गई है। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ....
जालंधर(धवन): विधानसभा के आम चुनावों से पूर्व अब राजस्थान में सियासी पारा गर्मा गया है तथा मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस व भाजपा के बीच में तीखी जंग शुरू हो गई है।
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी हरियाणा में चुनावी मोर्चा सम्भाल लिया है। गहलोत को इस बात का श्रेय जाता है कि पहले उनके पास गुजरात की जिम्मेदारी थी तथा वह कांग्रेस वर्करों को गुजरात में गतिशील करने में कामयाब रहे जिसकी बदौलत ही गुजरात में भाजपा को 100 के आंकड़े से नीचे कांग्रेस रोकने में सफल हो गई। उससे पहले पंजाब विधानसभा के आम चुनाव के समय स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन की जिम्मेदारी अशोक गहलोत के हाथों में रही तथा गहलोत ने टिकट वितरण के मामले में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को अपनी ओर से पूरा सहयोग दिया। जिससे पंजाब में कांग्रेस सत्ता में आ सकी।
गिनती के रह गए हैं वसुंधरा राजे सरकार के दिन
गहलोत ने राजस्थान में प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष सचिन पायलट से किसी भी तरह की सियासी दुश्मनी होने से इंकार किया है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में मोदी का आर्टीफिशयल अभियान सफल होने वाला नहीं है। 2013 में राजस्थान में वसुंधरा राजे की जीत नहीं हुई थी बल्कि मोदी के आर्टीफिशयल अभियान की जीत हुई थी परंतु आज राजस्थान के किसी भी गांव में अगर लोग चले जाए तो उन्हें पता लगेगा कि वसुंधरा राजे सरकार के दिन गिनती के रह गए हैं।
उन्होंने कभी भी कांग्रेस हाईकमान से कुछ नहीं मांगा। केवल उन्होंने एक मांग हाईकमान के सामने 1977 में पहली विधानसभा टिकट देने के लिए रखी थी। मैं 5 बार सांसद रहा हूं, 3 बार प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष तथा 10 वर्षों तक राजस्थान के मुख्यमंत्री की कमान उनके हाथों में रही। उपरोक्त पद उन्होंने कभी नहीं मांगे थे। भविष्य में भी हाईकमान जो फैसला लेगी उन्हें मंजूर होगा। उन्होंने कहा कि भाजपा राजस्थान में वोटों के ध्रुवीकरण में लगी हुई है। देश में भी नफरत की भावना के बीज भाजपा द्वारा बोए जा रहे हैं।